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GST “औरंगजेब का जजिया टैक्स जैसा यानी गरीब शोषण टैक्स" 'आप' पार्टी सांसद राघव चड्ढा का केंद्र पर हमला....
Posted by : achhiduniya
02 August 2022
संसद में अपने भाषण में आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने केंद्र सरकार
को लगातार बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार ठहराया। चड्ढा ने स्वर्ण मंदिर (गोल्डन
टेम्पल) की सरायों पर जीएसटी लगाने के लिए भी केंद्र सरकार की निंदा की और इसे
सिखों और पंजाबियों पर लगाया जाने वाला औरंगजेब का जजिया टैक्स करार दिया। राघव चड्ढा ने कहा कि सरायों पर जीएसटी लागू करना
बीजेपी सरकार के सिख विरोधी और पंजाब विरोधी रवैये को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि केंद्र
सरकार को इस फैसले को तुरंत वापस लेना चाहिए। चड्ढा ने
बढ़ती महंगाई के लिए केंद्र सरकार को घेरते हुए बॉलीवुड मूवी के एक गाने महंगाई
डायन खाए जात है का जिक्र किया। उन्होंने कहा
कि यह अब बीजेपी के शासन में हकीकत बन गया है। देश में घरेलू व अन्य जरूरी वस्तुओं
की लगातार बढ़ती कीमतों ने गरीब और आम आदमी की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा कि GST मतलब गरीब शोषण टैक्स है। सांसद चड्ढा ने संसद में स्वर्ण मंदिर
की सरायों पर जीएसटी लगाने
का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार ने रुपये को "मार्गदर्शक मंडल" में भेज
दिया है। रावण के साथ महंगाई की तुलना करते हुए चड्ढा ने कहा कि जिस तरह रावण के
10 सिर थे,
उसी तरह देश की महंगाई के भी 7 सिर हैं। पहला है
ऊर्जा पर टैक्स, दूसरा है सर्विस इन्फ्लेशन जो नजर नहीं आती लेकिन
महसूस होती है, तीसरा है जीएसटी का बोझ, चौथा है लागत बढ़ाने वाली महंगाई, पांचवा
है बढ़ती महंगाई घटती कमाई, छटा है गिरता हुआ रुपया और
सातवां है कॉरपोरेट और सरकार की सांठगांठ। बीजेपी सरकार की गरीब विरोधी नीतियों और
देश की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में केंद्र सरकार की
विफल नीतियों को लेकर
चड्ढा ने कहा कि यह एक चौंकाने वाला तथ्य है कि इतिहास में पहली बार अब गांवों में
महंगाई शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। चड्ढा ने कहा कि पिछली सरकारों ने
रुपये को सीनियर सिटीजन बनाया, लेकिन बीजेपी सरकार ने डॉलर के
मुकाबले रुपये के मूल्य को 80 से अधिक पार कराकर “मार्गदर्शक
मंडल” में पहुंचा दिया। राघव चड्ढा ने कहा कि, किसान, उत्पादक और उपभोक्ता लगातार बढ़
रही महंगाई की दोहरी मार झेल रहे हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने उनकी वित्तीय
स्थिति को सुधारने के लिए कुछ नहीं किया है। यहां तक कि केंद्र सरकार ने जिन फसलों
पर एमएसपी बढ़ाने का वादा किया किया था, उसे भी
पूरा नही किया। नतीजन, पहले से कर्ज में डूबा किसान
और कर्ज में डूब गया है, लेकिन सरकार को केवल अपने
कॉरपोरेट दोस्तों की चिंता है।
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