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- क्या पुनर्जन्म संभव है जाने सिद्धान्तो पर समीक्षा...
Posted by : achhiduniya
30 July 2022
प्रश्न:- पुनर्जन्म किसे कहते हैं..?उत्तर:- आत्मा और इन्द्रियों का शरीर के साथ बार बार सम्बन्ध
टूटने और बनने को पुनर्जन्म या प्रेत्याभाव कहते हैं।प्रश्न:- प्रेत किसे कहते हैं? उत्तर:- जब आत्मा और इन्द्रियों का शरीर से सम्बन्ध टूट जाता है
तो जो बचा हुआ शरीर है उसे शव या प्रेत कहा जाता है। प्रश्न:- भूत किसे कहते हैं? उत्तर:- जो व्यक्ति मृत हो जाता है वह क्योंकि अब वर्तमान काल
में नहीं है और भूतकाल में चला गया है इसी कारण वह भूत कहलाता है। प्रश्न:-
पुनर्जन्म को कैसे समझा जा सकता है? उत्तर:-
पुनर्जन्म को समझने के लिये आपको पहले जन्म और मृत्यु के बारे मे समझना पड़ेगा और
जन्म मृत्यु को समझने से पहले आपको शरीर को
समझना पड़ेगा। प्रश्न :- शरीर के बारे
में समझाएँ। उत्तर:- शरीर दो प्रकार का होता है:- (१) सूक्ष्म शरीर ( मन, बुद्धि, अहंकार, ५ ज्ञानेन्द्रियाँ ) (२) स्थूल शरीर ( ५ कर्मेन्द्रियाँ =
नासिका, त्वचा, कर्ण आदि बाहरी शरीर ) और इस
शरीर के द्वारा आत्मा कर्मों को करता है।प्रश्न:- जन्म किसे कहते हैं? उत्तर:- आत्मा का सूक्ष्म शरीर को लेकर स्थूल शरीर के साथ
सम्बन्ध हो जाने का नाम जन्म है और ये सम्बन्ध प्राणों के साथ दोनो शरीरों में
स्थापित होता है। जन्म को जाति भी कहा जाता है। उदाहरण:- पशु जाति, मनुष्य जाति, पक्षी जाति, वृक्ष जाति आदि...प्रश्न:- पुनर्जन्म का साक्ष्य क्या है ? ये सिद्धांतवादी बातें अपने स्थान पर हैं पर इसके प्रत्यक्ष
प्रमाण क्या हैं ? उत्तर:- आपने ढेरों ऐसे समाचार सुने होंगे कि
किसी घर में कोई बालक पैदा हुआ और वह थोड़ा बड़ा होते ही अपने पुराने गाँव, घर, परिवार और उन सदस्यों के बारे
में पूरी जानकारी बताता है जिनसे उसका प्रचलित
जीवन में दूर दूर तक कोई संबन्ध
नहीं रहा है और ये सब पुनर्जन्म के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं । सुनिए ! होता ये है कि
जैसा आपको ऊपर बताया गया है कि आत्मा के सूक्ष्म शरीर में कर्मो के संस्कार अंकित
होते रहते हैं और किसी जन्म में कोई अवसर पाकर वे उभर आते हैं इसी कारण वह मनुष्य
अपने पुराने जन्म की बातें बताने लगता है,लेकिन
ये स्थिति सबके साथ नहीं होती क्योंकि करोड़ों में कोई एक होगा जिसके साथ ये होता
होगा कि अवसर पाकर उसके कोई दबे हुए संस्कार उग्र हो गए और वह अपने बारे में बताने
लगा। प्रश्न:- क्या हम जान सकते हैं कि हमारा पूर्व जन्म कैसा था ?उत्तर:- महर्षि दयानंद सरस्वति जी कहते हैं कि सामान्य रूप में
तो नहीं परन्तु यदि आप योगाभ्यास को सिद्ध करेंगे तो आपके करोंड़ों वर्षों का
इतिहास आपके सामने आकर खड़ा हो जायेगा और यही तो मुक्ति के लक्षण है।
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