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- शिक्षकों की कमी छात्रों का भविष्य अंधकार में, 1200 सरकारी विद्यालय 1200 पद रिक्त...
Posted by : achhiduniya
08 August 2022
शिक्षकों की कमी सरकारी स्कूलों में शिक्षा
प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के भविष्य के लिए एक गंभीर समस्या है, जिस पर जिले के सामाजिक कार्यकर्ता जीवन सिंह बोरा ने चिंता
जाहिर करते हुए सरकार को इस विषय पर विचार करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि
सरकार को जल्द से जल्द जिले के सभी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरना
चाहिए ताकि नौनिहालों को उचित शिक्षा मिल सके। गौरतलब है कि पहाड़ी जिले पिथौरागढ़ में
प्रधानाचार्यों के 215 में से 184 पद खाली हैं, तो वहीं शिक्षकों में प्रवक्ता
के 297 पद,
सहायक अध्यापक के 356 पद और प्राथमिक विद्यालयों में 364 पद खाली हैं। इससे यह बात साफ हो रही है कि सीमांत जिले में
शिक्षकों की भारी कमी है। यह हाल तब है जब तमाम प्रशिक्षित युवा बेरोजगार घूम रहे
हैं। सरकार ने 1200 पदों के लिए शिक्षकों की भर्ती तो निकाली है, अब इसमें से कितने शिक्षक सीमांत जिले को मिलते हैं, यह कह पाना फिलहाल मुश्किल है। जिले में शिक्षकों की कमी के बाद
भी 176 शिक्षकों का स्थानांतरण अन्य जिलों में कर दिया गया है, जिससे अब जिले के 449 स्कूल
मात्र एक-एक
टीचर के भरोसे चल रहे हैं। वहीं उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के सरकारी स्कूलों में
शिक्षकों की भारी कमी की बात सामने आई है। जिले में कई ऐसे स्कूल हैं, जो सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। लंबे समय से यहां
शिक्षकों की कमी से शिक्षा विभाग शासन को अवगत कराता आया है, लेकिन अभी तक रिक्त पदों को भरने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए
हैं, जिससे शिक्षकों की कमी के
चलते यहां छात्रों का भविष्य भी
अंधकार में ही है। पिथौरागढ़ जिले में करीब 1200 सरकारी विद्यालय हैं और इतने ही पद
करीब रिक्त हैं। स्थिति यह है कि शिक्षकों की मांग को लेकर छात्राओं को प्रदर्शन
भी करना पड़ रहा है। बेरीनाग में जीजीआईसी की छात्राओं ने शिक्षकों की मांग को लेकर
प्रदर्शन कर एसडीएम को ज्ञापन दिया।
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