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- एक कप चाय हर रोज….
Posted by : achhiduniya
31 December 2014
पत्ती तेज या चीनी कम…. ? कैलोरी फ्री... चाय
भारत में चाय के दीवानों की कमी नहीं है। एक
अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग नियमित रूप से काली चाय का सेवन करते हैं उन्हें
मधुमेह का खतरा काफी कम होता है। कुछ लोग
चाय पीने की आदत को अच्छा तो नहीं मानते, लेकिन
चाय पीना उनके जीवन में किसी अनिवार्य काम से कम भी नहीं है। जिन देशों में काली
चाय सबसे ज्यादा पी जाती है वहां पर मधुमेह से जुड़ी तकलीफें कम देखने को मिलीं। चाय
के फायदे और नुकसान पर अक्सर बहस होती है। ऐसा नहीं कि चाय के सिर्फ नुकसान ही हैं,
उसके कई फायदे भी हैं। वैज्ञानिक शोध के अनुसार कुछ खास प्रकार की
चाय में ऐसे तत्व होते हैं, जो आपकी सेहत के लिए बहुत जरूरी
हैं। जो आपको दुबला कर सकती हैं।
चिंता को दूर करने के गुण के अलावा यह वजन को कम करने में बहुत कारगर हैं। आमतौर पर
सभी जानते हैं कि एक कप चाय हर रोज आपको दिल के दौरे, गठिया,
दांत क्षय और यहां तक कि कैंसर को भी आपसे दूर रखती है। पीपरमेंट चाय
पसंद है तो आप इसे ग्रीन टी के बदले कभी-कभी बदलकर पी सकते हैं। दोनों ही चाय पाचन
को सुधारने में बहुत फायदेमंद है। पीपरमेंट के पत्तों का इस्तेमाल इस चाय को बनाने
में किया जाता है। इसे गर्म या ठंडा पिया जा सकता है। इसे बनाने के लिए एक चम्मच
ताजा या सूखी हुई पत्ती को उबलते हुए पानी में डाल दीजिए। इन्हें पानी में 6 से 8 मिनट के लिए रहने दीजिए और फिर छानकर चाहें तो
शहद मिलाकर पीजिए। अब कई लोग अपनी पारंपरिक चाय में बदलाव ला रहे हैं। अब लोगों ने
सामान्य चाय की जगह हर्बल टी को अपना लिया है। धीरे-धीरे इसे पीने वालों की संख्या
भी बढ़ रही है।
कोई वजन कम करने के लिए हर्बल चाय पी रहा है तो कोई अस्थमा जैसी
अपनी सालों पुरानी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए इस चाय की शरण में आया है। सेहत
और स्वस्थ जीवनशैली के प्रति सतर्क रहने वाले लोगों की जिंदगी में तेज और कड़क या
फिर पत्ती तेज या चीनी कम वाली चाय की जगह अब हर्बल टी ने ले ली है। बदलते
जीवनशैली और फास्टफूड के जमाने में उसके फायदे - नुकसान और कई तरह की बीमारियों से
परेशान लोगों को देखकर दूसरे लोग अपनी सेहत के प्रति सचेत होने लगे हैं। अस्पतालों
और डॉक्टरों के चक्कर काटने से लेकर दिन रात दवा खाने की आदत से तंग आकर लोग अब
अपनी सेहत को प्रति सतर्क हो गए हैं।
तेजी से एक बार फिर लोगों का रूझान आयुर्वेद
और प्राकृतिक चीजों की ओर बढ़ने लगा है। इस बदलते रुझान का असर हमारी जीवनशैली पर
भी स्पष्ट नजर आने लगा है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण चाय के मामले में देखने को मिल
रहा है। इसके नियमित सेवन से कई फायदे होते हैं। जिनमें मन शांत रहता है,सेहत अच्छी रहती है,पाचन तंत्र मजबूत रहता है,शरीर भीतर से साफ रहता है,उर्जा भी भरपूर बनी रहती
