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- अक्ल बिन न होए नक्ल.........
Posted by : achhiduniya
30 October 2014
अकल और मेहनत की........?
मित्रो प्रणाम...... आज हम आपसे बात करेगे हर किसी के अन्दर छुपी प्रतिभा, गुण,टेलेंट,हुनर की जिसे कुछ ही
प्रयासो से निखारा जा सकता है,मात्र थोडी कोशिश करके न की नकल करके.क्योकि दोस्तो "लहरो से डरकर नौका पार
नही होती...कोशिश करने वालो की
हार नही होती".
मंजिल वही लोग पाते
है जो हमेशा सही दिशा मे चलने का प्रयास करते है.वरना रुककर किसी ने मंजिल नही पाई.चलती तो सडके भी है
लेकिन मंजिल नही पाती,उस पर चलने वाला मुसाफिर मंजिल को पाता है.चलता तो कोल्हु का बैल भी है जिसकी
आँखो पर पटटी बन्धी होती है.शाम को जब उसकी
आँखो की पटटी खुलती है तो वह अपने आप को वही पाता है जहाँ से वह सुबह चला था.ईसी प्रकार
मित्रो हमे भी सही दिशा का चयन करके अपनी प्रतिभा, गुण,टेलेंट,हुनरकेअनुसार निंरतर आगे बडते रहना चाहिए न की मित्रो
की नकल करके.
एक गाँव कि नदी के पास एक कौआ और बगुला दोनो मित्र रह्ते थे.बगुला अपने मित्र के
लिए मछलिया पकडता और कौए को लाकर देता था.बगुला रोज आसमान से निचे पानी की तरफ देख
कर अपनी लंबी चोच मे पैर उपर कर
अनोखे अदांज से नई मछलिया पकडता जिसे कौआ मजे लेकर
खाता.बगुला आसमान मे उड कर भी नदी की मछलियो
को आसानी से पकड लेता.कौए को यह सभ आसान लगने लगा.एक दिन कौए ने भी बगुले कि तरह उँची उडान भरी और आसमान
से निचे मछलियो कि तरफ बडने लगा जैसे ही कौआ ने निचे नदी मे मछलियो को पकडने के लिए पानी मे चोच डाली तुर्ंत वे भाग गई
और कौआ कि चोच जालो और काई मे फंस गई. अब तो कौए कि जान के लाले पड गए,अचानक ही वहा से उसका
मित्र बगुला गुजर रहा था,उसकी निगाहँ पडते ही उसने कौए को अपनी लंबी चोच से बाहर निकाला जिससे कौए
की जान मे जान आई.कहने का सार यही है.
मित्रो की देखा देखी के चक्कर मे हम अकसर उसकी
वास्तविकता से दुर होते है.एक कहावत ...जिसका काम उसी को साजे और करे तो......बाजे इसलिए
अपने हुनर,गुण का पुरा उपयोग करे
न कि नकल करके किसी मुसिबत मे फंसे.क्योकी नकल के लिए भी अकल और मेहनत की जरुरत पडती
है. इसलिए हमेशा सही दिशा
मे मेहनत कर अकल का सही उपयोग करे....धन्यवाद दोस्तो.......आपके समय देने का.
श्री अनिल भवानी