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- केंद्र सरकार जातिगत जनगणना करने की तैयारी में…कैसे और क्या है माइने....?
Posted by : achhiduniya
30 April 2025
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कैबिनेट
ब्रीफिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व
वाली केंद्र सरकार जातिगत जनगणना कराने वाली है. इस बात की जानकारी दी। देश में
शुरू होने वाली जनगणना के साथ ही इसके आंकड़े भी जुटाए जाएंगे। जनगणना के फॉर्म
में ही जाति का भी कॉलम रखा जाएगा। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर था। आजादी
के बाद अभी तक जितनी भी जनगणनाएं हुईं, उनमें
जातियों की गणना कभी नहीं की गई। हालांकि 2010
में
तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन जरूर दिया था
कि जातिगत जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। इसके बाद एक मंत्रिमंडल समूह
का गठन भी हुआ। इसके बाद भी सरकार ने जातिगत जनगणना के बजाय सिर्फ एसईसीसी सर्वे
कराया। जाति
जनगणना का उद्देश्य केवल आरक्षण का मुद्दा ही नहीं है बल्कि जाति
जनगणना उन बड़ी संख्या में मुद्दों को सामने लाएगी जिन पर किसी भी लोकतांत्रिक देश
को ध्यान देने की जरूरत है, खासतौर से उन
लोगों की संख्या जो हाशिये पर हैं या जो वंचित हैं या वे किस तरह का व्यवसाय करते
हैं। इससे बेहतर नीतियां और रणनीतियां बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा संवेदनशील
मुद्दों पर ज्यादा तर्कसंगत बहस भी हो सकेगी। समाज की
जनसंख्या की गणना करना, उसका वर्णन
करना, उसे समझना
साथ ही लोगों की किन चीजों तक पहुंच है और किन चीजों से उन्हें वंचित रखा गया है,
ये
जानना न केवल सामाजिक वैज्ञानिकों के लिए बल्कि नीति निर्माताओं और सरकार के लिए
भी जरूरी है।
इसके लिए
जनगणना अपनी तरह की प्रक्रियाओं में से एक है। हालांकि जनगणना के आलोचकों का मानना
है कि समाजिक संरचना को पूरी तरह से समझने के लिए जातिगत जनगणना को नियमित कराने
का सुझाव देते हैं। पहली जातिगत जनगणना सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी)
के रूप में 1931 में हुई थी। इसका
उद्देश्य हर व्यक्ति से उसकी जाति का नाम पूछना था,
ताकि
सरकार यह पुनर्मूल्यांकन कर सके कि कौन से जाति समूह आर्थिक रूप से सबसे खराब
स्थिति में हैं और कौन से बेहतर स्थिति में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार सरकारों
से जातियों से संबंधित आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा है,
लेकिन
आंकड़े उपलब्ध न होने के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया है।
जनगणना का
विषय संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय
सूची की क्रम संख्या 69 पर है और ये
केंद्र का विषय है। हालांकि सर्वे के जरिए कई राज्यों ने जातियों की गणना की है। हालांकि
अनुसूचित जातियों, अनुसूचित
जनजातियों, धर्मों और
भाषाई प्रोफाइल के लिए जनगणना के आंकड़े एकत्र किए गए हैं,
लेकिन
1931 के बाद से भारत में सभी जातियों की प्रोफाइलिंग
नहीं की गई है। सर्वे का बड़ा डेटा या तो जारी नहीं किया गया या फिर केवल कुछ
हिस्सों में ही जारी किया गया है।