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- शर्मिंदगी की बात ....
Posted by : achhiduniya
02 December 2014
हज़ारे को सुनने हजारो की संख्या.....
पद्मभूषण मा॰ अन्ना हज़ारे ने नागपुर सिताबर्डी स्थित विदर्भ साहित्य हिन्दी सम्मेलन मोर
भवन मे कार्यकर्ताओ को संबोधित करते हुए कार्य करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा मेरे
पास कुछ भी नही है मै तो मंदिर मे रहता हू।जब हम संसार मे आते है तो कुछ भी साथ नही
लाते-जब जाते है तब भी साथ
मे कुछ नही लेकर जाते फिर बीच मे इतना झमेला क्यू ?मा॰अन्ना ने कार्यकर्ताओ से कहा की उन्होने
25 वर्ष की आयु से समाज
कल्याण का बीड़ा उठाया आज उनकी उम्र 77 साल हो चुकी है,अब मुझमे वो शारीरिक ताकत नही फिर भी देश हित के लिए हमेशा लड़ता रहूँगा।
उन्होने शादी नही की
लेकिन आप लोग शादी करे क्योकी मन बड़ा चंचल है,किसी बात मे टिकने नही देता।एक बीज के बलिदान के बाद ही पेड़ बनता है,पेड़ लगाकर
प्रकर्ती मे फैली दूषित हवा को स्व्क्षय करने मे योगदान करे और कार्य करने के लिए चारित्रवान,ईमानदार,निष्ठावान होना अत्यंत
आवश्यक है,तब ही आप की बात का
प्रभाव लोगो पर पड़ेगा।
अगर ऐसा नही होता तो सरकार कब का उन्हे दोषी बना देती।मा॰अन्ना
ने बताया की किस तरह उन्होने कई मंत्रीयों को बे नकाब करके सजा दिलवाई जिसके कारण उन्हे
कई बार जेल जाना पड़ा लेकिन इसमे किसी शर्मिंदगी की बात नही यह
तो एक प्रकार का मान है जो देश,समाज हित मे जेल गए।लेकिन आप चोरी करके,भ्रष्टाचार करके जेल जाते है.
तो वह शर्मिंदगी
की बात है।आगे कार्यकर्म को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय अंधक्षरधा निलमुलन
समिती के कार्यध्यक्ष समाजसेवी,वरिष्ठ पत्रकार मा॰उमेश
चौबे जी बताया की किस प्रकार उनके कार्यकर्ताओ द्वारा आर॰टी॰आय॰के तहत
जानकारी मे उजागर होने वाले भ्रष्टाचार मे लिप्त सरकारी कर्मचारी माफी
मागने आए जिसका उन्होने विरोध कर उन्हे माफी देने से इंकार कर दीया।
क्योकी वे भी देश
हित के लिए अपना योगदान समाज कल्याण के माध्यम से कर उन्हे सजा
दिलाने का पूरा प्रयास कर रहे है।
इस कार्यकर्म को सफल बनाने
मे कार्यकर्ताओ ने अथक प्रयास किया जिससे मा॰ अन्ना हज़ारे जी को सुनने हजारो की संख्या
मे जन समुदाय एकत्रित हुआ। =+= श्री
अनिल भवानी