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- मकसद के मायने.....
Posted by : achhiduniya
04 December 2014
मंजिल बिना क्या जीना.....
ज़िंदगी के सफर मे गुजर जाते है जो मक़ाम वो फिर
नही आते ...वो फिर नही आते ....जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबह शाम के रस्ता कट मित्रा
........आज बात करेंगे अपनी बुद्धि और कौशल के कारण इंसान को सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ
माना गया है। पशु-पक्षियों को देखें, तो पाएंगे
कि उनका जीवन बिना किसी मकसद के होता है। भोजन के लिए भटकना और फिर आराम करना ही उनका
काम होता है। लेकिन क्या इंसान के बारे में भी यही कहा जा सकता है? निश्चित रूप से नहीं। हर इंसान का जीवन व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ता है। वह
पशु-पक्षियों की तरह जीवन नहीं बिता सकता ।
उसका काम सिर्फ खाना और आराम करना नहीं है।
उसे अपनी क्षमता और बुद्धि के अनुसार बहुत कुछ करना होता है। उसे अपने साथ-साथ अपने
घर-परिवार के प्रति जिम्मेदारियों को भी निभाना होता है। उसके हर काम के पीछे कोई न
कोई मकसद होता है। हर इंसान के जीने का कोई न कोई मकसद होता है, लेकिन अक्सर हम अपने मकसद की पहचान नहीं कर पाते। अपने मकसद को पहचान कर कैसे
बढ़ें आगे, बता रहे हैं,सबसे पहले दो उदाहरणों
पर गौर करें। जय किशन ने बारहवीं के बाद बिना किसी योजना या स्ट्रेटेजी के ग्रेजुएशन
के लिए एक कॉलेज में अप्लाई कर दिया। वहां सीट फुल हो जाने के कारण कई प्रमुख विषय
उपलब्ध नहीं थे। चूंकि जय किशन ने आगे के लिए
कुछ सोचा ही नहीं था,
इसलिए उसने कहा, ग्रेजुएशन
ही तो करना है। क्या फर्क पड़ता है? किसी भी सब्जेक्ट से कर लूं।
इस तरह जो विषय उपलब्ध थे, उसने उन्हें ही चुन लिया। ग्रेजुएशन
कम्प्लीट करने के बाद वह उन्हीं विषयों में से एक में बी॰ए॰करने लगा। घर के लोगों को
उम्मीद थी कि बेटा अपनी पढ़ाई के आधार पर कोई अच्छी नौकरी पा जाएगा, लेकिन बेटेजय किशन को तो जैसे कोई
चिंता ही नहीं थी। उसे घर से जेब खर्च के पैसे मिल जाते थे और दिन अच्छी तरह कट ही
रहे थे। बी॰ए॰करने के बाद गंभीरता से कभी नौकरी
पाने या प्रतियोगी परीक्षाएं देने के बारे में नहीं सोचा। घरवालों के दबाव में उसने
बेमन से एक-दो बार अप्लाई किया और एग्जाम भी दिया, लेकिन मुकम्मल
तैयारी न होने के कारण प्रतिस्पर्धा में पीछे रह गया ।
दूसरा उदाहरण तरुण का है। बचपन से ही वह फाइटर प्लेन की गूंजती आवाज
का दीवाना था। बारहवी पास करते-करते उसने अपना
लक्ष्य तय कर लिया कि उसे एयरफोर्स ऑफिसर ही बनना है। इस सपने को उसने अपना जुनून बना
लिया और एनडीए की तैयारी आरंभ कर दी। जब उसने
एनडीए का एग्जाम दिया, तो जोरदार तैयारी और भरपूर कॉन्फिडेंस
होने के कारण पहले ही प्रयास में उसने इसमें क्वालिफाई कर लिया। रिटेन के बाद उसे एसएसबी
इंटरव्यू क्लियर करने में भी कोई परेशानी नहीं हुई। सलेक्शन और ट्रेनिंग के बाद एयरफोर्स
में फाइटर पॉयलट के रूप में नियुक्ति पाकर उसने अपने सपने को हकीकत में तब्दील कर दिया
। आप देखें, तो अपने आस-पास उपरोक्त दोनों तरह के तमाम लोग मिल
जाएंगे। पहली श्रेणी में आने वाले बेपरवाह लोग बिना मकसद जीते और टाइम-पास करते दिख
जाएंगे। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि घर-परिवार के प्रति उनकी भी कोई जिम्मेदारी
बनती है। ऐसे लोग कभी भी आगे बढ़कर कोई जिम्मेदारी लेने की पहल नहीं करते ।
उन्हें
किसी बात की फिक्र नहीं होती। भूख लगने पर खा लेते हैं और बेमतलब की बातें या गप्पें
मारने में मशगूल रहते हैं। पढ़ाई या करियर की राह में आपको भी निरुद्देश्य आगे बढ़ने
की बजाय अपना लक्ष्य तय करके आगे बढ़ना चाहिए। इस बारे में निर्णय करने में दुविधा
होती है, तो कुछ बातों पर गौर करें। सबसे पहले आत्म-मूल्यांकन
करें। यह देखें कि आपका इंट्रेस्ट किस फील्ड में है? इसके बाद
देखें कि उस फील्ड में आगे बढ़ने के लिए किस तरह की स्किल या योग्यता की जरूरत होती
है? क्या आप उसे हासिल करने में खुद को सक्षम महसूस करते हैं?
क्या आप कोई काम बताए जाने पर जिम्मेदारी के साथ उसे पूरा कर पाते हैं?
अगर इन सभी बातों का जवाब 'हां' में है, तो फिर आप अपनी पसंद के क्षेत्र में आगे बढ़ने
की पहल कर सकते हैं। जो मंजिल तय करें, उसके लिए आवश्यक स्किल
अर्जित करें। खुद को सक्षम बनाकर आप कामयाबी की तरफ अग्रसर हो सकते हैं।
निश्चित रूप
से इससे घर-परिवार और समाज में आपकी अलग पहचान भी बनेगी। पढ़ाई या करियर की दिशा में
आगे बढ़ने से पहले अपनी मंजिल तय करें। दूसरों की देखा-देखी करने की बजाय अपनी पसंद
का ध्यान रखें। संबंधित फील्ड में आगे बढ़ने के लिए जरूरी योग्यता हासिल करें। अपनी
जिम्मेदारियों को समझते हुए सजगता के साथ उनका निर्वहन करें।
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