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- जाने इन्वेस्टमेंट घोटालो से बचे पर कैसे....?
Posted by : achhiduniya
28 June 2022
इन्वेस्टमेंट घोटाले {फ्रॉड} में निवेशकों की भावनाओं से
खेला जाता है। स्कैम करने वाले किसी कॉमन फ्रेंड या बच्चों, रिश्तेदारों
से जुड़ी घटनाओं का हवाला देकर इन्वेस्टर से नजदीकी बढ़ाते हैं। उसके बाद उन्हें
बहला-फुसलाकर ऊंचे रिटर्न का वादा करते हुए जाल में फंसाया जाता है। FOMO (फियर ऑफ मिसिंग आउट) के चलते स्टॉक मार्केट में निवेशक अकसर भेड़-चाल का
शिकार हो जाते हैं। कोई स्टॉक अच्छा प्रदर्शन कर रहा हो, तो
वे उसमें निवेश करने से चूकना नहीं चाहते। घोटालेबाज इसी का फायदा उठाते हैं।
आर्टिफिशल तरीके से उछाले गए स्टॉक या शॉर्ट एक्सपायरी टर्म वाले नकली प्रॉडक्ट्स
का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें मौका हाथ से निकलने से
पहले निवेश करने का दबाव होता है।# इंटरनेट पर स्कैम:-
घोटालेबाज किसी जाने-माने बैंक या इंश्योरेंस, म्युचुअल फंड
कंपनी के सीनियर ऑफिसर बनकर ई-मेल भेजते हैं। वे इनमें पैसे को बेहतर अकाउंट,
फंड या पॉलिसी में ट्रांसफर करने की सलाह देते हैं या आपकी पहले से
चल रही पॉलिसी के मेच्योर होने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए
अडवांस फीस मांगते
हैं। अगर आपने यह रकम दे दी, तो उनका स्कैम सफल हो जाता है। #एफिनिटी फ्रॉड- सोच का खेल:- इस तरह के घोटाले में किसी एक तरह की
कम्युनिटी, सोसाइटी, धर्म आदि के जरिए
जुड़े लोगों को फंसाया जाता है। फ्रॉड करने वाले ग्रुप से जुड़कर मेंबर्स को ऊंचे
या सुरक्षित रिटर्न वाली स्कीम बेचते हैं। इसके लिए उन्हें सिर्फ ग्रुप के लीडर या
लोकप्रिय सदस्य का विश्वास जीतना होता है और सभी मेंबर्स को जाल में फंसाना आसान
हो जाता है। #गलत प्रॉडक्ट्स की बिक्री:- ऐसे स्कैम बैंकों
के जरिए होते हैं। इनमें इंश्योरेंस की कम समझ रखने वाले ग्राहकों को मन-माफिक कम
फायदे वाली पॉलिसी बेची जाती
है। ऐसा ज्यादातर सीनियर सिटीजन्स के साथ होता है,
जो अपनी जीवनभर की कमाई को सुरक्षित माध्यमों में लगाना चाहते हैं।
लाइफ इंश्योरेंस को मनी-बैक प्लान और ULIP की तरह बेचा जाता
है, जिन पर कम रिटर्न मिलता है। # बड़े
कैश लोन का झोल:- इस घोटाले को तब हथियार बनाया जाता है, जब
होम बायर को घर खरीदने के लिए बड़े लोन की जरूरत होती है और निवेशक सामान्य से
अधिक रिटर्न की मांग करता है। इन्वेस्टर ग्राहक को कैश ऑफर करता है, जिस पर वह अन्य लेंडिंग इंस्टीट्यूशन्स से अधिक ब्याज दर लगाता है। इस
प्रक्रिया में आम तौर पर एक बिचौलिया शामिल होता है। किसी तरह का
पेपरवर्क नहीं
किया जाता है। फ्रॉड तब होता है, जब बायर कर्ज नहीं चुकाता
है। बिना किसी कानूनी दस्तावेज के इन्वेस्टर बायर के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा सकता।
# कैसे बचें इन इन्वेस्टमेंट घोटालों से:- भावनाओं में न
बहें,आप भले किसी को कितने भी नजदीक से जानते हों, निवेश करने से पहले कंपनी और प्रॉडक्ट की अच्छे से जांच-पड़ताल करनी
चाहिए। इन्वेस्टमेंट का फैसला अपनी हालिया जरूरतों को ध्यान में रख कर ही लें।
सिर्फ इसलिए निवेश न करें क्योंकि स्कीम बेचने
वाला आपका दोस्त है या अच्छा बर्ताव
कर रहा है। ई-मेल की जांच करें। आकर्षक ऑफर देने वाली ई-मेल का जवाब नहीं देना
चाहिए। अगर ई-मेल किसी जाने-माने बैंक या इंस्टीट्यूशन के नाम से आया है, तो उस संस्थान के रजिस्टर्ड नंबर पर कॉल कर पूरी जानकारी लें। ई-मेल पर
आंख बंद कर भरोसा करते हुए अनजान व्यक्ति के बैंक अकाउंट में पैसे नहीं डालने
चाहिए। इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट चाहे कितना आकर्षक दिख रहा हो या उसकी शॉर्ट
टाइमलाइन हो, हड़बड़ाने की जरूरत नहीं है। कंपनी का इतिहास,
उसका ट्रैक रिकॉर्ड, स्टॉक का प्रदर्शन और
अचानक आए उछाल का कारण जाने बिना
निवेश नहीं करना चाहिए। भेड़चाल से बचना ही सही
है। बैंक कर्मचारी के कहने पर किसी इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट को आंख बंद कर नहीं
खरीदना चाहिए। दोस्तों, सहकर्मियों, रिश्तेदारों
या किसी एक्सपर्ट के समझाने भर पर निवेश कर देना सही नहीं है। अगर आप अपनी जरूरतों
को सही से नहीं समझ पा रहे, तो मामूली फीस चुकाकर फाइनैंशल
प्लैनर की राय लेने में कोई बुराई नहीं है।
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