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Posted by : achhiduniya
01 December 2014
खुद के भविष्य के लिए रहे .........
मित्रो प्रणाम .....इम्तेहान के बाद कई कंपनियों
में प्लेसमेंट के दौरान सिर्फ कॉलेज का ही रोल नहींहोता,
स्टूडेंट की खुद की मेहनत, स्किल और
पर्सनैलिटी भी बेहद अहम होती है। इसलिए चुनें ऐसा कॉलेज जहां इंडस्ट्री के मुताबिक
हो सकें आप तैयार। फिर वह इंस्टीट्यूट घर के पास ही क्यों न हो। चाहे दूर क्यू ना
हो । स्टूडेंट्स से लेकर पैरेंट्स तक सभी
इस सवाल से जूझते हैं, कि आखिर कौन-सा कॉलेज बच्चे के करियर के लिहाज से सही होगा ।
जिन
स्टूडेंट्स को अपेक्षा से कम अंक आए होंगे, उन परिवारों में
बच्चे को घर से दूर किसी बड़े शहर या मेट्रो सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज या
मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में दाखिला दिलाने की प्लानिंग भी करते होगे । ज्यादातर पैरेंट्स को बच्चे का भविष्य बड़े शहरों
में ही नजर आता है। इस चक्कर में अक्सर वे प्राइवेट कॉलेजों के छलावे में आ जाते
हैं। इसका खामियाजा खुद स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ता है। इसलिए पहले ही सतर्कता बहुत
आवश्यक है। फिर क्यों न दाखिले का फैसला लेने से पहले अपने बच्चे की रुचि और
क्षमता को जानने की कोशिश करें । मेट्रो या बड़े शहरों के अच्छे कॉलेजों में एडमिशन
न मिलने की सूरत में क्यों नहीं आस-पास के अपेक्षाकृत बेहतर कॉलेज में ही दाखिला
लिया जाए।
इससे समय और पैसे दोनों की बचत हो जाए। बच्चे की रुची अनुसार भी कालेज
का चयन जरूरी है। प्लेसमेंट के लिए कंपनियां किसी भी इंस्टीट्यूट में फैकल्टी
मेंबर्स की क्वालिटी और सिलेबस को देखती हैं। इसके साथ ही स्टूडेंट्स को दी जा रही
सुविधाएं भी देखी जाती हैं। इसके बाद ग्रुप डिस्कशन और फिर एचआर राउंड के जरिए
उनकी स्क्रीनिंग कर प्लेसमेंट फाइनल होता है। सलेक्शन के दौरान कई चीजों का ध्यान
रखा जाता है। जैसे स्टूडेंट की सब्जेक्ट पर कितनी कमांड है? प्रेजेंटेशन
कैसा है? पर्सनैलिटी कैसी है? ड्रेसिंग
सेंस कैसा है आदि। इंटरव्यू में 60 फीसद अंक तो इसी के रखे जाते हैं। इसके बाद
किसी को रिजेक्ट या एक्सेप्ट करना आसान हो जाता है।
इसके लिए स्टूडेंट्स को खुद ही
तैयारी करनी चाहिए ताकी वह अपने पैरो पर खुद खड़ा हो सके क्योकी नौकरी मिलना भर
जरूरी नही उस पर खरा उतरना भी जरूरी है । आप
जिस भी कंपनी या संस्थान में काम कर रहे हैं, वहां आपकी
पहचान आपके काम और व्यवहार से ही बनती या बिगड़ती है। इसलिए आपको जो भी काम असाइन
किया जाए, उसे ध्यान से सुनें और समझें। फिर उसके लिए सही
दिशा में जरूरी होमवर्क करके पूरे परफेक्शन के साथ तय समय से पहले सबमिट करें।
ऐसा
न हो कि असाइनमेंट की डेडलाइन सामने आने पर आपको जब याद दिलाया जाए, तब आपको उसकी याद ही न आए ,अगर आप कैजुअल तरीके से
यह कहते हैं कि जी, मैं तो यह काम भूल ही गया था। फिर सोचिए
आपके इस जवाब पर किसी कंपनी के उन सीनियर्स का क्या रिएक्शन होगा, जिनके ऊपर रिजल्टस और आउटपुट का दबाव होता है। ऐसे में क्या आपको कोई भी
संस्थान पसंद करेगा? इसलिए इस तरह के कैजुअल अप्रोच से हमेशा
बचें। अगर आपको लगता है कि आप किसी कारण संस्थान की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा
रहे हैं या उसकी कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे हैं, तो इस बात
को अच्छी तरह समझें।
खुद का मूल्यांकन करें कि आखिर आप इन अपेक्षाओं पर क्यों नहीं
खरे उतर पा रहे? अपनी कमजोरियों को तलाशें। उन्हें पूरी
ईमानदारी और मेहनत के साथ दूर करने का प्रयत्न करें। अगर आप सच्चे मन से ऐसा
करेंगे, तो कुछ ही समय में बेहतर प्रदर्शन करने लगेंगे। इस
स्थिति पर पहुंचने के बाद खुद को समय के साथ इंप्रूव और अपडेट भी करते रहें।
=+= श्री अनिल भवानी
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