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- अपना कद बढ़ाने अंदरूनी संकटों से कांग्रेस की तारनहार बनती प्रियंका गांधी...
Posted by : achhiduniya
11 December 2022
2019 में पॉलिटिक्स में एंट्री करने के बाद
प्रियंका गांधी कांग्रेस
हाईकमान के लिए कई बार संकटमोचक की भूमिका निभा चुकी हैं। इनमें राजस्थान में बागी
सचिन पायलट को मनाने से लेकर पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को सत्ता से हटाने तक
के फैसले शामिल हैं। साल 2020 में राजस्थान कांग्रेस के 20 विधायकों के साथ
तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने बगावत कर दी। सभी विधायक हरियाणा के मानेसर में जाकर बैठ गए।
विधायकों के बागी होने से अशोक गहलोत की सरकार संकट में आ गई। अहमद पटेल के साथ
मिलकर प्रियंका ने संकट को सुलझाने का जिम्मा लिया। प्रियंका और पटेल के सक्रिय
होते ही पायलट खेमा नरम पड़ गया। विधायक
होटल से राजस्थान लौटने लगे और आखिर में
सचिन पायलट अपनी मांगों को लेकर कांग्रेस कार्यालय पहुंचे। इसके बाद पार्टी ने गहलोत-पायलट के बीच समझौता
कराया। पंजाब में चुनाव से पहले कांग्रेस विधायकों ने तत्कालीन सीएम कैप्टन
अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। चुनावी साल में विधायकों की नाराजगी ने
हाईकमान की टेंशन बढ़ा दी। इधर दिग्गज
नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह भी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं थे। प्रियंका ने यहां भी
मोर्चा संभाला और लगातार 10
जनपथ पर सोनिया के साथ मीटिंग
की। विधायकों की नाराजगी को देखते हुए कैप्टन ने इस्तीफा दे दिया। कैप्टन के
इस्तीफे के बाद हाईकमान पर नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर भी दबाव बढ़ गया। बाद
में प्रियंका ने राहुल के साथ मिलकर चन्नी को सीएम बनाने का फैसला किया। पंजाब में
पहली बार किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाया गया। हिमाचल में हाईकमान ने सुक्खू के साथ ही
मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम बनाने का भी फैसला किया। इसे राज्य में
ठाकुर-ब्राह्मण वोटरों के बीच संतुलन साधने के रूप में देखा जा रहा है। प्रियंका गांधी वर्तमान में उत्तर प्रदेश
की प्रभारी महासचिव हैं। हालांकि, 2022 के
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद से ही वे निष्क्रिय हैं। 2022 में हार के बाद अब तक प्रियंका यूपी कांग्रेस के सिर्फ एक
कार्यक्रम में शामिल हुई हैं।
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