- Back to Home »
- National News »
- सिंधु जल समझौते पर इस्लामिक सहयोग संगठन [OIC] की टिप्पणी का भारत ने दिया जवाब
Posted by : achhiduniya
24 June 2025
भारत और पाकिस्तान ने 1960 में
सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते में भारत और पाकिस्तान के बीच
नदियों के पानी को बांटने को लेकर नियम तय किए गए हैं। हालांकि, हाल
ही में भारत ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इस संधि सस्पेंड
कर दिया था। भारत ने इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की आलोचना करते हुए कहा कि उसने उसके बारे में अनुचित
और तथ्यात्मक रूप से गलत संदर्भ दिए हैं। भारत ने कहा कि ये संदर्भ पाकिस्तान
द्वारा संचालित हैं, जिसने आतंकवाद को स्टेटक्राफ्ट में बदल दिया है। तुर्की में आयोजित OIC के
दो दिवसीय विदेश मंत्री सम्मेलन में भारत की आलोचना की गई। इस पर नई दिल्ली ने भी
प्रतिक्रिया दी। OIC के सम्मेलन में कई मुद्दों पर नई दिल्ली की आलोचना की
गई थी। इसमें भारतीय मुसलमानों का सामाजिक रूप से हाशिए पर होना भी शामिल है। OIC ने
सिंधु जल संधि सहित भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय समझौतों का सख्ती से पालन
करने का आह्वान किया और सभी लंबित विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए व्यापक
आधार वाली बातचीत की आवश्यकता पर बल दिया। बयान में कहा गया है कि हम दोनों पक्षों
से अधिकतम संयम बरतने और ऐसे कार्यों से बचने की आवश्यकता पर जोर देते हैं, जो
क्षेत्र को अस्थिर कर सकते हैं।
बयान में सिंधु समझौते का जिक्र करते हुए कहा गया
है कि इसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए और दोनों पक्षों को इसका पालन करना चाहिए। विदेश
मंत्रालय ने एक बयान में कहा,भारत ओआईसी के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में
भारत के बारे में अनुचित और तथ्यात्मक रूप से गलत संदर्भों को स्पष्ट रूप से खारिज
करता है। आतंकवाद को स्टेट्क्राफट में बदलने वाले पाकिस्तान द्वारा संचालित ये
बयान संकीर्ण राजनीतिक उद्देश्यों के लिए ओआईसी मंच के निरंतर दुरुपयोग को दर्शाते
हैं। भारत ने आगे कहा,यह भी विडंबना है कि पाकिस्तान, जिसका मानवाधिकारों का रिकॉर्ड बहुत खराब है और जिसका
इतिहास आतंकवादियों को पनाह देने, पालने और सशक्त बनाने का है,
वह
दूसरों को आतंकवाद और मानवाधिकारों पर उपदेश दे रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि
ओआईसी बैठक में पाकिस्तान द्वारा की गई टिप्पणियां स्टेट स्पांसर टेरारिज्म
अल्पसंख्यक उत्पीड़न और सांप्रदायिक हिंसा के अपने भयावह रिकॉर्ड, शासन
की विफलता के अलावा अंतरराष्ट्रीय ध्यान हटाने के लिए एक हताश प्रयास से अधिक कुछ
नहीं हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ओआईसी द्वारा पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद के
वास्तविक और प्रलेखित खतरे को स्वीकार करने में बार-बार विफलता, जिसका
सबसे हाल ही में पहलगाम हमले में सबूत मिला, तथ्यों के प्रति जानबूझकर उपेक्षा को दर्शाता है। मंत्रालय
ने कहा,ओआईसी के पास भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है, जिसमें
जम्मू कश्मीर भी शामिल है, जो भारत का एक अभिन्न और संप्रभु हिस्सा है।