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- क्या...? वाकई होता शुभ – अशुभ समय....
Posted by : achhiduniya
23 January 2015
सच्चे मन से ध्यान करके भी अपने कार्य को......
पुरातन समय या वैदिक काल से ही शुभ मुहूर्त में कार्य प्रारंभ
करने की अनिवार्यता रही है।बच्चे के जनेऊ संस्कार से प्रारंभ करते हुए म्रत्यु संस्कार
वैदिक काल से ही प्रचलित रहे हैं।जिसमे नाम कर्ण संस्कार,विवाह संस्कार,पित्र मोक्ष संस्कार, इत्यादी कार्य की पूर्णता व सफलता के उद्देश्य से शुभ मुहूर्त में कार्य
प्रारंभ करने की परंपरा वंशानुगत वर्णानुसार आज भी चली आ रही है। जहां एक ओर हमारे
आदि-ग्रंथों में भी शुभ मुहूर्त में प्रारंभ किए गये कार्यों की पूर्णता एवं सफलता
के असंख्य उदाहरण हैं, वहीं दूसरी ओर बिना मुहूर्त या अचानक
कार्य प्रारंभ करने के परिणामस्वरूप बाधाओं सहित कार्य बीच में ही बंद होने या
कार्य की असफलता के भी कई उदाहरण उपलब्ध है।
आज के भौतिक विज्ञान के युग मे लोगों
को वाहन क्रय करना हो या ऐसा ही कोई अन्य अवसर हो तो, मुहूर्त
देखकर ही क्रय-विक्रय करना अभी उचित नहीं है, छोड़
देते हैं, लेकिन तमाम ऐसे मौके होते हैं कि मुहूर्त न होने
पर भी वाहन या अन्य कोई विशेष कार्य करने पर उसका परिणाम अच्छा होने की बजाय उसके
बिल्कुल विपरीत हो जाता है,जैसे वाहन लेकर लौटते समय ही
दुर्घटनाग्रस्त हो जाना या अन्य कोई नुकसान हो जाना। इसका प्रमुख कारण यह भी है कि
कदाचित लग्न, लग्नेश, तिथि, वार नक्षत्र, योग प्रहर व घटी आदि के साथ ही साथ
ग्रहीय स्थिति पर विचार नहीं किया। मुहूर्त के संदर्भ में यही महत्वपूर्ण तथ्य है
उस काल विशेष में कितनी अमृत रश्मियां वातावरण में मौजूद थी। इसके साथ ही साथ यह
कार्य विशेष किस नक्षत्र तथा लग्न के गुणधर्म, स्वरूप व
स्वभाव से मेल खाता है।
इन्हीं रश्मियों के गहन शोध और अनुभवगत अध्ययन के आधार पर
मुहूर्त निर्धारण बताया गया है। नक्षत्रों का अपना स्वरूप, गुणधर्म
व स्वभाव है। किसी कार्य विशेष के समय नक्षत्र विशेष, लग्न
विशेष इत्यादि के चयन ही कार्य की गतिशीलता, सफलता और लक्ष्य
निश्चित करती है।
गृह निर्माण, गृह प्रवेश मुंडन संस्कार,
यज्ञोपवीत आदि कार्यों के लिए आज भी मुहूर्त की आवश्यकता होती है,
जिसके लिए हमें किसी ज्योतिषी की आवश्यकता महसूस होती है। मुहूर्त
जैसे अति संवेदनशील विषय के साथ शुभ मुहूर्त जानने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति और
ज्योतिषी दोनों के द्वारा ही पूर्णतः सजगता बरतनी चाहिए। मुहूर्त के साथ समझौतावादी दृष्टिकोण
नहीं अपनाना चाहिए क्योंकि कार्य की पूर्णता व सफलता शुभ मुहूर्त पर ही निर्भर
करती है।
अगर आप चाहे तो अपने[इष्ट] ईश्वर,खुदा ,गॉड,गुरु का सच्चे मन से ध्यान करके भी अपने कार्य को
आरंभ कर सकते है। किसी की मदद करने ,किसी की भलाई करने,किसी का दुख दूर करने,सच बोलने और हमेशा अच्छा काम
करने के लिए आपको किसी शुभ समय ,मुहूर्त के इंतजार करने की
आवश्क्ता नही है इसे आप आज से बल्कि अभी
सेअपने घर से ही शुरूवात कर सकते है।