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- नौकरी के प्रती सावधानी ....
Posted by : achhiduniya
15 December 2014
खुद को इंप्रूव कर ले या फिर.......
मित्रो प्रणाम.......पीछे रहने की बजाय अपनी
प्रतिभा और क्षमता पर भरोसा रखें। इस बात का इंतजार करने की बजाय कि कोई आपके पास काम लेकर आएंगे,
आप खुद उनके पास जाएं और उन्हें बताएं कि आप किन –किन कामों को कहीं
ज्यादा अच्छी तरह से कर सकते हैं। इससे सब की नजरों में आपकी इच्जत तो बढ़ेगी ही, दूसरे आपसे से भी मोटिवेट होंगे। ऐसे में जब कोई चैलेंजिंग असाइनमेंट आएगा,
तो सब के दिमाग में सबसे पहले आपका नाम आएगा।
इस स्थिति में न सिर्फ
आपकी नौकरी सेफ रहेगी, बल्कि आपको इसका फायदा इंक्रीमेंट और प्रमोशन
के रूप में भी देखने को मिल सकता है। अक्सर ऐसा भी देखने में आता है कि एम्प्लॉयी बॉस
की नजरों के सामने आने से बचना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि कहीं वे उन्हें कोई नया
काम न पकड़ा दें या फिर सामने पड़ने पर किसी वजह से डांटने-फटकारने न लगें। खुद को छुपाकर
रखने की यह प्रवृत्ति किसी संस्थान में लंबी पारी खेलने या अपनी पहचान बनाने में खतरनाक
साबित हो सकती है।
अगर आप काम से बचना या छिप कर अपने दिन बिताना चाहते हैं,
तो इतना ध्यान रखें कि आपकी नौकरी कभी भी जा सकती है।अक्सर बड़े और पारंपरिक
संस्थानों में कई साल से काम कर रहे एम्प्लॉयी खुद को कंफर्ट जोन में पहुंचा देते हैं।
वे इस भ्रम में जीने लगते हैं कि लंबे समय से काम करने के कारण उनकी जॉब पूरी तरह सिक्योर
है। यह स्थिति तब तक ठीक तरह से चलती है, जब तक कंपनी लगातार
मुनाफे में होती है, लेकिन प्रॉफिट में कमी आते ही कंपनी वे सारे
जतन करने लगती है, जिससे उसके खर्च में कमी आ सके। इस प्रक्रिया
में सबसे पहले नॉन-परफॉर्मर पर नजर जाती है।
इमीडिएट बॉस के जरिये उसे संकेत दिए जाने
लगते हैं। इसके तहत उसके काम में नियमित रूप से कमी निकाली जाती है कि या तो वह खुद
को इंप्रूव कर ले या फिर कहीं और काम ढूंढ ले। समस्या यह है कि सालों से काम कर रहे
कई लोग इन संकेतों को समझ ही नहीं पाते या फिर समझना नहीं चाहते। अगर समझते भी हैं,
तो अनदेखा करने लगते हैं। अगर किसी एम्प्लॉयी को इस तरह के संकेत मिलने
लगते हैं, तो उसे संभल जाना चाहिए। सबसे पहले उसे अपने काम पर
ध्यान देना चाहिए।
इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए कि आप अपना काम स्मार्ट तरीके
से करते रहें। अगर कभी कोई गलती हो जाए, तो उसे स्वीकार करें
और इस बारे में विनम्रता के साथ संबंधित अथॉरिटी से खेद प्रकट करते हुए आगे इसका दुहराव
न होने का संकल्प जताएं। अगर मैनेजमेंट या हायर लेवल पर कोई बदलाव होता है और जाहिर
है कि संस्थान की पॉलिसी में भी कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं। ऐसा कोई भी बदलाव होने
पर अड़ियल रुख अपनाने की बजाय लचीला रुख अपनाएं। बदलाव को अपनाने और उसमें अपना बेस्ट
देने के लिए हमेशा तत्पर रहें। इस प्रक्रिया में बॉस और मैनेजमेंट का भरोसा जीतने का
भी प्रयास करें। ऐसा तभी होगा, जब आप उनके द्वारा दिए गए असाइनमेंट
को समय से और परफेक्शन के साथ पूरा करके दिखाएं।
समय-समय पर उन्हें संस्थान को आगे
बढ़ाने के लिए उपयोगी आइडिया और सुझाव देने में भी पीछे न रहें। आप जिस काम से जुड़े
हैं, उसमें समय की मांग के मुताबिक खुद को अपडेट करते रहें। कभी
भी यह गलतफहमी न पालें कि मैं तो इतने समय से काम कर रहा हूं, ऐसे में भला मुझे सीखने और बदलने की क्या जरूरत है? याद
रखें, सीखने और बदलने से आप वक्त के साथ कदम ताल करते हुए कंपनी
को तो आगे बढ़ाते ही हैं, अपने आपको भी आगे रखते हैं। इसलिए सीखने
के लिए हमेशा उत्सुक रहें। इसे अपनी आदत में शुमार कर लें।
इससे आपका कॉन्फिडेंस भी
बढ़ेगा। इस तरह से संस्थान और जॉब मार्केट में आप अपनी उपयोगिता बनाकर रख पाएंगे। ऐसे
में कभी किसी कारण नौकरी चली भी गई, तो दूसरे संस्थानों में आसानी
से काम पा सकते हैं. नौकरी के दौरान या ऑफिस या घर में कोई भी
परेशानी सामने आने पर घबराएं नहीं। संयम के साथ उसका सामना करें।
अपने व्यवहार या काम
पर उसका प्रभाव न पड़ने दें। अपनी रुचि के कामों में खुद को व्यस्त रखें। मैगजीन पढ़कर,
टीवी देखकर या फिर अपनी पसंद का कोई इनडोर या आउटडोर गेम खेलकर खुद को
रिलैक्स करने का प्रयास करें। इस राह पर चलने के कुछ दिन बाद आप खुद देखेंगे कि मुश्किलें
खुद-ब-खुद आपका रास्ता छोड़ रही हैं।
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