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Posted by : achhiduniya
30 December 2014
क्या ले...? क्यो ले....?क्यू ना ले...?
मित्रो प्रणाम ....आज
का विषय है टेंशन प्राय हर किसी को कभी ना कभी इस रास्ते से गुजरना
पड़ता है।तनाव बदलाव
के प्रति होने वाली एक भावनात्मक और शारीरिक प्रतिक्रिया है। हर
किसी को तनाव होता
है। टेंशन,तनाव सकारात्मक और
आपको ऊर्जा देने वाला भी हो सकता है
या स्वास्थ के लिए हानी कारक और स्वास्थ्य संबंधी
समस्याएं पैदा करने वाला भी हो सकता है।
कम
समय या अधिक अंतरालों तक रहने वाला तनाव आपको प्रभावित न करे, लेकिन लंबे
समय तक बना रहने वाला तनाव आप पर प्रभाव डाल सकता है। हृदय रोग,
हृदयाघात, उच्च
रक्तचाप, डायबिटीज, आंतों में गड़बड़ी, दमा
या गठिया ,माई ग्रेन,सिरदर्द,शरीर मे कपकपी जैसी
अनेक बीमारियों को और अधिक मुफ्त मे दे सकता है।क्या...?आप मुफ्त मे इसे नही लेना
चाहेगे।अगर हा तो आज से बेकार की बातों मे अपना कीमती
समय बर्बाद करना शुरू करे और
ये सारी चीजे मुफ्त मे आडर कर के मँगवाए,और अगर नही तो तो अपने कीमती समय मे से
सिर्फ तीन सौ सेकंड 300 यानी पाँच मिंट
आप {हमे दे} हमारे साथ बिताए।हम आपको इसके
प्रकार और दूर करने के ऊपाए बताएगे।प्रत्येक व्यक्ति के लिए तनाव के अलग-अलग कारण
होते हैं। तनाव के कुछ सामान्य कारणों में परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु,बीमारी,अपने
परिवार की देखरेख करना,रिश्तों में बदलाव आना,काम,नौकरी
बदलना,जगह बदलना और पैसा
हो सकते हैं। यहां तक कि देर तक इंतजार
करना, विलंब हो जाना या भारी ट्रैफिक होना जैसी
छोटी-छोटी चीजें
भी तनाव का कारण हो सकती हैं।किसी के प्यार मे धोखा खाना या देना।
किसी की उधारी या
ब्याज का पैसा समय पर न देने,व्यापार मे नुकसान या काम का अचानक
रुक जाना तनाव का भी मुख्य कारण हो सकता है।अब आप पर आपके शरीर पर इसका क्या
प्रभाव
पड़ सकता है इस पर चर्चा करेंगे।तनाव के कुछ सामान्य चिन्ह हैं : घबराहट, उदासी या
गुस्सा महसूस करना,दिल की धड़कनों का तेज हो
जाना,सांस लेने में परेशानी होना, पसीना
आना। गर्दन, कंधों, पीठ, जबड़े या चेहरे की मांसपेशियों में दर्द या ऐंठन होना,सिर दर्द
होना,थकान महसूस करना या नींद आने में समस्या
होना,कब्ज या दस्त,पेट खराब रहना,भूख
कम होना या वजन घटना।आगे बड़ते है,तनाव के लक्षणों पर ध्यान न दें। जब ये प्रकट
हों तो
इसके कारण से बचने या इनके प्रति अपनी प्रतिक्रिया को बदलने की कोशिश करें।कुछ
ऐसा करें
जो आपको तनावमुक्त करे, जैसे-धीरे-धीरे और गहरी सांसें लेना, हाथ-पैर फैलाकर
किए जाने
वाले व्यायाम, योग,ध्यान योग,मालिश, संगीत सुनना, पढऩा,
गुनगुने पानी से स्नान करना या
शॉवर लेना। कोई शौक पालें या कुछ ऐसा
करें जिसमें आपको आनंद आता है। जिन चीजों को
आप नहीं बदल सकते, उन्हें स्वीकार करना सीखें। सकारात्मक सोच रखें। सीमा तय करें। ‘नहीं’
कहना सीखें। एक समय पर एक काम करें। कम से कम रात
मे आठ ,8 घंटे की नींद अवश्य
लें। स्वास्थ्यकर भोजन खाएं,
जिसमें फल, सब्जियां, प्रोटीन
और रेशेदार अनाज शामिल हों।
कैफीन और चीनी का प्रयोग सीमित करें।मित्रो से मिले किसी भी सामाजिक कार्य मे अपना
योगदान कर लोगो की सहायता करे।
नियमित रूप से व्यायाम करें। व्यायाम आपकी तनी हुईं
मांसपेशियों को ढीला करने, आपके मिजाज को ठीक करने और आपको बेहतर नींद लेने में
मदद देगा। अपने परिवार
और मित्रों से अपनी समस्याओं के बारे में बातचीत करें। बहुत ज्यादा
खाने,पर्याप्त न खाने,तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करने,
शराब पीने या नशीली दवाओं का प्रयोग
करने जैसे तरीकों के जरिए तनाव से
न निपटें।यदि आपको आवश्यकता हो तो किसी चिकित्सक
से मदद प्राप्त करें। तनाव का सामना
करने और समस्याओं से निपटने में काऊंसलर आपकी
मदद कर सकता है। उदासी के एहसास,
घबराहट या सोने की समस्या दूर करने में सहायता के
लिए आपका डाक्टर आपको
दवाइयां लिखकर दे सकता है।यदि आपको तनाव के लक्षण दिखें
तो अपने डाक्टर से बात करें।आप मुख्य तह अपने कर्म पर ध्यान दें, परिणाम स्वत: ही
उपयुक्त होगा। परिणाम चिंता
का कारण है। अपने को श्रेष्ठ बनाएं। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा रखें।
दूसरों की तरह करने
का प्रयत्न न करें। ‘उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफेद कैसे’
के चक्कर में न
पड़ें। थोड़ा बहुत तनाव अच्छा है, इसको स्ट्रैस कहते हैं,इसके चलते आप –हम प्रगति करते हैं।
क्योकि इससे आपको पिछे छूटने का
डर आपको सफलता की ओर ले जाता है। अधिक होने
पर यह डिप्रेशन ,डिस्ट्रेस का रूप हो जाता है,जो हमारे,आपके और परिवार के लिए घातक और
नुक्सानदायक
होता है।इसलिए चिंता छोड़ चिंतन,मनन करे ।
