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- ॐ उचारण मात्र में छिपा है विज्ञान-सेहत-सम्रधी-जीवन का सार
Posted by : achhiduniya
05 November 2022
हिन्दू धर्म में ईश्वर की उपासना का मंत्र ॐ से
ही प्रारंभ होता हैं। ॐ
तीन शब्दो अक्षरों से बना हुआ है; अ, उ और म। अ से आदि कर्ता ब्रह्म का बोध होता है, उ से विष्णु भगवान का बोध होता है जब कि म से महेश का बोध होता
है। यानी ॐ सम्पूर्ण जगत का नेतृत्व करता है। पूजा-अर्चना- पाठ, धार्मिक गतिविधियों, शुभ
कार्यों, योगाभ्यास और विभिन्न मंत्र के उच्चारण में अक्सर ॐ का प्रयोग
भी किया जाता है। ॐ की ध्वनि से गलत मानसिक विचार दूर होते हैं। वेदों के निष्कर्ष, ऋषि मुनियों की तपस्या और विद्वानों के ज्ञान ॐ में समाहित हैं।
इसके उच्चारण से मन में एकाग्रता और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। ॐ के जाप से
कार्य क्षमता और कार्य दक्षता
दोनों सकारात्मक ढंग से प्रभावित होते हैं। ॐ के
उच्चारण से एकाग्रता बढ़ती है। रचनात्मक कार्यों में लगे हुए व्यक्ति के लिए ॐ का
जाप करना रामबाण साबित होता है। इससे स्मरण शक्ति बढ़ती है जबकि तनाव और अनिद्रा
जैसी समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है। हमेशा सकारात्मक बने रहने के लिए ॐ का
उच्चारण कारगर साबित होता है। ॐ बोलने से गले में कंपन उत्पन्न होता है, इससे थायराइड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। घबराहट को
दूर करने में भी ॐ के उच्चारण सहयोग करते हैं। शरीर के सभी आंतरिक अंग ॐ के
उच्चारण से विषमुक्त होने लगते हैं। इसके कारण तनाव भी दूर होता है। ॐ में
प्रयुक्त होने वाले अक्षरों अ, उ और म का आशय कुछ विद्वानों ने अलग लगाए हैं; अ से आशय उत्पन्न होना, उ से
आशय उठना और म से आशय मौन हो जाना है। इस प्रकार ॐ में जीवन का सार छिपा हुआ है। ॐ में प्रयुक्त होने वाले अक्षर अ बोलने
से शरीर के निचले हिस्से यानी पेट के आसपास कंपन होता है। उ बोलने से शरीर के मध्य
हिस्से यानी छाती के आसपास कंपन होता है। म बोलने से शरीर के ऊपरी हिस्से यानी
मस्तिष्क में कंपन होता है। कुल मिलाकर ॐ के उच्चारण से सम्पूर्ण शरीर कंपित होता
है। इससे हमें शारीरिक, मानसिक और आत्मिक लाभ पहुंचता
है।
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