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- शंखनाद से दूर होता है अस्थमा-संक्रमण,दिल व पेट की बीमारी से जुड़े और भी बहुत सारे रोग....
Posted by : achhiduniya
07 November 2022
ब्रहमवैवर्त पुराण के अनुसार शंख सूर्य और
चन्द्रमा के समान देवस्वरूप है। इसके अग्र भाग में गंगा सरस्वती, पृष्ठ भाग में वरूण और मध्य में स्वयं ब्रहमा जी विराजमान है।
पौराणिक ग्रन्थ कहते है कि सृष्टि से आत्मा, आत्मा
से प्रकाश,
प्रकाश से आकाश, आकाश से
वायु, वायु से अग्नि, अग्नि से जल और जल से पृथ्वी
की उत्पति हुयी है। इन सभी तत्वों से मिलकर शंख का निर्माण हुआ है।★ जाने
फायदे:- यदि कोई बोलने में असमर्थ या किसी भी प्रकार का कोई वाणी दोष है जैसे:-
हकलापन-तोतलापन तो शंख बजाने से लाभ
मिलता है। शंख बजाने से कई तरह के फेफेड़े के
रोग जैसे दमा,
संक्रमण, क्षय, दिल की बीमारी, पेट की बीमारी और आस्थमा आदि
रोगों से निजात मिलती है। शंख बजाने से पूरे शरीर में वायु का प्रवाह अच्छे तरीके
से होता है,
जिससे हमारा शरीर निरोगी हो जाता है।शंख के जल से
शालिग्राम को स्नान करायें और उसके बाद उस जल को गर्भवती महिला को पिला देने से
होने वाला बच्चा स्वस्थ्य रूप से पैदा होता है। जिन महिलाओं को सन्तान न होने की
समस्या है। उन्हे यदि नियमित रूप से दक्षिणावर्ती शंख में जल
डालकर पिलाया जाये तो
सन्तान प्राप्त हो सकती है। शंख की ध्वनि में एक खास बात होती है कि इससे निकलने
वाली ध्वनि से 200 मीटर के अन्दर
वातावरण में रहने वाले ऐसे जीवाणु मर जाते है, जो अन्य किसी भी तरीके से नहीं मरते है। ब्रहमवैवर्त पुराण के
अनुसार शंख में जल भरकर रखने के कुछ समय पश्चात उसी जल से पूजन सामग्री धोयें एंव
बचे हुये जल को पूरे घर में छिड़कने से घर का वातारण शुद्ध हो जाता है,जिससे किसी भी प्रकार की नकारात्मक उर्जा भवन में टिक नहीं पाती
है।दक्षिणावर्ती शंख को पूजा कक्ष में रखकर उसका विधिवत पूजन करने से घर की आर्थिक
स्थिति बनी रहती है एंव परिवार में आपसी प्रेम का अच्छा वातावरण बना रहता है।
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