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3 करोड़ मतदाता होंगे प्रभावित बिहार चुनाव के पहले भारत निर्वाचन आयोग की SIR के खिलाफ ADR पहुंची कोर्ट
Posted by : achhiduniya
05 July 2025
बिहार में इस साल के अंत में
विधानसभा चुनाव होने हैं। 24 जून को भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने बिहार में मतदाता सूची में सुधार के लिए SIR (Special Intensive Revision) अभियान चलाने का निर्देश जारी किया
था, जिसका उद्देश्य अपात्र नामों को मतदाता सूची से हटाना और
पात्र नागरिकों के नाम को वोटर लिस्ट में शामिल करना है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक
रिफॉर्म्स (ADR) ने अपनी दलील में कहा है कि अनुमान
के अनुसार 3 करोड़ से ज्यादा मतदाता और विशेष रूप से वंचित
समुदायों (SC, STऔर प्रवासी मजदूर) से आने वाले मतदाता SIR आदेश में शामिल की गई सख्त आवश्यकताओं के कारण मतदान से
बाहर हो सकते हैं। याचिका में कहा गया है,बिहार से मौजूदा रिपोर्ट, जहां SIR पहले से ही चल रही है, दिखाती है कि गांवों और वंचित समुदायों के लाखों मतदाताओं
के पास
वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के लिए मांगे जा रहे दस्तावेज नहीं हैं। ADR की याचिका में बिहार में वोटर लिस्ट की SIR के लिए चुनाव आयोग द्वारा जारी 24 जून के आदेश और संचार को रद्द करने का निर्देश देने की मांग
की गई है। याचिका में तर्क दिया गया कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 के साथ-साथ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 21A के प्रावधानों का उल्लंघन है। ADR ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से यह याचिका दायर की
है, जिसमें कहा गया है,अगर 24 जून का SIR आदेश रद्द नहीं किया गया तो
मनमाने ढंग से और उचित प्रक्रिया के बिना लाखों मतदाताओं को अपने प्रतिनिधियों को
चुनने से वंचित किया जा सकता है,
जिससे देश में स्वतंत्र और
निष्पक्ष चुनाव और लोकतंत्र बाधित हो सकता है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा
हैं। याचिका में कहा गया है कि दस्तावेज जमा करने आवश्यकता, उचित प्रक्रिया का अभाव और बिहार में SIR की कम समयसीमा के कारण इस प्रक्रिया से लाखों सही मतदाताओं
के नाम मतदाता सूची से हट जाएंगे, जिससे वे मताधिकार से वंचित हो
जाएंगे। याचिका में कहा गया है,चुनाव आयोग द्वारा 24 जून को जारी किए गए आदेश ने मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने
की जिम्मेदारी राज्य से हटाकर नागरिकों पर डाल दी है। इसमें आधार या राशन कार्ड
जैसे पहचान के दस्तावेजों को शामिल नहीं किया गया है, जिससे हाशिए पर पड़े समुदायों और गरीबों के मतदान से वंचित
होने की संभावना और बढ़ गई है।
ADR ने ये भी कहा है कि SIR प्रक्रिया के तहत की यह घोषणा अनुच्छेद 326 का उल्लंघन है, क्योंकि इसमें मतदाता को अपनी
नागरिकता तथा अपने माता या पिता की नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज देने की
आवश्यकता होती है, अन्यथा उसका नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में नहीं जोड़ा
जाएगा और उसे हटाया भी जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने नवंबर 2025 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार में SIR करने के लिए अनुचित और अव्यवहारिक समयसीमा जारी की है। याचिका
में कहा गया,लाखों नागरिक हैं (जिनके नाम 2003 के ER (electoral roll) में नहीं थे) जिनके पास SIR आदेश के तहत जरूरी दस्तावेज नहीं हैं, ऐसे कई लोग हैं जो दस्तावेज हासिल करने में सक्षम हो सकते
हैं लेकिन निर्देश में दी गई छोटी समयसीमा उन्हें तय समय के भीतर इसे उपलब्ध करने
से रोक सकती है। ADR ने कहा है कि 2003 से अब तक बिहार में पांच लोकसभा
चुनाव और पांच विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और बिहार की मतदाता सूची में नामों को
लगातार जोड़ा और हटाया जा रहा है।