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- कबूतरों को दाना डालने पर FIR,जैन समुदाय जता रहा विरोध जाने क्यू...?
Posted by : achhiduniya
05 August 2025
बीते दिनों हाई कोर्ट ने कहा था कि कबूतरों को दाना देना सार्वजनिक उपद्रव पैदा
करने वाला कृत्य है। इससे लोगों के
स्वास्थ्य को भी खतरा है। अदालत ने बीएमसी को निर्देश दिया कि कबूतरों को दाना
डालने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। हाई कोर्ट ने पिछले महीने बीएमसी को
पुरानी विरासत वाले किसी भी कबूतरखाने को ध्वस्त करने से रोका था और कहा था कि इन
स्थानों पर दाना डालने की अनुमति ना दी जाए। मुंबई भी उन तमाम शहरों में शुमार है,जहां कई स्थानों पर कबूतरों को दाना डाला
जाता है। इसे पुण्य का काम माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो ऐसा
कहा जाता है कि इससे पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और
आशीर्वाद मिलता है। अमावस्या जैसे मौकों पर दाना डालना खासा शुभ माना जाता है। जैन धर्म में कबूतरों को दाना डालना जीव दया के तौर पर देखा जाता है। जीवों के प्रति करुणा जैन परंपरा का सिद्धांत भी है। जैन मंदिर कबूतरखाने भी चलाते हैं। जैन धर्म मानने वाले लोग नियमित दाना डालते हैं। जिस दादर कबूतरखाना को ढका गया है, इसे भी जैन मंदिर द्वारा बनाया गया है। यही वजह है कि समुदाय में गुस्सा भी है। समुदाय सड़क पर उतरकर इसका विरोध कर रहा है। कबूतर की बीट से फेफड़ों का रोग हो सकता है। इसका शिकार वो लोग हो सकते हैं जो लंबे समय तक संपर्क में रहते हैं।
इसीलिए कई बार जानकार और डॉक्टर सलाह देते हैं कि जिन इलाकों में कबूतर अधिक हों, वहां रहने वाले लोग लगातार ये चेक करते रहें कि कहीं कबूतरों ने खिड़की या घर के आसपास घोंसला तो नहीं बना रखा है। बीएमसी के एक्शन के बाद महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने निगम आयुक्त से भी हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि मुंबई उपनगरीय जिला प्रभारी मंत्री संतों और पशु प्रेमियों की भावनाओं का ध्यान रखें और अदालत के निर्देशों का सम्मान करते हुए सौहार्दपूर्ण समाधान निकालें। ये पत्र उन्होंने कबूतरखाने को तिरपाल से ढकने और कबूतरों को दाना ना देने की चेतावनी वाले बोर्ड के बाद लिखा है। निगम आयुक्त को लिखे लेटर में महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने दावा किया, दाना ना मिलने से सड़कों पर मरे हुए कबूतर पाए जाते हैं। बीएमसी को कबूतरों को दाना डालने के लिए वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने चाहिए। बीकेसी, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान और आरे कॉलोनी में खुले स्थान हैं। यहां कबूतरों को दाना डालने के लिए वैकल्पिक स्थान बनाए जा सकते हैं। आयुक्त इस पर विचार करें समाधान करें।



