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- ङॉक्टर को भी चाहिए बेहतर ङॉक्टर ......
Posted by : achhiduniya
12 February 2015
बनना चाहते है तो इस कोर्स पर डाले एक नजर ......
युवा वर्ग को आज अपने भविष्य को लेकर चिंता
करना स्वाभाविक है वही उनके पास विकल्पो की कोई कमी नही है। हर युवा या हर मेरिट
होल्डर ङॉक्टर बने यह भी संभव नही लेकिन हा अगर आप मे वाकई डाक्टर बनने की चाहत है
तो आप हेल्थ से सबंधित कोर्स जैसे पौथोलोजीस्ट ,फिज्योथरेपीस्ट ,एक्यूप्रेशर, क्लिनिकल
डाइटीशियन, कम्युनिटी डाइटीशियन, मैनेजमेंट
डाइटीशियन ,कंसल्टेंट डाइटीशियन ,थैरेप्यूटिक
न्यूट्रिशन ,पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन या सबसे ज्यादा जो हर डाक्टर
की ,हर व्यक्ति, हर पेशंट को जरूरत होती
है वो है डायटीशियन [आहार विशेषज्ञ ] की क्योकि आजकल लोग अपनी हेल्थ और फिटनेस को
लेकर बहुत जागरूक हो गए हैं।
वे यह भी समझ गए हैं कि केवल व्यायाम करने से शरीर को
स्वस्थ नहीं रखा जा सकता। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित और पौष्टिक भोजन
किया जाना भी जरूरी है। इससे न सिर्फ शरीर चुस्त- दुरुस्त रहता है, बल्कि कार्य करने की क्षमता भी बढ़ती है। दूसरी तरफ इसके अभाव में मनुष्य
कुपोषण का शिकार हो जाता है और उसके अंदर क्रोध, तनाव,
ईर्ष्या व भय जैसे गुण पनपते हैं। इसके अलावा पाचन क्रिया के अध्ययन
और प्रमुख शोधों से यह भी पता चला है कि शरीर में
अधिकांश रिएक्शन व शारीरिक परेशानियां संतुलित आहार न लेने की वजह से होती हैं। लोगों
की बदलती जीवनशैली ने यह असंतुलन पैदा किया है और लोगों का स्वास्थ्य इससे
प्रभावित हो रहा है। ऐसे में लोगों को एक ऐसे विशेषज्ञ की जरूरत पड़ती है, जो उन्हें इन समस्याओं के प्रति जागरूक करने के अलावा उन्हें सही राय दे
सके। यह काम डाइटीशियन बखूबी अंजाम दे सकते हैं। इनका कार्य खाद्य पदार्थों की
गुणवत्ता का विश्लेषण करना और स्वास्थ्य सुधारने के लिए सलाह-मशविरा कर उपाय बताना
है।
इस पूरी विधा को आहार विज्ञान (डाइटेटिक्स) कहा जाता है। इस प्रक्रिया में
केवल खाने से पहले ही आहार की गुणवत्ता का निर्धारण नहीं किया जाता, बल्कि आहार के शरीर पर पडने वाले प्रभाव का भी विश्लेषण किया जाता है। डाइटीशियन
के क्षेत्र में जो भी करियर ऑप्शन हैं, वे ग्रेजुएशन व पोस्ट
ग्रेजुएशन के बाद ही सामने आते हैं। इसके लिए छात्रों को गृह विज्ञान, न्य्रूटिशन, फूड साइंस/टेक्नोलॉजी से संबंधित कोर्स
करने अनिवार्य हैं। बैचलर कोर्स के लिए छात्रों को गृह विज्ञान विषय के साथ
बारहवीं पास होना जरूरी है। कुछ संस्थान ऐसे भी हैं, जो
बारहवीं के बाद चार वर्षीय फूड टेक्नोलॉजी का कोर्स कराते हैं। इसके बाद मास्टर
कोर्स में दाखिला लिया जा सकता है।
एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा कोर्स भी छात्रों के
आकर्षण का केंद्र बना रहता है। इसमें प्रवेश पाने के लिए फूड साइंस, होम साइंस, बायोटेक्नोलॉजी आदि में बैचलर होना
आवश्यक है। आहार विज्ञान (डाइटेटिक्स) विज्ञान एवं कला दोनों का मिश्रण है। इसमें
न्यूट्रिशन के सिद्धांतों को भली-भांति समझा जाता है। कोर्स के दौरान डाइट,
फूड मैनेजमेंट, फूड हैबिट्स, फूड प्रोडक्शन व प्रोसेसिंग आदि के बारे में विस्तार से बताया जाता है।
स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए डाइट चार्ट का अहम रोल होता है। संबंधित
प्रोफेशनल्स उसे तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन सबके अभाव में
कुपोषण जन्म लेता है। कुपोषण के कारण व्यक्ति का स्वास्थ्य गिरता है और शरीर रोगग्रस्त
हो जाता है। बतौर डाइटीशियन इस बीमारी को रोका जा सकता है। यह तभी संभव हो पाता है,
जब प्रोफेशनल्स को आहार व पोषण की भली-भांति जानकारी हो।
फायदे व नुकसान
@ कम मेरिट पर भी मिलता है
प्रवेश
@ डिप्लोमा कोर्स से भी चल जाता है काम
@ कोर्स से मिलती है रोचक जानकारी
@ अन्य प्रोफेशन की तुलना में कम सेलरी पैकेज
@ कम क्षेत्रों में रोजगार की संभावना
@ ज्यादा ट्रैवल करने पर ही बढ़ती है आमदनी
@ डिप्लोमा कोर्स से भी चल जाता है काम
@ कोर्स से मिलती है रोचक जानकारी
@ अन्य प्रोफेशन की तुलना में कम सेलरी पैकेज
@ कम क्षेत्रों में रोजगार की संभावना
@ ज्यादा ट्रैवल करने पर ही बढ़ती है आमदनी
कुछ प्रमुख कोर्स
@ बीएससी इन न्यूट्रिशन एंड डाइटेटिक्स
@ एमएससी इन न्यूट्रिशन एंड डाइटेटिक्स
