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Posted by : achhiduniya
08 December 2014
प्यार से समझाकर स्वास्थ्यवर्द्धक ……..
मित्रो प्रणाम ...... अक्सर ऐसा देखने में
आता है कि सुबह का नाश्ता करने के लिए आप अपने बच्चों को प्रोत्साहित नही करते ।
ज्यादातर बच्चे स्कूल जाने से पहले अच्छी तरह नाश्ता नहीं करते । चिकित्सकों का
कहना है कि बच्चों को संतुलित और पौष्टिक नाश्ता करवाकर ही स्कूल भेजें। बच्चे को
दिन में तीन मुख्य आहार और दो से तीन बार स्नैक्स जरूर देने चाहिए। स्नैक्स का
सबसे अच्छे विकल्प फल हैं। खून की कमी अर्थात एनीमिया से ग्रस्त बच्चे थोड़ा सा काम
करने पर थकान महसूस करने लगते हैं।
उनके शरीर में चुस्ती-फुर्ती नहीं रहती। इसके
चलते बच्चों की मानसिक क्षमता भी कम होने लगती है। एनीमिया की कमी दूर करने के लिए
बच्चों को हरी पत्तेदार सब्जियां दें। इसके अलावा उन्हें प्रतिदिन थोड़े से ड्राई
फ्रूट्स भी खाने को दें। इससे उनके शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी रहती है। बाल्यावस्था के दिन मौज-मस्ती और नटखटपन के
होते हैं। हालांकि इसी अवस्था में शरीर का सही विकास भी होता है। इसलिए इस उम्र
में बच्चों के खानपान पर समुचित ध्यान देना चाहिए। यह माता-पिता और अभिभावकों का
दायित्व है कि वे अपने बच्चों में सेहत के प्रति सजगता की आदत बचपन से ही डालें।
बाल्यावस्था में बच्चों में मोटापा, वजन कम
होना, एनीमिया और दांतों संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं।
कुछ
बच्चों में व्यवहार सीखने संबंधित समस्याएं भी पैदा होती हैं। ऐसे बच्चों को अपनी
उम्र के अन्य बच्चों के साथ घुलने-मिलने में दिक्कत होती है। ज्यादातर स्कूल की
कैंटीन में खानपान की स्वास्थ्यकर वस्तुएं उपलब्ध नहीं होतीं। यहां समोसा, चाऊमिन और बर्गर आदि वस्तुएं ही उपलब्ध होती हैं। ये वस्तुएं कभी-कभी
खायीं जाएं तो ही ठीक रहता है। प्रतिदिन जंक फूड और फास्ट फूड का सेवन बच्चों की
सेहत के लिए सही नहीं रहता है। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चे को
स्वास्थ्यप्रद वस्तुओं से युक्त टिफिन बाक्स देकर ही स्कूल भेजें। बदलते दौर में
माता-पिता के साथ बच्चे भी सामाजिक समारोहों में बढ़-चढ़कर शिरकत करते हैं। कुछ
बच्चों का वजन लंबाई के अनुपात में काफी कम होता है। कुछ बच्चों की आदत कम खाने की
होती है।
उनकी यह प्रवृत्ति माता-पिता के लिए परेशानी का कारण बन जाती है। ऐसे
बच्चों के बारे में माता-पिता को यह मालूम करना चाहिए कि उन्हें कौन से खाद्य
पदार्थ पसंद हैं। संभव है कि पसंदीदा खाद्य पदार्थ न मिलने के कारण वे कम खाते
हों। उन्हें प्यार से समझाकर स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन दें। मसलन, बर्थ-डे पार्टी में जाना, पिकनिक पर जाना, शॉपिंग मॉल आदि जगहों पर जाना। इन स्थानों पर खाने-पीने की जो वस्तुएं
उपलब्ध होती हैं, उनमें से ज्यादातर स्वास्थ्यकर नहीं होतीं।
ऐसे स्थानों पर बच्चों को एक बेहतर विकल्प चुनने की राय देनी चाहिए। अपने देश में बाल्यावस्था में होने वाले मोटापे
की समस्याएं बढ़त पर हैं। आप बच्चे में खानपान से संबंधित अच्छी आदतें डालकर
उन्हें मोटापे से बचा सकती हैं।
इसके लिए उन्हें शुगर युक्त खाद्य पदार्थो से दूर
रखें और उनके आहार में सब्जियां व फलों की मात्रा बढ़ाएं। बच्चे को यह भी समझाना
चाहिए कि उसे मिठाइयों व ऐसे पेय पदार्र्थो से दूर रहना चाहिए, जिनमें शुगर ज्यादा रहती है। बच्चे को फल व सब्जियां खाने के लिए प्रेरित
करना चाहिए। यदि पहले से ही आपका बच्चा मोटा है
तो उसे शारीरिक गतिविधियों में भाग
लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए।अगर बच्चे का वजन कम है तो इसका मतलब यह नहीं है
कि आप उसे शुगरयुक्त खाद्य पदार्थो को खाने की अनुमति प्रदान करें। शुगरयुक्त
खाद्य पदार्र्थो का अधिक सेवन नुकसानदेह ही होता है।
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