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- 'सरकार-किसान मिलिनी' कार्यक्रम के माध्यम से पंजाब सकरार साधेगी किसानो से संवाद
Posted by : achhiduniya
20 January 2023
बीते साल केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त कर किसानो को आशस्वस्त किया
गया था,फिर भी किसानों के बीच
केंद्र सरकार व राज्य सरकारो को लेकर कई मुद्दो को लेकर रोष
बरकरार है। इस पर अब पंजाब सरकार ने किसानों को एक साथ एक मंच पर लाने और सीएम भगवंत मान से बातचीत करने का फैसला किया है। पंजाब सरकार के अधिकारी ने
बताया कि इस मामले पर अन्य कैबिनेट मंत्रियों को भी बैठक के लिए बुलाया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि किसान पहले अपनी मांगों को
लेकर संगरूर में सीएम
आवास के बाहर धरने पर बैठे थे और अब उन्होंने टोल प्लाजा का
घेराव कर दिया है। वे पिछले साल जुलाई से जीरा में एक निजी शराब की भठ्ठी को भी
लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। जो अब समाप्त हो चुका है। इससे सरकार चिंतित है कि
किसान नियंत्रण में नहीं हैं। इससे एक गलत संदेश भी जाता है क्योंकि विपक्षी
पार्टियां इस मुद्दे का राग अलापती रहती हैं। पंजाब सरकार ने इसलिए यह महसूस किया
है कि किसानों के साथ संवाद से मुद्दों को हल करने मदद मिलेगी। संवाद
कई मुद्दों
को सुलझा सकता है। सरकार-किसान मिलिनी के दौरान विभिन्न कृषि विशेषज्ञों को शामिल
किया जाएगा और कई सत्र आयोजित किए जाएंगे। पंजाब सरकार के अधिकारी ने कहा कि
कार्यक्रम में हमें हर जिले से 150 किसान मिलेंगे। 6,000 किसानों के रहने की व्यवस्था की जाएगी। पीएयू, गुरु
अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी (जीएडीवीएएसयू) के विशेषज्ञ और
बिजली व कृषि विभाग के अधिकारी किसानों के साथ विचार-विमर्श करेंगे। सरकार बैठक
में कृषि के बारे में नवीनतम जानकारी सामने लाने की भी योजना बना रही है। किसानों
को पर्यावरण के अनुकूल उपाय करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा। गौरतलब है कि किसानों
की नाराजगी दूर करने के लिए अब पंजाब सरकार ने सरकार-किसान मिलिनी कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला लिया है। किसानों और सरकार के बीच पहला संवाद 12 फरवरी को पंजाब कृषि
विश्वविद्यालय (पीएयू) परिसर में होगा, जहां
मुख्यमंत्री भगवंत मान किसानों की व्यथा सुनने के लिए
उनके साथ समय बिताएंगे। सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 6 जनवरी को एक बैठक कर
चुकी है। विवरण को अंतिम रूप देने के लिए दूसरी बैठक 20 जनवरी को होगी। एक मीडिया
रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि किसान विरोध प्रदर्शनों में
शामिल होते हैं और आम जनता के लिए भी समस्याएं पैदा करते हैं।
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