@ एमएससी फूड एंड न्यूट्रिशन/क्लिनिकल न्यूट्रिशन
@ पीजी डिप्लोमा इन डाइटेटिक्स एंड पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन
@ डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा इन डाइटेटिक्स
@ पीजी डिप्लोमा इन क्लिनिकल न्यूट्रिशन
@ पीएचडी इन न्यूट्रिशन
@ बीएससी इन न्यूट्रिशन एंड डाइटेटिक्स
@ एमएससी इन न्यूट्रिशन एंड डाइटेटिक्स
@ एमएससी फूड एंड न्यूट्रिशन/क्लिनिकल न्यूट्रिशन
@ पीजी डिप्लोमा इन डाइटेटिक्स एंड पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन
@ डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा इन डाइटेटिक्स
@ पीजी डिप्लोमा इन क्लिनिकल न्यूट्रिशन
@ पीएचडी इन न्यूट्रिशन
प्रमुख संस्थान
@ दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली वेबसाइट- www.du.ac.in
@ इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली वेबसाइट- www.ignou.ac.in
@ गुरुजम्भेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, हिसार वेबसाइट- www.gjust.ac.in
@ पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, पंजाब वेबसाइट- www.puchd.ac.in
@ इंस्टीटय़ूट ऑफ होम इकोनॉमिक्स, नई दिल्ली वेबसाइट- www.ihe-du.com
@ इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च,नई दिल्ली वेबसाइट- www.icmr.nic.in
@ जीबीपंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, उत्तराखण्ड वेबसाइट- www.gbpuat.ac.in
@ यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई, मुंबई वेबसाइट- www.mu.ac.in
@ इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली वेबसाइट- www.ignou.ac.in
@ गुरुजम्भेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, हिसार वेबसाइट- www.gjust.ac.in
@ पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, पंजाब वेबसाइट- www.puchd.ac.in
@ इंस्टीटय़ूट ऑफ होम इकोनॉमिक्स, नई दिल्ली वेबसाइट- www.ihe-du.com
@ इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च,नई दिल्ली वेबसाइट- www.icmr.nic.in
@ जीबीपंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, उत्तराखण्ड वेबसाइट- www.gbpuat.ac.in
@ यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई, मुंबई वेबसाइट- www.mu.ac.in
आमतौर पर लोगों का मानना है कि यह विधा सिर्फ महिलाओं के लिए है तथा
वही इसमें बेहतर कर सकती हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि
इसमें पुरुषों के लिए कोई मनाही नहीं है। इसमें प्राइवेट व सरकारी दोनों ही सेक्टर
में नौकरियां मिलती हैं। स्कूल, हॉस्पिटल, हेल्थ सेंटर, स्पोर्ट्स क्लब, एनजीओ,
क्रूज लाइन व जिम आदि जगहों पर डाइटीशियनों की नियुक्ति की जाती है।हॉस्पिटैलिटी
सेक्टर बड़े रोजगार प्रदाता के रूप में जाना जाता है, जबकि
सरकारी क्षेत्रों में आईसीडीएस, एनएचआरएम, आईसीएमआर, पीएचएफआई आदि जगहों पर काम मौजूद है। आजकल
कॉरपोरेट घराने अपने यहां न्यूट्रिशनिस्ट अथवा डाइटीशियनों की नियुक्ति कर रहे हैं,
ताकि कर्मचारियों की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को दूर किया जा सके
और लोग तंदुरुस्त रहें। चाहें तो अपना सेंटर खोल कर भी लोगों को स्वास्थ्य से
जुड़ी जानकारी प्रदान कर सकते हैं। अच्छे प्रोफेशनल्स के लिए विदेशों में व्यापक
संभावनाएं मौजूद हैं।अपनी काबिलियत व मेहनत के बल पर वे इसमें ऊंचा मुकाम हासिल कर
सकते हैं।
इसमें एक डिप्लोमाधारी डाइटीशियन को 15-20 हजार
रुपए प्रतिमाह आसानी से मिल जाते हैं, जबकि मास्टर कोर्स
करने के बाद प्रोफेशनल्स को 20-22 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते
हैं। अनुभव बढ़ने के साथ-साथ यह सेलरी भी बढ़ जाती है। यदि वे अपना सेंटर खोल कर
कंसल्टेंट का काम कर रहे हैं तो फिर आमदनी की रूपरेखा उनकी प्रसिद्धि पर निर्भर
करती है। बड़े हेल्थ सेंटर डाइटीशियन को मोटी रकम पर नियुक्त करते हैं, जबकि विदेशों में काम करने अथवा अपना सेंटर खोलने वालों के लिए आमदनी की
कोई निश्चित सीमा नहीं होती। इस प्रकार आप अपने विवेक बुद्धि से सही रास्ता चुन कर
अपने सपनों को साकार कर सकते है।
डॉ. रीता एस.रघुवंशी,
डीन, कॉलेज ऑफ होम साइंस,
जीबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर
डीन, कॉलेज ऑफ होम साइंस,
जीबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर