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- प्राइवेट यूनिवर्सिटीज 'पब्लिक अथॉरिटी' हैं और सूचना का अधिकार (RTI) कानून….
Posted by : achhiduniya
26 June 2025
GIC {गुजरात इन्फॉर्मेशन कमीशन} ने गुजरात सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह गुजरात प्राइवेट
यूनिवर्सिटीज एक्ट 2009 के तहत बनी सभी यूनिवर्सिटीज़ में RTI
कानून को लागू करने
के लिए जरूरी कदम उठाए। यह फैसला प्रोफेसर देवदत्त राणा की अपील पर आया,
जिन्होंने वडोदरा की
पारुल यूनिवर्सिटी से RTI के तहत कुछ जानकारी मांगी थी। पारुल
यूनिवर्सिटी ने यह कहकर जानकारी देने से इनकार कर दिया था कि वह एक प्राइवेट
यूनिवर्सिटी है और उसे सरकार से कोई फंड नहीं मिलता, इसलिए वह RTI के दायरे में नहीं आती।
GIC ने एक अहम फैसले में कहा है कि प्राइवेट यूनिवर्सिटीज भी पब्लिक
अथॉरिटी हैं और सूचना का अधिकार (RTI) कानून के
तहत आती हैं। प्रोफेसर राणा ने इस पर दलील दी कि चूंकि
यूनिवर्सिटी गुजरात विधानसभा द्वारा पास किए गए एक्ट के तहत बनी है,
इसलिए यह RTI
कानून की परिभाषा के
अनुसार पब्लिक अथॉरिटी है। गुजरात इन्फॉर्मेशन कमीशन,
जिसकी अध्यक्षता चीफ
इन्फॉर्मेशन कमिश्नर डॉ. सुभाष सोनी कर रहे थे, ने राणा की दलील को सही ठहराया। कमीशन ने RTI
एक्ट की धारा 2
का हवाला देते हुए
कहा कि कोई भी संस्था, जो संसद या राज्य विधानसभा के कानून से
बनी हो, वह पब्लिक अथॉरिटी कहलाती है।
इसके अलावा,
यूनिवर्सिटी ग्रांट
कमीशन (UGC) की वेबसाइट के अनुसार भी प्राइवेट
यूनिवर्सिटीज RTI के दायरे में आती हैं।
कमीशन ने गुजरात सरकार से सिफारिश की है कि वह
गुजरात प्राइवेट यूनिवर्सिटीज एक्ट, 2009 के तहत बनी सभी यूनिवर्सिटीज में RTI
कानून को लागू करने
के लिए जरूरी आदेश जारी करे। इस फैसले से निजी विश्वविद्यालयों में पारदर्शिता
बढ़ने की उम्मीद है, और आम लोग इन संस्थानों से आसानी से
जानकारी हासिल कर सकेंगे। यह फैसला न केवल पारुल यूनिवर्सिटी के लिए,
बल्कि गुजरात की सभी
प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के लिए एक मिसाल बनेगा। इससे शिक्षा क्षेत्र में जवाबदेही
और खुलेपन को बढ़ावा मिलेगा।