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- सृष्टि में कुछ ऐसे लोग हैं जो नहीं सुधरते,दुष्ट लोगों का वध होना चाहिए...मोहन भागवत
Posted by : achhiduniya
25 April 2025
मुंबई में आयोजित
पंडित दीनानाथ मंगेशकर की 83 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में पहलगाम
आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत
ने पहलगाम आतंकी हमले पर कहा कि यह किसी पंथ या संप्रदाय की लड़ाई नहीं है। अभी जो
लड़ाई चल रही है यह धर्म और अधर्म की लड़ाई है। उन्होंने आगे कहा सृष्टि की कुछ
चीजे हैं,जिसको सुधारना पड़ता है, लेकिन सृष्टि में कुछ ऐसे लोग हैं जो नहीं सुधरते
है क्योंकि जो शरीर बुद्धि मन उन्होंने धारण किया है उसमें अब परिवर्तन संभव नहीं
है। संघ प्रमुख ने उदाहण
देते हुए कहा,जैसे
रावण वेद शास्त्र संपन्न था लेकिन जो शरीर उसने धारण किया था उसमें वो बदलने को
तैयार नहीं था, मतलब जब
तक रावण दूसरा जन्म नहीं लेता, ये शरीर नहीं छोड़ता, तब तर्कों से सुधरेगा नहीं,
मतलब रावण सुधरना चाहिए इसलिए श्री राम ने
उसका वध किया। हम लोग ऐसे ही हैं जो सबको स्वीकार करते हैं। सब अच्छे हैं,लेकिन
हमारे देश की सेना है क्यों सेना है? अगर हम सोच ले कि अब सेना की जरूरत नहीं है,
कोई युद्ध नहीं होगा। अगर गफलत में रहे तो
1962 में प्रकृति ने हमें
एक
पाठ सिखाया। अब हम रक्षा के बारे में एक से बढ़कर एक अच्छा होने की कोशिश कर
रहे हैं। इसलिए ऐसे दुष्ट लोगों का वध होना चाहिए। पहलगाम की घटना से क्रोध है और
अपेक्षा भी है। अपेक्षा पूरी होगी मुझे ऐसा लगता है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां धर्म पूछकर किसी को
नहीं मारा जाता लेकिन कट्टरपंथियों ने पहलगाम में जो उत्पात किया,
धर्म पूछकर मारा, हिंदू कभी ऐसा नहीं करेगा,लेकिन अपने संप्रदाय को
लेकर गलत मतलब निकालने वाले कट्टरपंथी ऐसा करेंगे इसलिए देश ताकतवर होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस घटना से हम सभी दुखी हैं, सबका मन दुखी है, सब परिवार जनों के दुख में हम सब सहभागी हैं,लेकिन
हमारे मन में गुस्सा है और होना भी चाहिए क्योंकि असुरों का अंत करना है तो अष्ट
भुजाओं की शक्ति होनी ही चाहिए।
उन्होंने कहा,अपने अगल बगल के लोगों को देखना चाहिए कि उसमें
अच्छी बात कौन सी है। अच्छी बातें हमको बड़ा करेंगी। ऐसा प्रोत्साहन देना चाहिए
हमें अपने मित्र को। मतलब साफ है कि जो रावण नहीं है वो सब अच्छे थे और जो रावण है
उसे भगवान राम देख लेंगे। अभी ऐसा प्रसंग होता है कि कुछ होता है तो हम उत्तर देते
हैं। दमदार उत्तर देते हैं। इस बार भी ऐसा ही उत्तर मिलेगा ऐसी अपेक्षा हम करते
हैं। परंतु ऐसा प्रसंग हो फिर हम उत्तर दें, ऐसा होने का क्यों?..ऐसा प्रसंग हो ही न। संघ प्रमुख ने एकता पर जोर
देते हुए कहा,कलियुग
में संघ शक्ति का मतलब होता है एकत्र होना, साथ रहना ही एक शक्ति है और ऐसे समय में जो संताप
होना चाहिए उसमें कोई जात-पात, धर्म संप्रदाय नहीं देखता। कहीं से भी किसी भी
प्रांत से ऐसी बात आई नहीं। मूल बात ये है कि सब भूलकर हम देश की प्रतिष्ठा के लिए
खड़े हैं। ये स्वभाव से होता है। अगर ऐसा हुआ तो तिरछी नजर करके देखने की किसी की
हिम्मत नहीं होगी और किसी ने देखा तो उसकी आंख भी फूटेगी।
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