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- स्वर्गीय सुर कोकिला लता मंगेशकर की संघर्ष भरी कहानी..किताब “लता सुर गाथा” से...
Posted by : achhiduniya
06 February 2022
सिर्फ चाय या पानी पीकर ही अपना दिन गुजार लेती थीं। उनके
संघर्ष के दिनों का जिक्र यतींद्र मिश्र की किताब लता सुर गाथा में मिलता है। लता सुर गाथा' को
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। लता मंगेशकर ने किताब में बताया
था,मैं अक्सर रिकॉर्डिंग करते-करते थक जाती थी और मुझे बड़ी तेज भूख भी लग जाती
थी। उस समय रिकॉर्डिंग
स्टूडियो में कैंटीन होती थी, मगर खाने के लिए कुछ बेहतर
मिलता हो ऐसा मुझे याद नहीं। सिर्फ चाय और बिस्किटर वगैरह मिल जाते थे और एक दो कप
चाय या ऐसे
ही दो-चार बिस्किटों पर पूरा दिन निकल जाता था। कई बार तो सिर्फ पानी
पीते हुए ही दिन बीता और यह ध्यान ही नहीं रहा कि कैंटीन जाकर मुझे चाय भी पी लेनी
चाहिए। हमेशा यह बात दिमाग में घूमती थी कि किसी तरह बस मुझे अपने परिवार को देखना
है। फिर वह रिकॉर्डिंग
का वक्त हो या घर का खाली समय किस तरह मैं अपने परिवार के लिए ज्यादा से ज्यादा
कमाकर उनकी जरूरतें पूरी कर सकती हूं। इसी में सारा वक्त निकल जाता था। मुझे रिकॉर्डिंग से या
उसकी तकलीफों
से इतना फर्क नहीं पडता था। जितना इस बात से कि आने वाले कल में मेरे कितने गीत
रिकॉर्ड होने हैं, फलां फिल्म के खत्म होने के साथ मुझे नए
कॉन्ट्रेक्ट की दूसरी नहीं फिल्म के गाने कब रिकॉर्ड करने हैं। लता मंगेशकर का 92 वर्ष की उम्र
में निधन हो गया। वह 8 जनवरी से ब्रीच कैंडी अस्पताल में थीं। लता मंगेशकर को ऐसे
ही सुर कोकिला नहीं कहा जाता था। उन्होंने गायकी के इस मुकाम तक पहुंचने के लिए
कड़ा संघर्ष किया था।