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- सवालो के घेरे में बूस्टर डोज,वाकई कारगर वैज्ञानिक प्रमाण {साइंटिफिक एविडेंस} नही..?
Posted by : achhiduniya
27 December 2021
केंद्र की मोदी सरकार ने हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को 10 जनवरी से
कोरोना की वैक्सीन की एक और खुराक या बूस्टर डोज के फैसले पर कुछ जानकर सवाल उठा
रहे हैं और उसे गैरजरूरी बता रहे हैं। उनका तर्क है कि जिन देशों (जैसे अमेरिका और
यूके) में बूस्टर डोज दी गई हैं, वहां भी केस बढ़
रहे हैं और ओमिक्रोन भी फैल रहा है। ऐसे में भारत में बूस्टर डोज देने का कोई
फायदा नहीं होगा। इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष और दिल्ली के एम्स में
कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉ संजय राय सरकार के
कोरोना वैक्सीन की एक और
डोज देने के फैसले से हैरान हैं। उनके मुताबिक दवा और वैक्सीन के फैसले साइंटिफिक
एविडेंस के आधार पर होने चाहिए। बूस्टर डोज लगने से लोगों को फायदा होगा, उनके शरीर में एंटीबॉडी बनेगी। इसका और संक्रमण होने पर खतरा कम होगा अभी
तक कोई ठोस एविडेंस नहीं है। वहीं जिन देशों में बूस्टर डोज दिए जा रहे हैं,वहां भी कोरोना संक्रमण थमा नहीं है बल्कि केस और बढ़ रहे हैं। इन दोनों
देशों में न सिर्फ कोरोना संक्रमण के केस बढ़ रहे हैं बल्कि ओमिक्रोन संक्रमण के
मामले भी काफी ज्यादा है। एम्स में कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉ
संजय राय ने कहा, कई देश बूस्टर डोज शुरू कर चुके हैं।
कुछ
ने लगाना शुरू कर दिया है। उसका हमें एनालिसिस करना चाहिए। हमें थोड़ा साइंटिफिक
टेंपरामेंट रखना चाहिए। मेडिकल साइंस इवॉल्व होता है इसलिए साइंस पर कई बार कमर्शियल
इंट्रस्ट हावी होना चाहता है अगर हम देखें तो यूके ने करीब 35 फीसदी आबादी को पहले
ही बूस्टर डोज लगा दिया है फिर भी वहां केस आ रहे हैं। उनके मुताबिक वैक्सीन की
दोनों डोज के बाद भी संक्रमण हो रहा है। दोनों डोज लगा चुके लोग कोरोना के नए
वेरिएंट ओमिक्रोन से संक्रमित हो रहे हैं। डॉ संजय राय के मुताबिक, शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य
मंत्रालय की ओमिक्रोन पर आई एक एनालिसिस
रिपोर्ट में पाया गया कि दोनों डोज और यहां तक कि बूस्टर डोज लगने के बाद भी लोग
कोरोना के नए वेरिएंट से संक्रमित हुए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की जिस
एनालिसिस रिपोर्ट की डॉ संजय राय बात कर रहे हैं, उसमें
ओमिक्रोन संक्रमित मरीजों में से 183 मरीजों का स्वास्थ्य मंत्रालय ने विश्लेषण
किया है,जिसमें सामने आया है कि 91% मरीजों को वैक्सीन की
दोनों डोज लग चुकी थीं। वहीं 70% संक्रमित मरीजों को कोई लक्षण नहीं था।