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- V-VIP सुरक्षा कैसी और कितने कैटेगरी की होती है,कितना आता है खर्चा...?
Posted by : achhiduniya
06 March 2024
भारत में सुरक्षा व्यवस्था को छह अलग-अलग कैटेगरी में बांटा
गया है, जो खतरे
के स्तर पर आधारित होती हैं। ये हैं X, Y,
Z, Y+, Z+ और एसपीजी सुरक्षा। हर कैटेगरी के लिए सुरक्षा देने की
जिम्मेदारी अलग-अलग एजेंसियों की होती है। X कैटेगरी की सुरक्षा:- यह सुरक्षा
उन व्यक्तियों को दी जाती है,जिनके जीवन पर मामूली खतरा होता है। जैसे कि सरकारी
अधिकारी, राजनीतिक
नेता, धार्मिक
नेता, सामाजिक
कार्यकर्ता या कोई अन्य मशहूर व्यक्ति। इस सुरक्षा में 2 सशस्त्र पुलिस कर्मी शामिल होते हैं,जो 24/7 सुरक्षा प्रदान करते हैं। इनमें कोई कमांडो शामिल नहीं होता
है। यह एक पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) द्वारा
प्रदान की जाती है। यह भारत में सबसे बुनियादी सुरक्षा स्तरों में से एक है। Y कैटेगरी की सुरक्षा:- यह सुरक्षा उन लोगों को प्रदान की
जाती है,जिनके जीवन पर मध्यम
खतरा होता है। इस कैटेगरी की सुरक्षा में 8 कर्मी होते हैं,जिनमें 1 या 2 कमांडो
और बाकी पुलिसकर्मी शामिल होते हैं। दो पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर भी होते हैं। यह
भारत में सबसे आम सिक्योरिटी कैटेगरी में से एक है। 1 या 2 गाड़ी का
काफिला साथ चलता है। Y+ कैटेगरी की सुरक्षा:- इसमें 2
से 4 कमांडो
समेत कुल 11 सुरक्षाकर्मी
शामिल होते हैं। साथ ही 2 पीएसओ
अधिकारी भी होते हैं। ये कमांडो 24 घंटे
संबंधित व्यक्ति पर पैनी नजर रखते हैं। संबंधित व्यक्ति के अपने निवास स्थान से
बाहर जाने पर दो से तीन गाड़ियों का काफिला साथ रहता है। Z कैटेगरी की सुरक्षा:- ये भारत में तीसरे उच्चतम स्तर की
सुरक्षा है। यह उन लोगों को प्रदान की जाती है,जिन्हें माना जाता है कि उनके ऊपर
ज्यादा खतरा है। 22 कर्मी सुरक्षा
घेरे में शामिल होते हैं। इनमें 4 से 6 NSG कमांडो होते हैं। बाकी दिल्ली पुलिस, ITBP या CRPF के जवान शामिल होते हैं।
कम से कम तीन पीएसओ होते हैं।
काफिले में कम से कम पांच गाड़ियां होती हैं जिनमें एक बुलेटप्रूफ होती है। Z+ कैटेगरी की सुरक्षा:- स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप के बाद Z+ भारत में सुरक्षा का सबसे ऊंचा स्तर माना जाता है। ये
सुरक्षा ज्यादातर प्रधानमंत्री, केंद्रीय
मंत्री और मुख्यमंत्रियों को दी जाती है। Z+ सुरक्षा में संबंधिक व्यक्ति के पास 55 सुरक्षाकर्मी होते हैं, जिनमें 10 से
ज्यादा NSG कमांडो
और पुलिसकर्मी शामिल होते हैं। ये सभी कमांडो मार्शल आर्ट और बिना हथियार के लड़ने
में सक्षम होते हैं। साथ ही ये
आधुनिक हथियारों और कम्युनिकेशन डिवाइस से लैस होते हैं। पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर की संख्या को स्थिति के
अनुसार घटाया या बढ़ाया जा सकता है।
काफिले में पांच से ज्यादा बुलेटप्रूफ गाड़ियां
होती हैं। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) सुरक्षा:- ये सबसे उच्च स्तर की सुरक्षा है। देश
में एसपीजी की सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री को ही मिलती है। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का गठन अक्टूबर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद
किया गया था। 1988 में संसद
में एसपीजी एक्ट पारित किया गया। पहले ये सुरक्षा पूर्व प्रधानमंत्री और उनके
परिवार को भी दी जाती थी,लेकिन मोदी सरकार ने कानून में संशोधन करके प्रावधान किया
कि ये सुरक्षा सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री को ही मिलेगी। एसपीजी कमांडो
प्रधानमंत्री के चारों ओर सुरक्षा का एक अभेद्य घेरा बनाते हैं, जिसमें कोई भी बिना अनुमति के प्रवेश नहीं कर सकता।
चार स्तर
की सुरक्षा में 24 कमांडो
तैनात रहते हैं। ये FNF-2000 असॉल्ट
राइफल और GLOCK 17 पिस्टल
जैसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं। ये सभी कमांडो प्रधानमंत्री के आसपास
चल रही गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं। पीएम के काफिले में दर्जनभर गाड़ियां
होती हैं। इनमें बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज की
सिडान, बीएमडब्ल्यू
एक्स3 और एक
मर्सिडीज बेंज कार होती है। इसके अलावा एक एंम्बुलेंस और टाटा सफारी जैमर भी
काफिले में होती है। अभी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हर दिन करीब 1 करोड़ 17 लाख
रुपये खर्च होते हैं। 2020-21 में एसपीजी का कुल बजट करीब 592 करोड़ रुपये था। देश में वीआईपी लोगों की सुरक्षा करना काफी
महंगा सौदा है। 2019 में 20 हजार से ज्यादा जवान वीआईपी और वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा
में तैनात थे। 2019 में 19,467 मंत्रियों, सांसदों, न्यायाधीशों, नौकरशाहों और अन्य हस्तियों की सुरक्षा के लिए 66,043 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे।
जबकि 2018 में 63,061 पुलिसकर्मी तैनात थे। ये आंकड़ा गृह
मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डवलपमेंट (बीपीआरएंडडी)
की रिपोर्ट में दिया गया है। इनमें 43,566 पुलिसकर्मी
थे। करीब 30 हजार
गाड़ियां वीआईपी सुरक्षा काफिले में शामिल थी। 60 हजार से ज्यादा जवान इनकी सुरक्षा में तैनात थे और सालाना 12 हजार करोड़ रुपये का खर्च था। इस खर्च में सुरक्षाकर्मियों
का वेतन और पेट्रोल डीजल का खर्चा ही शामिल है। खाना पीना
, ट्रेवलिंग अलाउंस, भत्ता
अलग है। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर ये खर्चा वहन करती हैं।