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- देश में भूसे की किल्ल्त मवेशी तक बेचने पर मजबूर किसान,केंद्र सरकार ने भी भूसा संकट को स्वीकारा...
Posted by : achhiduniya
01 June 2022
यूपी में भूसे का संकट कितना गंभीर है इसका
अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि बाजार में गेहूं 2000 रुपए क्विंटल है और भूसा 1400
से 1600 रुपए क्विंटल। आजादी के बाद पहली बार भूसे की महंगाई ने किसानों के पशुपालन
का अर्थशास्त्र बिगाड़कर रख दिया है। पशुपालन मंत्री संजीव बालियान ने कहा है कि
कई किसानों ने भूसे का दाम बढ़ने की शिकायत की है। मंत्री से किसानों ने कहा कि
दूध के दाम न बढ़ने से किसान अपने मवेशी बेच रहे हैं। मंत्री ने माना कि भूसे का
संकट गहरा है उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि
भूसे का विकल्प साइलस बनाने पर
सरकार जोर देगी। केंद्र सरकार ने भी भूसा संकट को स्वीकार किया है। संजीव बालियान ने कहा कि भूसे की कमी है हरियाणा सरकार ने भूसे
बेचने पर रोक लगा दी है। जिससे अफरा तफरी और फैली है,लेकिन इसका दाम मार्केट फोर्सेस तय करती है। हम इसमें ज्यादा
कुछ नहीं कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश में भूसा संकट को लेकर किसानों का कहना है कि
छुट्टा पशुओं के चलते इस बार लोगों ने गेहूं कम बोया था। चारे वाली फसल किसान कर
ही नहीं पा रहा है। इसके वजह से
भी भूसे का संकट है। ऐसी स्थिति में आसानी से समझा
जा सकता है कि चारे की महंगाई से छुट्टा मवेशियों की तादात बढ़ने और सरकार के लिए
गौशालाओं में 8 लाख से ज्यादा मवेशियों के लिए 10 लाख टन से ज्यादा भूसे का इंतजाम
करना कितनी बड़ी बड़ी चुनौती है। केंद्र सरकार को भी हालात के गंभीरता का अंदाजा
है,लेकिन उनका कहना है कि इस मामले पर साइलस यानि पैकिंग चारे के
अलावा और कोई विकल्प नहीं है। किसानों की तरफ से सरकार पर दूध की कीमत को बढ़ाने
की मांग की जा रही है। किसानों का कहना है कि भूसे के आसमान छूते भाव ने किसानों
को मवेशी तक बेचने पर मजबूर कर दिया है।