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- तीनसूत्रीय सलाह जाति जनगणना पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र लिख कर दी
Posted by : achhiduniya
06 May 2025
कांग्रेस पार्टी के
अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने विचारों के बारे में अवगत कराते हुए पीएम मोदी
को लेटर में लिखा,आपने बिना किसी स्पष्ट विवरण के यह घोषणा की है कि अगली जनगणना (जो
वास्तव में 2021 में
होनी थी) में जाति को भी एक अलग श्रेणी के रूप में शामिल किया जाएगा। इस संबंध में
मेरे तीन सुझाव हैं, जिन पर आप कृपया विचार करें।{1} जनगणना से सम्बंधित प्रश्नावली का
डिजाइन अत्यंत महत्वपूर्ण है। जाति संबंधी जानकारी केवल गिनती के लिए नहीं बल्कि
व्यापक सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एकत्र की जानी चाहिए। हाल
ही में संपन्न तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण को इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में
रखते हुए डिजाइन और कार्यान्वित किया गया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय को जनगणना में
इस्तेमाल किए जाने वाले प्रश्नावली और पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिए
तेलंगाना
मॉडल का उपयोग करना चाहिए। प्रक्रिया के समाप्ति के अंत में प्रकाशित होने वाली
रिपोर्ट में कुछ भी छिपाया नहीं जाना चाहिए ताकि प्रत्येक जाति के पूर्ण
सामाजिक-आर्थिक आंकडे सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हों, जिससे एक जनगणना से दूसरी जनगणना तक उनकी
सामाजिक-आर्थिक प्रगति को मापा जा सके और उन्हें संवैधानिक अधिकार दिए जा सकें।{2}
अगस्त 1994 में
तमिलनाडु का आरक्षण कानून अधिनियम हमारे संविधान की नवीं सूची में शामिल किया गया
था। इसी तरह सभी राज्यों द्वारा पारित आरक्षण संबंधी अधिनियमों को संविधान की नवीं
सूची में शामिल किया जाना चाहिए।
इसके अलावा जाति जनगणना के जो भी नतीजे आएं,
यह स्पष्ट है कि अनुसूचित जातियों,
अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों
के लिए आरक्षण पर मनमाने ढंग से लगाई गई 50% की अधिकतम सीमा को संविधान संशोधन के माध्यम से
हटाया जाना होगा।{3} अनुच्छेद 15(5) को भारतीय संविधान में 20 जनवरी 2006 से लागू किया गया था। इसके बाद इसे सर्वोच्च
न्यायालय में चुनौती दी गई। लंबे विचार-विमर्श के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने 29 जनवरी 2014 को इसे बरकरार रखा। यह फैसला 2014
के लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू
होने से ठीक पहले आया। यह निजी शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जातियों,
अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए
आरक्षण का प्रावधान करता है।
उच्च शिक्षा विभाग के लिए अनुदान की मांग पर अपनी 364वीं रिपोर्ट में, जिसे 25 मार्च 2025 को प्रस्तुत किया गया था। शिक्षा,
महिला, बाल, युवा और खेल पर संसदीय स्थायी समिति ने भी
अनुच्छेद 15 (5) को लागू करने के लिए नए कानून बनाने की भी सिफारिश की थी। इसके अलावा
खरगे ने लिखा,जाति
जनगणना जैसी किसी भी प्रक्रिया को, जो पिछड़ों, वंचितों और हाशिये पर खड़े लोगों को उनके अधिकार
दिलाने का माध्यम बनता है, किसी भी रूप में विभाजनकारी नहीं माना जाना
चाहिए। हमारा महान राष्ट्र और हमारे विशाल हृदय लोग विपरीत परिस्थितियों में हमेशा
एकजुट होकर खड़े हुए हैं।