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- स्कूली शिक्षा में PB-CM ममता बनर्जी की लिखी 19 किताबें शामिल करने से छिड़ा सियासी विवाद
Posted by : achhiduniya
26 June 2025
बंगाल टीचर्स
एंड इंप्लॉइज एसोसिएशन के महासचिव स्वपन मंडल ने इस फैसले को तानाशाही करार दिया।
उन्होंने कहा,यह शिक्षा विभाग का तानाशाही भरा कदम है। सूची में ममता बनर्जी की 19
नहीं,
बल्कि 90
किताबें हैं। बंगाल
के बच्चे रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चटर्जी जैसे साहित्यकारों को पढ़ते हैं।
उन्हें ममता बनर्जी की किताबें पढ़ने के लिए मजबूर करना गलत है। हमारे देश में
किसी भी मुख्यमंत्री ने अपने विचार बच्चों पर थोपने की हिम्मत नहीं की। अगर
छात्रों को टैगोर, बंकिम चंद्र या ममता बनर्जी में से किसी
को पढ़ने की आजादी मिले, तो क्या वे ममता को चुनेंगे?
यह स्कूलों पर
जबरदस्ती लादा जा रहा है, जो उनकी स्वतंत्रता में सीधा हस्तक्षेप
है। उन्होंने ममता बनर्जी से मांग की कि अगर यह फैसला उनकी जानकारी के
बिना लिया गया है, तो वे शिक्षा विभाग को इन किताबों को
वापस
लेने का निर्देश दें। दरअसल,पश्चिम बंगाल के स्कूल शिक्षा विभाग के एक
आदेश ने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को लाइब्रेरी के लिए किताबें
खरीदने का निर्देश दिया है, जिसमें 536 किताबों की सूची दी गई है। इस सूची में
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लिखी 19 किताबें शामिल हैं,जिसे लेकर शिक्षक संगठनों और विपक्षी दलों
ने तीखा विरोध जताया है। शिक्षा विभाग ने किताबों की सूची को 5
सेटों में बांटा है
और प्रत्येक सेट में
ममता बनर्जी की कम से कम एक किताब अनिवार्य रूप से शामिल है। इन किताबों की खरीद
के लिए 2,026 स्कूलों को 20.26
करोड़ रुपये का
अनुदान दिया गया है, जिसमें प्रत्येक स्कूल को 1
लाख रुपये मिले हैं।
बीजेपी ने भी इस आदेश को लेकर तृणमूल
कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने कहा,
एक तरफ सरकारी
स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, सरकार उनके लिए पैसा नहीं देती। दूसरी तरफ
ममता बनर्जी की किताबों के लिए पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है। यह सरकारी धन का
दुरुपयोग है। ममता अपनी किताबें खुले बाजार में बेचकर दिखाएं,
तब पता चलेगा कि
उनकी किताबें रद्दी में बिकेंगी और सिर्फ भेलपुरी बेचने वालों के काम आए।
विपक्षी नेता
सुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकारी स्कूलों में अपनी किताबें
बेचकर रॉयल्टी कमाने की फिराक में हैं। उन्होंने कहा,किताबें बिकेंगी तो ममता को रॉयल्टी
मिलेगी। यह ब्लैक मनी को व्हाइट करने की साजिश है, जो चुनाव हारने के बाद उनके काम आएगी। तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने इन
आरोपों का जवाब देते हुए कहा,ममता बनर्जी की जिंदगी संघर्षों से भरी
रही है। वे बेहद अनुभवी हैं। उनकी किताबें बच्चों को प्रेरणा देंगी। अगर लाइब्रेरी
में उनकी किताबें रखी जा रही हैं, तो इसमें गलत गलत है?
उन्होंने भाजपा पर
पलटवार करते हुए कहा,अगर बीजेपी के नेता किताबें लिख सकते हैं,
तो वे भी लिखें।
उन्हें किसने रोका है?