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- “MAKE IN INDIA” अभियान के तहत पुरे भारत में बुलेट ट्रेन की कनेक्टिविटी जल्दी...PM-मोदी
Posted by : achhiduniya
17 November 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़े टेक्नोक्रैट और इंजीनियर्स के साथ अपने संवाद में
गौर करने वाली बात क्या कही आप अपनी लर्निंग्स और
प्रैक्टिसिस को डॉक्युमेंट करें और पुरे प्रोजेक्ट के कार्यान्वन की एक ब्लू बुक तैयार करें। ये सुनकर बड़ा सुखद
आश्चर्य हुआ, क्योंकि जो लोग सिर्फ मोदी को गालियां देते हैं।
तंज कसते रहते थे कि भारत में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट
इम्प्लीमेंट हो ही नहीं सकता। वो सोच रहे होंगे, क्या भारत बुलेट ट्रेन
के इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए अपनी ब्लू बुक तैयार करेगा। IMPOSSIBLE
और
जिन्हें विश्वास था की प्रोजेक्ट पूरा होगा, वो भी सोचते होंगे की
जापान से टेक्नोक्रैट आएंगे और प्रोजेक्ट तैयार कर देंगे। भारत के पास कहां इतने
संसाधन उपकब्ध हैं। जब अहमदाबाद से मुंबई के बीच में चलने वाली पहली बुलेट ट्रेन
के लिए कंस्ट्रक्शन का प्लान तैयार हुआ तो
सबसे पहला निर्णय यह लिया गया की यह
प्रोजेक्ट जापान की मदद से पूरी तरह मेक इन इंडिया अभियान के तहत ही
तैयार होगा यानी भारत के इंजीनियर्स द्वारा, जापान से टेक्नोलॉजी
को ट्रांसफर करके भारत में डेवलप किया जाएगा, उसी टेक्नोलॉजी को ही
इम्प्लीमेंट किया जाएगा। शुरुवात में हमारे इंजीनियर्स को तथा अन्य वर्क फ़ोर्स को
जरुरस्त के हिसाब से अलग-अलग चरणों में प्रशिक्षण के लिए जापान भेजा जाएगा।
बाद
में वही भारत में आकर अपनी टीम को प्रशिक्षित करेंगे। भारत के वड़ोदरा में बुलेट
ट्रेन प्रोजेक्ट के इंफ्रास्ट्रक्वछर के निर्माण तथा ऑपरेशन और मेंटेनेंस की
ट्रेनिंग के लिए अल्ट्रा मॉर्डन ट्रेनिंग सेंटर भी तैयार हो रहा है। इस पूरी
एक्सरसाइज का फायदा ये हुआ है की बुलेट ट्रेन का एलिवेटेड कॉरिडोर भारत के
इंजीनियर्स और भारत की कम्पनियों द्वारा ही तैयार किया जा रहा है। इसका परिणाम
क्या हुआ पता है, हमारी हिंदुस्तानी कम्पनियां ऐसी-ऐसी मशीने तैयार
कर रही हैं, जो विश्व में कहीं मौजूद नहीं हैं। हाल ही में
अपनी स्टोरी की शूटिंग के दौरान मैंने देखा की 1000
टन
के 45 मीटर के सिंगल स्पैन की लिफ्टिंग के लिए उपयोग में
लायी जाने वाली 1200 टन का वजन उठाने वाली स्ट्रैडल क्रैडल पहली बार
भारत में तैयार की गई है
, क्योंकि विश्व में इतनी बड़ी मशीन मौजूद ही नहीं
थी। इससे काम में जबरदस्त तेजी तो आयी पर भविष्य के लिए नया प्रोटोकॉल भी बन गया। इतना
ही नहीं ट्रैक बेड, ट्रैक स्लैब, नॉइस बैरियर्स सहित कई
सारे मैटिरियल्स का निर्माण भी लोकल लेवल पर ही हो रहा है। कुछ परसेंट मैटीरियल और
टेक्नोलॉजी अभी इस पहले प्रोजेक्ट के लिए जापान से ही आएगी, जैसे ट्रैक बेड और
ट्रैक स्लैब के बीच में लगने वाले कायम बैग या रेल लाइन बोगीज वगैरह अभी जापान से
ही आएंगी, लेकिन जल्दी ही उनके लिए भी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर
एग्रीमेंट होने वाले हैं। यानी वो भी बाद में भारत में ही निर्मित होंगे।2027
में
भारत में बुलेट ट्रेन का ट्रायल शुरू होगा। प्रोजेक्ट की प्लानिंग के वजट एक तर्क
ये भी किया गया था की जापान से टेक्नोलॉजी और मैन पावर इम्पोर्ट करके इम्प्लिमेन्ट
करने से प्रोजेक्ट जल्दी पूरा होगा। पर फिर क्या होता हम देश में बुलेट ट्रेन के
विकास के लिए हम हमेशा जापान पर निर्भर रहते। आज हम स्वस्तंत्र हैं।
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