है,तनाव दूर होता है,सर्दी-जुकाम से भी
निजात मिल जाती है,नींद अच्छी आती है और चाय की तरह हर्बल
चाय के सेवन से कैफीन की लत नहीं लगती। इसकी सबसे खास बात ये है कि पारंपरिक चाय
की तरह इसमें दूध चीनी मिलाने की जरूरत नहीं होती।
चिंता, परेशानी,
तनाव, अवसाद, आलस,
थकान, ऊर्जा में कमी और सिरदर्द जैसी मानसिक
परेशानियों को कम करने में ग्रीन टी जैसी हर्बल चाय को असरकारी माना गया है। डाइबिटीज,
मोटापा और दिल की बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए यह चाय उपयोगी
साबित होती है। इसमें दालचीनी,ग्रीन टी, एप्हेड्रा और लहसुन हो तो वह रक्तसंचार को ठीक करने,कोलेस्ट्रॉल
के स्तर को संतुलित करने और पेट के आसपास की जगह की चर्बी को कम करने में प्रभावी
होते हैं। इसे पीने के बाद आपको बहुत प्यारी नींद भी आएगी। अपनी सारी परेशानियों
को भूलकर आप इसे पीने के बाद चैन से सो सकते हैं। जो आपको मानसिक रूप से बहुत ही
सुकून देगा। पारंपरिक चाय की तरह हर्बल चाय कैमेलिया सिनेसिस बुश वाले पौधे से
नहीं बनती। यह विभिन्न ताजे फूल,बीज,जड़
और औषधियों को सूखा कर बनाई जाती है। यह चाय कैलोरी फ्री होती है। यही कारण है कि
वजन कम करने के इच्छुकों में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।
आम चाय की तरह हर्बल
चाय में कैफीन जरा-सा भी नहीं होता। यह दिखता भले ही चाय जैसा है और इसे पारंपरिक
चाय की तरह ही बनाया जाता है,पर चाय के जो अवगुण हैं,वह हर्बल चाय में बिल्कुल भी नहीं पाई जाती है। हर्बल टी में
एंटीऑक्सीडेंट या फ्लेवोनॉयड भरपूर मात्रा में होते हैं,जो
हृदय रोगों में लाभकारी होते हैं। फ्लेवोनॉयड खून को जमने से भी रोकते हैं और
कैंसर की आशंका को कम करते हैं। हर्बल चाय बनाने के लिए हमेशा ताजे पानी का
इस्तेमाल करें। आप ग्लास,कास्ट आयरन या स्टेनलेस स्टील के
बर्तन में ही हर्बल चाय बनाएं । अलग-अलग तरह की हर्बल पत्तियों से अधिकतम लाभ
हासिल करने के लिए गर्म पानी की मात्रा,तापमान और समय सीमा
का ध्यान रखना जरूरी है।
जैसे- कैमोलाइल चाय बनाते समय तेज गर्म पानी को गैस से
उतार कर कुछ सेकेंड के लिए रखें। फिर उसमें चाय डाल कर पांच मिनट के लिए ढक कर रख
दें, इससे चाय में मौजूद असेंशियल ऑयल उसमें बने रहेंगे और रंग
व फ्लेवर भी अच्छा आएगा। बाद में छान कर पी लें। यदि आप चमेली के पौधे यानी
जास्मिन टी बना रहे हैं तो इसे दो मिनट से अधिक गर्म पानी में ढक कर न रखें। अधिक
देर रखने से इसमें कड़वाहट आ जाती है। अपनी हर्बल चाय का स्वाद बेहतर बनाने के लिए
इसमें आप अपनी जरूरत के मुताबिक शहद या नीबू का रस भी मिला सकते हैं। गठिया अथवा
अर्थराइटिस जैसी बीमारियों में जोड़ों में जलन होती है। जोड़ों के दर्द के इलाज
में जो दवाएं दी जाती हैं,उसके ढेरों साइड इफेक्ट्स होते
हैं। हर्बल चाय में जोड़ों की इस जलन को कम करने के गुण होते हैं। यही वजह है कि
जोड़ों के दर्द से पीड़ित मरीजों के लिए इसका सेवन उपयोगी माना जाता है।
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