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- बेकसूर काटे उम्र कैद सजा,मुआवज़ा देने के लिए बने क़ानून..सुप्रीम कोर्ट
Posted by : achhiduniya
16 July 2025
भारत में गलत तरीके
से कैद किए गए लोगों को मुआवज़ा देने के लिए क़ानूनों का अभाव है। जस्टिस करोल
द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विदेशी
न्यायक्षेत्रों में, लंबी अवधि की कैद के बाद बरी होने पर अदालतों ने राज्यों को उन लोगों
को मुआवज़ा देने का निर्देश दिया है जो सलाखों के पीछे कष्ट सह रहे थे,लेकिन अंततःनिर्दोष पाए गए। दरअसल,सुप्रीम कोर्ट
ने ये टिप्पणी लंबे समय से गलत तरीके से कैद किए गए मौत की सज़ा पाए दोषी को
बरी करते हुए 15 जुलाई
को दिए फैसले में कहा है। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच
ने कहा कि अमेरिका के विपरीत, मुआवज़े के इस
अधिकार को संघीय और राज्य दोनों क़ानूनों द्वारा मान्यता दी गई है। मुआवज़े का दावा करने के दो तरीके हैं। अपकृत्य दावे/नागरिक अधिकार मुकदमे/नैतिक दायित्व के दावे और वैधानिक दावे। पीठ ने कहा कि भारतीय विधि आयोग की 277वीं रिपोर्ट में इस मुद्दे पर विचार किया गया था,लेकिन गलत अभियोजन की उसकी समझ केवल दुर्भावनापूर्ण अभियोजन तक ही सीमित थी और अभियोजन पक्ष ने गलत कारावास की स्थिति से सीधे तौर पर निपटे बिना, सद्भावना के बिना शुरुआत की। अदालत ने कहा कि गलत तरीके से दोषी ठहराए गए व्यक्ति को लंबे समय तक हिरासत में रखना संविधान के अनुच्छेद 21
के तहत उसके जीने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है,जिससे वह मुआवजे का हकदार हो जाता है,हालांकि इस तरह के मुआवजे का आधार विभिन्न अदालतों में भिन्न हो सकता है। दरअसल,सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने भी यह राय दी थी कि निर्दोष बरी होने का मामला गलत कारावास के लिए मुआवजे के दावे को जन्म दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि अगर किसी को गलत तरीके से लंबे समय तक जेल में रखा जाता है, तो उसे मुआवजा देने के लिए एक कानून बनाने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि इस पहलू पर फैसला लेना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।