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- दवाईयों के दुष्प्रभाव व दुष्परिणामों की शिकायत करने के लिए जारी हुआ QR कोड और हेल्पलाइन नंबर
Posted by : achhiduniya
04 December 2025
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO)
ने
राज्यों को आदेश जारी करते हुए सभी दवा दुकानों पर क्यूआर कोड और हेल्पलाइन नंबर तत्काल
चस्पा करने के लिए कहा है। ये सूचना दुकानों पर ऐसी जगह चस्पा करनी होगी,
जो हर
किसी को दिख सके। राज्यों से यह जानकारी मांगी गई है कि कितनी दुकानों में नया
नियम लागू किया गया है। उन्हें चेतावनी दी गई है कि अगर कोई दुकानदार कोड को
छिपाकर रखता है,काउंटर के अंदर रखता है या ऐसी जगह लगाता है,जहां ग्राहक की नजर
आसानी से न पड़े तो तो उस पर एक्शन लिया जाएगा। आदेश में राज्यों के ड्रग
इंस्पेक्टरों से कहा गया है कि वे नियम की कड़ी निगरानी करें और सुनिश्चित करें कि
सभी दुकानदार इसका पालन करें। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस कदम से दवाओं से होने
वाले दुष्प्रभावों की जानकारी समय
रहते मिल सकेगी और समय पर कार्रवाई होने की
संभावना बढ़ जाएगी। गौरतलब है की केंद्र सरकार ने दवाओं
की निगरानी व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए देश के आम नागरिकों को इससे जोड़ने
का फैसला किया है। इसके तहत अब देशभर की सभी रिटेल और होलसेल दवा दुकानों पर एक QR
कोड
और हेल्पलाइन नंबर 1800-180-3024 चस्पा करने का आदेश
जारी किया है। इसके माध्यम से अब कोई भी व्यक्ति दवा के दुष्प्रभाव की सही जानकारी
समय पर दे सकेगा, जो सीधे राज्य के साथ
केंद्र सरकार के अधिकारियों तक पहुंचेगी। इससे तुरंत जांच शुरू हो सकेगी और
संबंधित जिले के औषधि नियंत्रक अधिकारी को 24 घंटे में अपनी रिपोर्ट
देनी होगी।
भारत के दवा महानियंत्रक (DCGI) डॉ.राजीव सिंह रघुवंशी
ने बताया कि यह फैसला भारत में दवा संबंधी निगरानी (pharma covigilance)
प्रथाओं
को मजबूत करने और मरीजों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के मकसद से उठाया गया है। सभी
लाइसेंस धारक दवा विक्रेताओं को तुरंत प्रभाव से आदेशों का पालन सुनिश्चित करना
चाहिए। उन्होंने कहा कि दवाओं के दुष्प्रभावों के रिपोर्टिंग सिस्टम को मजबूत करना
सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है और इसमें सभी राज्यों का
सहयोग आवश्यक है।जानकारी के अनुसार, क्यूआर कोड को स्कैन
करके दवा से एलर्जी, खराब प्रतिक्रिया या
साइ़ड इफेक्ट की रिपोर्ट सीधे एडीआर निगरानी प्रणाली (ADRMS)
तक
भेजी जा सकेगी।
सीडीएससीओ का मानना है कि इससे रिपोर्टिंग में पारदर्शिता आएगी,
डेटा
सटीक होंगे और देश में दवाओं का निगरानी तंत्र मजबूत होगा। दरअसल अभी तक एडीआर
रिपोर्टिंग स्वास्थ्यकर्मियों और अस्पतालों पर ज्यादा निर्भर है लेकिन
अब आम नागरिक भी इसका हिस्सा बन जाएंगे। अभी दवाओं के दुष्प्रभाव सही रिपोर्ट बहुत
कम मिल पाती है। कई बार लोगों को यह पता ही नहीं चल पाता कि चक्कर आना,
खुजली,
सूजन,
सांस
लेने में दिक्कत या एलर्जी जैसी दिक्कतें दवा की वजह से भी हो सकती हैं,अगर क्यूआर
कोड से शिकायत दर्ज करने की सुविधा मिलेगी, तो गांवों और शहरों से
ज़्यादा लोग आसानी से दुष्प्रभाव की रिपोर्ट कर पाएंगे। इससे दवाओं की गुणवत्ता और
सुरक्षा का रियल टाइम डेटा मिल सकेगा। इसके साथ ही सरकार को यह भी पता चल पाएगा कि
कौन-सी दवाएं ज्यादा जोखिम पैदा कर रही हैं। भविष्य में ऐसी किसी दवा पर प्रतिबंध लगाने या
चेतावनी जारी करने का निर्णय भी तेज़ी से लिया जा सकेगा। यही वजह है कि सरकार ने देशवासियों से अपील की
है कि वे इस निगरानी व्यवस्था में हिस्सा लें और किसी भी दवा के दुष्प्रभाव की
जानकारी जरूर उपलब्ध कराएं।
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