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- बम – बम भोले शंकर, मुश्किल-गम दूर कर......
Posted by : achhiduniya
15 February 2015
क्रेन की मदद से सीधा
खड़ा किया गया.....
शिव के हथियारो मे त्रिशूल
उनका मुख्य साथी होने के साथ ही त्रिशक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। शरीर पर शेर
की खाल हाथ मे कमंडल,डमरू और गले मे रुद्राक्ष की माला के साथ सर्प की माला,जटाओ से निकलती गंगा की निर्मल धारा शिव जी के स्वरूप की पहचान है। शिव जी
को देवो के देव महादेव भी कहा जाता है क्योकि सागर मंथन के समय समुन्द्र से निकले विष
को शिव जी ने अपने कंठ मे समा कर श्रष्टी का विनाश होने से बचाया था
जिससे उनका नाम
नीलकंठ अर्थात नीले गले वाला पड गया। कई भगत इन्हे भोले बाबा के नाम से भी पूजते है
क्योकि ये भगतो की अल्प पूजा यानी श्रद्धा ,प्रेम, विश्वास से की गई थोड़ी भगती पर अति
प्रसन्न हो जाते है। इन्हे बेल पत्र ,धतूरा ,भांग अति प्रिय है।
पश्चिमी नेपाल के डांग ज़िले में आठ
हज़ार किलो वज़नी एक त्रिशूल स्थापित किया गया है। त्रिशूल हिंदुओं के भगवान
शिव का हथियार माना जाता है। त्रिशूल स्थापना के इस कार्यक्रम में शामिल होने के
लिए सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग एकत्र हुए थे। आयोजकों के अनुसार, इससे पहले 2,700
किलो का एक त्रिशूल भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ ज़िले में
स्थापित किया गया था। पांडवेश्वर मंदिर में आयोजित कार्यक्रम के आयोजकों का दावा
है कि यह दुनिया का अपनी तरह की सबसे बड़ी सरंचना है।
स्थानीय निवासियों को उम्मीद है कि अगले
हफ़्ते पड़ने वाले शिवरात्रि त्यौहार से पहले 'दुनिया के
सबसे ऊंचे त्रिशूल' की स्थापना से इलाक़े में धार्मिक पर्यटन
को बढ़ावा मिलेगा। इसे एक क्रेन की मदद से सीधा खड़ा किया गया। यह त्रिशूल पांच
धातुओं से बनाया गया है- जिसमे तांबा, सोना, चांदी, लोहा और कांसा का इस्तेमाल किया गया है।
शिवरात्री
के दिन लोग उपवास रख – विधीवत पूजा ॐ नमः शिवाय
का जाप कर भोले शंकर से अपनी इच्छा पूर्ती तथा अपने दुखो
कष्टो को दूर करने की प्रार्थना करते है। आप सभी शिव भगतो को शिवरात्री की हार्दिक
शुभकामनाए......