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- अगर आपका फोन टेप हो रहा है…तो क्या करें...?
Posted by : achhiduniya
07 November 2022
देश में बड़ते फोन टेपिंग के मामले जहां लोगो की
निजता का हनन है वहीं बड़ते क्राइम का एक मुख्य कारण भी है। किसी व्यक्ति विशेष की
बातों को रिकार्ड कर उसे ब्लैकमेल करने के मामले दिन ब दिन एक विकराल समस्या बनते
जा रहे है। यदि आपको को लगता है कि आपका फोन सर्विलांस पर है तो घबराने की जरूरत
नहीं। आप चाहे तो सूचना के अधिकार (RTI) ऐक्ट के
तहत टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) से इसकी जानकारी मांग सकते है।
पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि
ट्राई को आवेदक की तरफ से उसके फोन के सर्विलांस या ट्रैकिंग की जानकारी देनी होगी
क्योंकि टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइड से ऐसी
जानकारी हासिल करना उसका अधिकार है। एक
मामले में जस्टिस सुरेश ने एक आदेश में कहा है कि अगर एक पब्लिक अथॉरिटी के पास
आरटीआई ऐक्ट के सेक्शन 2 (एफ) की परिभाषा के मुताबिक किसी प्राइवेट बॉडी से सूचना
हासिल करने का अधिकार है जो उसकी जवाबदेही भी है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में
पब्लिक अथॉरिटी की जवाबदेही बनती है कि वह प्राइवेट बॉडी से सूचना लेकर आवेदक को प्रस्तुत
करे। वकील कबीर शंकर बोस की याचिका पर यह फैसला सुनाया गया है।
जस्टिस सुरेश ने
ट्राई के उस दावे को खारिज कर दिया कि उसके पास प्राइवेट बॉडी जैसे इस मामले में
वोडाफोन इंडिया से सूचना हासिल करने की कोई शक्ति नहीं है। सितंबर में सेंट्रल
इन्फर्मेशन कमिशन (CIC) ने ट्राई को कहा था कि वह
वोडाफोन से सूचना लेकर बोस को उपलब्ध कराए। वोडाफोन ने भी खुद को प्राइवेट संगठन
बताते हुए वकील की आरटीआई याचिका से छूट की मांग की थी। वोडाफोन का तर्क था कि वह
आरटीआई ऐक्ट में परिभाषित कोई पब्लिक अथॉरिटी नहीं बल्कि प्राइवेट ऑर्गनाइजेशन है।
ट्राई ने भी कहा था कि बोस ने जो सूचना मांगी हैं उसके रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं
हैं। इस ग्राउंड पर ट्राई ने कहा
था कि किसी भी कानून या नियम के मुताबिक उन
सूचनाओं को देने की जरूरत नहीं है। ट्राई का तर्क था कि आरटीआई ऐक्ट ट्राई पर ऐसी
किसी अनुपलब्ध सूचना को एकत्र कर आवेदक को देने की जवाबदेही नहीं देता। हालांकि
हाई कोर्ट ने कहा कि पब्लिक अथॉरिटी प्राइवेट बॉडी से जुड़ी जो सूचना हासिल कर
सकती है ये सूचना भी उसी दायरे में आती है।
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