- Back to Home »
- Motivation / Positivity »
- धन्यवाद - कृतज्ञता का भाव चिंता-डर व तनाव को दूर भगाने में मददगार है जाने कैसे...?
Posted by : achhiduniya
16 November 2021
कई अध्ययनों में पाया गया है कि कृतज्ञता और प्रोत्साहन महसूस करने वाले प्रतिभागियों में तनाव पैदा करने
वाला हारमोन कोर्टिसॉल के स्तर कम पाए गए। उनके दिल बेहतर काम कर
रहा था और वे नाकारात्मक अनुभवों और भावनात्मक सदमों से उबरने में ज्यादा मजबूत
दिखे। साथ ही
कृतज्ञता का भाव रखने वाले तनाव को बेहतर तरीके से निपट सकते हैं। इतना ही नहीं कृतज्ञता का भाव
निराशा और चिंता के लक्षणों
को भी कम करता देखा गया है। इससे तनाव संबंधी हारमोन कम होते हैं ऑटोनॉमिक नर्वस
सिस्टम कार्य बेहतर प्रबंधित होते दिखते हैं। कृतज्ञता का मस्तिष्क की क्रियाओं से कैसा संबंध है। इस पर कई शोध हुए
हैं। एक अध्ययन में दर्शाया गया है कि कृतज्ञता की भावनाओं से युक्त नैतिक निर्णयों का एंटीरियर
टेम्पोरल कोर्टेक्स के दाहिने हिस्से से
संबंध है। इसी अध्ययन में उस कारण का भी खुलासा हुआ कि क्यों हमें से कुछ दूसरों
की तुलना में अधिक कृतज्ञ होते हैं। इसमें पाया गया कि जो लोग कृतज्ञता का भाव
रखते हैं, उनके मस्तिष्क के दाएं
इंफीरियर टेम्पोरल गायरस में ग्रे पदार्थ का आयतन ज्यादा होता है। एक अन्य शोध में
बताया गया है कि जब हम कृतज्ञ होते हैं तो हमारा मस्तिष्क
डोपामाइन और सेरोटोनिन
का स्राव करता है जो दे हमारी भावनाओं के लिए अहम न्यूरोट्रांसमीटर हैं। ये हमें
अच्छा महसूस कराते हैं। नाखुश लोग अपनी कमजोरियां और अपनी पहचान के संघर्ष में
उलझे रहते हैं। इससे बचने के लिए वे कुछ समय खुद की अच्छी बातों के बारे में सोचने
का समय दें और खुद की अच्छी बातों के लिए खुद को प्रोत्साहित करें तो अच्छा महसूस कर सकते हैं। वे एक कृतज्ञता डायरी बनाएं जिसमें उन चीजों बातों और घटनाओं का जिक्र करें जो उन्हें
उस दिन या उन दिनों कृतज्ञ बना गईं।
विशेषज्ञों का कहना है कि खुश होने के मौकों पर उसे ना गंवाएं। अपने जीवन में एक कृतज्ञ साथी को तलाशें जो
आपका जीवनसाथी, बच्चों में से कोई, या फिर
कोई दोस्त हो सकता है। जिसके साथ आप अपने जीवन की कृतज्ञता के बारे में बात कर सके।
कृतज्ञता चिंता और डर को भगाने में मददगार हो सकता है। कृतज्ञता हर रूप में खुशी से जुड़ी हुई होती है। इसका भाव संबंधों को
लंबे समय तक बनाए रखने, विषम परिस्थितायों से निपटने
और जिंदगी में ताकत और प्रेरित होकर वापसी करने में बहुत कारगर होता है। ब्रिटेन
के मनोवैज्ञानिक और तंदरूस्ती विशेषज्ञ
रॉबर्ट होल्डन ने व्यस्कों के कृतज्ञता पर किए गए सर्वे में पाया
कि 100 में से 60
लोगों ने स्वास्थ्य की जगह खुशी को चुना, जबकि उन्होंने पाया कि दोनों ही अच्छे जीवन के लिए बहुत जरूरी
हैं। उन्होंने अपने अध्ययन में सुझाया कि अवसाद, चिंता, और तनाव जैसी साइकोपैथोलॉजिकल स्थितियां की जड़ में अप्रसन्नता
है। कई मोटिवेशनल वक्ता केवल एक धन्यवाद जैसे वाक्य को बहुत महत्व और कई बार
चमत्कारिक क्षमता वाला वाक्य बताते हैं। सकारात्मक मनोविज्ञान के अनुसार कृतज्ञता
का भाव जीवन में अच्छी चीजों के होने के
स्वीकार करने
का भाव है। कृतज्ञता का भाव
हमारे दिमाग और तंत्रिका तंत्र की जैविक क्रियाओं को भी प्रभावित करता हैं। दिमाग के
हिप्पोकैम्पस और अमिगडाला जैसे भाव संबंधी प्रमुख हिस्से कृतज्ञता के भावों से
सक्रिय होते देखे गए हैं। कई अध्ययनों में यह बुरे और नकारात्मक भावों से मुक्ति
दिलाने में मददगार साबित होता देखा गया है। एक अन्य अध्ययनमें पाया गया है कि
कृतज्ञता से ना केवल बीमार या घायल लोगों को जल्दी स्वस्थ करता है, बल्कि उनमें दर्द भी कम
महसूस
होते देखा गया है। वहीं कृतज्ञता का भाव रखने वालों की नींद की गुणवत्ता भी
बेहतर होती देखी गई है। कृतज्ञता का भाव मस्तिष्क को इस तरह से प्रभाव करता है जिससे वह और सकारात्मक होने लगता
है और चिंता,
तनाव और निराशा जैसे नकारात्मक भावों से मुक्त
होने वाली जैविक मानसिक क्रियाएं सक्रिय हो जाती है। इससे मनुष्य में भावनात्मक सकारात्मकता के साथ बेहतर स्वास्थ्य, नींद, सोच पैदा होती है। इससे लोग
उत्साही, ऊर्जावान, अधिक श्रमशील बनने के साथ
विपरीत परिस्थियों में निराशा दर्द आदि के अहसास कम महसूस करते हैं और उनमें
खुशहाली जीवन जीने की संभावना बढ़ जाती है।