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- अपनी चाइस का बच्चा नहीं ले सकते गोद हाई कोर्ट ने दी संवैधानिक हिदायत....
Posted by : achhiduniya
21 February 2024
दिल्ली हाई कोर्ट न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने उस नियम को
बरकरार रखा, जिसके तहत दो या दो से अधिक बच्चों वाले दंपति को केवल विशेष
जरूरतों वाले या ऐसे बच्चों को गोद लेने की अनुमति दी जाती है, जिन्हें अधिक लोग गोद
लेने के इच्छुक नजर नहीं आते। कोर्ट ने कहा कि इस प्रक्रिया में बच्चों के कल्याण को
तरजीह दी जाती है और भावी दत्तक माता-पिता (पीएपी) के अधिकारों को इस पर तवज्जो नहीं
दी जा सकती। हाई कोर्ट ने एक हालिया आदेश में कहा, गोद लेने के अधिकार को
अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार
का दर्जा नहीं दिया जा सकता है और न ही इसे उस
स्तर तक बढ़ाया जा सकता है जिससे पीएपी को यह विकल्प मिले कि किसे गोद लेना है।
गोद लेने की प्रक्रिया पूरी तरह बच्चों के कल्याण के आधार पर संचालित होती है। अदालत
ने कहा कि यह सुनिश्चित करें कि विशेष आवश्यकता वाले अधिक से अधिक बच्चों को गोद
लिया जाए। अदालत का फैसला दो बच्चों वाले कई पीएपी की याचिकाओं पर आया, जिन्होंने किशोर न्याय बच्चों
की देखभाल और संरक्षण अधिनियम, 2015 के अनुसार तीसरे बच्चे
को गोद लेने के लिए आवेदन किया था। न्यायाधीश ने कहा कि गोद लेने के लिए लंबा
इंतजार करना पड़ता है और कई निःसंतान दंपति और एक बच्चे वाले माता-पिता हैं, जो सामान्य बच्चे को गोद
लेना चाहेंगे, ऐसे में विशेष जरूरतों वाले बच्चे को गोद लेने की संभावना बहुत कम
हो जाती है, इसलिए उपरोक्त नियम का उद्देश्य केवल यही है।