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बालिग दो जुड़वा बहनों ने एक ही लड़के से शादी की फिर भी लड़के के खिलाफ आईपीसी की धारा 494 के तहत केस दर्ज जाने क्यू..?
Posted by : achhiduniya
06 December 2022
महाराष्ट्र के सोलापुर में शादी का एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां दो
जुड़वा बहनों ने एक ही लड़के से शादी कर ली। यही नहीं इसके लिए दोनों पक्षों के
परिवारवालों ने भी मंजूरी दे दी। शादी बड़ी धूमधाम से हुई, इनकी शादी का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और
खूब सुर्खियां बटोर रहा है। हालांकि, इस
मामले में नया मोड़ उस वक्त देखने को मिला जब पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर
लिया। एक लड़के के साथ जुड़वा बहनों की शादी 2 दिसंबर
को हुई थी। इस शादी के लिए दोनों के परिवार वाले राजी थे। पिंकी और रिंकी दोनों
जुड़वा बहनें आईटी इंजीनियर हैं और मुबई में रहती है। कुछ दिन पहले ही इनके पिता
का निधन हो गया था।
जिसके बाद ये दोनों बहने अपने मां के साथ रहने लगी थीं। पिंकी
और रिंकी दोनों ने ही मिलकर अतुल से शादी करने का फैसला किया था। इस मामले को जब
पुलिस से शिकायत की गई तो अकलज पुलिस थाने में दूल्हे के खिलाफ केस दर्ज कर लिया
गया। दूल्हे के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा
494 के तहत केस दर्ज किया है। सोलापुर में दो जुड़वा बहनों से शादी
करने वाले दूल्हे अतुल पर केस इसलिए दर्ज किया गया है क्योंकि उसने दो लड़कियों से
शादी की। जबकि
हिंदू मैरिज एक्ट दो युवतियों से शादी करने की अनुमति
नही देता है। इसी कारण से
हिंदू मैरिज एक्ट के तहत दूल्हे पर केस दर्ज किया
गया है। दूल्हे अतुल पर आईपीसी
की धारा 494 के तहत केस दर्ज किया गया है। यह धारा ऐसी स्थिति में लगती है, जब शादी अमान्य हो। यदि कोई व्यक्ति दो शादी करता है, तो उसे सात साल की जेल या जुर्माना या दोनों ही सजा हो सकती है।
हालांकि इस धारा में एक अपवाद भी है, और वो
यह है कि यदि पहली शादी को अदालत अमान्य करार दे चुकी है, तो फिर दूसरी शादी की जा सकती है। इस हिसाब से यह माना जा सकता
है। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत लोग दूसरी शादी तभी कर सकते हैं, जब उनकी पहली पत्नी और पति की मौत हो चुकी हो या फिर उससे तलाक
हो चुका हो। 1955 में
हिंदू मैरिज एक्ट की धारा बनाई गई थी। इस एक्ट की धारा 5 के
तहत कई शर्तों को जोड़ा गया। इस पाचों शर्तों को पूरा करने के बाद ही शादी को
मान्य माना जाता है। शादी के समय लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल से
अधिक होनी चाहिए। साथ ही दूल्हा और दुल्हन दोनों की सहमति जरूरी है। शादी के समय
दूल्हा और दुल्हन की पति या पत्नी जीवित नहीं होना चाहिए। हिंदू धर्म में पति या
पत्नी के जीवित रहते शादी नहीं कर सकते, ऐसे में
दूसरी शादी तभी हो सकती
है। जब पहले पति या पत्नी की मौत हो चुकी हो या फिर पति या
पत्नी कई दिनों से गायब या गुम हो गए हो। इस स्थिति में पति या पत्नी का पता 7 साल
तक न चल पाया हो और उसके जीवित रहने के कोई सबूत न हो, तो ऐसी स्थिति में दूसरी शादी की जा सकती है। हिंदू धर्म के
अलावा ईसाई धर्म में भी दूसरी शादी करने की मनाही है। ऐसी स्थिति में इसाई धर्म के
लोग तभी दूसरी शादी कर सकते है, जब पति या पत्नी की मौत हो
चुकी हो। हालांकि मुस्लिम धर्म में चार शादी करने की इजाजत दी गई है। 1954 में एक
स्पेशल एक्ट भी लागू हुआ था। यह कानून कहता है कि दो अलग-अलग धर्मों के वयस्कों को
शादी करने का अधिकार है। हमारे देश में स्पेशल मैरिज एक्ट सभी लोगों पर लागू होता
है और इसके लिए दूल्हा और दुल्हन को धर्म बदलने की जरूरत नहीं है। हिंदुओं के
शादियों के लिए मैरिज एक्ट, फिर मुस्लिमों की शादी की बात
करें तो उनके लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बना हुआ है। वहीं सिख, जैन और बौद्ध धर्मों के लोगों के लिए भी हिंदु मैरिज एक्ट ही
लागू होता है।
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