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- क्यू जरूरी है मुस्लिमो के लिए वजू करना,क्या होता है वज़ू व वजूखाना….?
Posted by : achhiduniya
06 August 2022
इस्लाम धर्म में मान्यता है कि नमाज पढ़ने या फिर
अल्लाह की इबादत करने से पहले वजू करना जरूरी होता है। अल्लाह से सीधे संपर्क बिना
वजू के नहीं हो सकता है। इसके बिना इबादत या नमाज कुबूल नहीं होती है। इस्लाम में
इबादत से पहले खुद को सही तरीके से साफ करने को वजू कहा जाता है। वजू करने का एक
अलग तरीका होता है, जिसमें शरीर के अलग-अलग हिस्सों
को पानी से साफ
किया जाता है। इसमें हाथ, पैर, मुंह, बांह आदि शामिल होते हैं। इस्लाम में
ऐसी
मान्यता है कि इबादत से पहले खुद को पूरी तरह से साफ करना और साफ-सुथरे कपड़े
पहनना जरूरी होता है। वजू को नियाह भी कहा जाता है। इस्लामिक धार्मिक गुरु प्रोफेट मोहम्मद ने वजू
को लेकर कहा है कि, सफाई करना इबादत का आधा हिस्सा है।
मुस्लिमों को नमाज से पहले खुद को अच्छी तरह शुद्ध करना चाहिए और अल्लाह के आगे
साफ कपड़ों में ही जाना चाहिए। दिन में
पांच बार नमाज पढ़ने की मान्यता है, लेकिन हर
बार वजू करना
जरूरी नहीं होता है। अगर आप शौच, खून के संपर्क में आने या
फिर नींद के बाद नमाज पढ़ने जाते हैं तो आपको फिर से वजू करना जरूरी होता है। ऐसा
कहा जाता है कि वजू करने से पहले बिसमिल्लाह कहा जाता है। जिसका मतलब होता है
अल्लाह के नाम पर,इसके बाद वजू करना शुरू किया जाता है। इसके
बाद सबसे पहले अपने हाथों को धोया जाता है। बाएं हाथ का इस्तेमाल कर दाएं हाथ को
धोया जाता है। इस पूरे प्रोसेस को तीन बार करते हैं। इसी तरह बाएं हाथ
को भी धोया
जाता है। ऐसा माना जाता है कि हाथ धोने से सारी बुराइयां भी धुल जाती हैं। इसके
बाद अपने हाथ से ही पानी लेकर कुल्ला किया जाता है। इसे भी तीन बार किया जाता है।
इसी तरह कई लोग मुंह के साथ अपनी नाक को भी धोते हैं। कुल्ला करने के बाद अच्छी
तरह से मुंह धोने का काम किया जाता है। मुंह धोने की शुरुआत ऊपर से नीचे की ओर की
जाती है। इसके बाद फिर से हाथों को साफ
किया जाता है। कोहनी से नीचे के हिस्से को अच्छी तरह धोते हैं। एक-एक कर दोनों
हाथों को ऐसे ही साफ करते हैं और ये तीन बार किया जाता है। हाथों को अच्छी तरह से
धोने के बाद सिर को भी साफ किया जाता है। हाथों
को गीला करके बालों को साफ करते
हैं। इसी दौरान कानों को भी पानी वाले हाथ से साफ करते हैं। वहीं आखिर में दोनों
पैरों को अच्छी तरह धोया जाता है। जैसा कि हमने आपको बताया कि वजू करना मतलब खुद
के शरीर को पानी से अच्छी तरह से साफ करना होता है। तो जहां पर ये वजू किया जाता
है उसे वजूखाना कहते हैं। वजूखाने में पानी से भरा एक छोटा तालाब होता है, जिसमें आकर नमाजी वजू करते हैं। कई जगहों पर इसके लिए नल भी लगे होते हैं।
जहां पर कुल्ला आदि किया जाता है। नमाज
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