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Posted by : achhiduniya
14 November 2014
स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम.........
तुलसी का पौधा एक संजिवनी बुटी के तौर पर हर जगह इस्तेमाल मे लाया जाता
है.जहा यह वायु को शुद्ध करता है वही घर को नकारात्मक उर्जा से भी बचाता है तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पापनाशक समझा जाता है तथा पूजन करना मोक्षदायक। देवपूजा और श्राद्धकर्म में तुलसी आवश्यक है। तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप, होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है।
भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी अत्यंत प्रिय है। स्वर्ण, रत्न, मोती से बने पुष्प यदि श्रीकृष्ण को चढ़ाए जाएँ तो भी तुलसी पत्र के बिना वे अधूरे हैं। श्रीकृष्ण अथवा विष्णुजी तुलसी पत्र से प्रोक्षण किए बिना नैवेद्य स्वीकार नहीं करते। कार्तिक मास में विष्णु भगवान का तुलसीदल से पूजन करने का माहात्म्य अवर्णनीय है। तुलसी विवाह से कन्यादान के बराबर पुण्य मिलता है साथ ही घर में श्री, संपदा, वैभव-मंगल विराजते हैं।गंगा-यमुना के समान पवित्र होता है तुलसी का पौधा तुलसी एक साधारण-सा पौधा
अवश्य है, परन्तु भारतीयों के लिए यह गंगा-यमुना के समान पवित्र होता है। पूजा सामग्री में तुलसी दल (पत्ती) जरूरी समझा जाता है। कहते हैं इसके बगैर भगवान तृप्त होकर प्रसाद ग्रहण नहीं करते। नवमी, दशमी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना गया है। स्नान के बाद प्रतिदिन तुलसी के पौधे को पानी देना स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है। तुलसी के कारण उसके आसपास के वातावरण की वायु शुद्ध हो जाती है। तुलसी का पत्ता या अर्क कई बीमारियों को दूर करता हैभारत में तुलसी का महत्वपूर्ण स्थान है। तुलसी के प्रकार - कृष्ण तुलसी, सफेद तुलसी तथा राम तुलसी। इनमें कृष्ण तुलसी
सर्वप्रिय मानी जाती है। तुलसी में खड़ी मंजरियाँ उगती हैं।
इन मंजरियों में छोटे-छोटे फूल होते हैं। देव और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका, उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मदेव ने उसे भगवान विष्णु को सौंपा। भगवान विष्णु, योगेश्वर कृष्ण और पांडुरंग (श्री बालाजी) के पूजन के समय तुलसी पत्रों का हार उनकी प्रतिमाओं को अर्पण किया जाता है.
====== पंडित मिश्रा जी के पत्राचार द्वारा{मध्य प्रदेश }
तुलसी का पौधा एक संजिवनी बुटी के तौर पर हर जगह इस्तेमाल मे लाया जाता
है.जहा यह वायु को शुद्ध करता है वही घर को नकारात्मक उर्जा से भी बचाता है तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पापनाशक समझा जाता है तथा पूजन करना मोक्षदायक। देवपूजा और श्राद्धकर्म में तुलसी आवश्यक है। तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप, होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है।
भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी अत्यंत प्रिय है। स्वर्ण, रत्न, मोती से बने पुष्प यदि श्रीकृष्ण को चढ़ाए जाएँ तो भी तुलसी पत्र के बिना वे अधूरे हैं। श्रीकृष्ण अथवा विष्णुजी तुलसी पत्र से प्रोक्षण किए बिना नैवेद्य स्वीकार नहीं करते। कार्तिक मास में विष्णु भगवान का तुलसीदल से पूजन करने का माहात्म्य अवर्णनीय है। तुलसी विवाह से कन्यादान के बराबर पुण्य मिलता है साथ ही घर में श्री, संपदा, वैभव-मंगल विराजते हैं।गंगा-यमुना के समान पवित्र होता है तुलसी का पौधा तुलसी एक साधारण-सा पौधा
अवश्य है, परन्तु भारतीयों के लिए यह गंगा-यमुना के समान पवित्र होता है। पूजा सामग्री में तुलसी दल (पत्ती) जरूरी समझा जाता है। कहते हैं इसके बगैर भगवान तृप्त होकर प्रसाद ग्रहण नहीं करते। नवमी, दशमी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना गया है। स्नान के बाद प्रतिदिन तुलसी के पौधे को पानी देना स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है। तुलसी के कारण उसके आसपास के वातावरण की वायु शुद्ध हो जाती है। तुलसी का पत्ता या अर्क कई बीमारियों को दूर करता हैभारत में तुलसी का महत्वपूर्ण स्थान है। तुलसी के प्रकार - कृष्ण तुलसी, सफेद तुलसी तथा राम तुलसी। इनमें कृष्ण तुलसी
सर्वप्रिय मानी जाती है। तुलसी में खड़ी मंजरियाँ उगती हैं।
इन मंजरियों में छोटे-छोटे फूल होते हैं। देव और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका, उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मदेव ने उसे भगवान विष्णु को सौंपा। भगवान विष्णु, योगेश्वर कृष्ण और पांडुरंग (श्री बालाजी) के पूजन के समय तुलसी पत्रों का हार उनकी प्रतिमाओं को अर्पण किया जाता है.
====== पंडित मिश्रा जी के पत्राचार द्वारा{मध्य प्रदेश }