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- गैस सिलेंडर भी होता है.......? एक्सपायर.....
Posted by : achhiduniya
21 February 2015
10 से 25 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा.......
सरकार चाहे सिलेंडर की काला बाजारी को रोकने
के लिए कितने ही प्रयास करे लेकिन चोरी करने वाले किसी भी हद तक चले जाते है। सरकार
सब्सिडी सीधे खाते मे देने की पहल के चलते जहा इस पर अंकुश लग रहा है वही आम नागरिकों
को इस समस्या से दो – चार भी होना पड रहा है।
आज हम बात करेंगे सिलेंडर के एक्सपायरी यानी कुछ समय के बाद उसके अंदर होने वाले परिवर्तन
की और उसके द्वारा किस प्रकार इन्शोरेंस यानी बीमा प्राप्त किया जा सकता है। आम तौर
पर करीब हर घर में सिलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है,
लेकिन इनमें से अधिकतर घरों में सिलेंडर की पूरी तरह से जांच-पड़ताल
नहीं की जाती है। ऐसे लोगों को अब सावधान हो जाना चाहिए। बिना सिलेंडर की एक्सपायरी
डेट पर गौर किए इसे न खरीदें।
अब आप सोच रहे होंगे कि सिलेंडर की भी एक्सपायरी होती
है क्या? जी हां, सिलेंडर भी एक्सपायर होता
है और एक्सपायर सिलेंडर जानलेवा हो सकता है। दिलचस्प है कि तकरीबन पांच फीसदी सिलेंडर
एक्सपायर्ड या एक्सपायरी डेट के करीब होते हैं। टेक्निकल जानकारी कम होने से ये रोटेट
होते हैं। सामान्यतया एक्सपायरी डेट औसतन छह से आठ महीने एडवांस रखी जाती है। सूत्रों
के मुताबिक, चूंकि एक्सपायरी डेट पेंट द्वारा प्रिंट की जाती
है, इसलिए इसमें हेर-फेर संभव है, क्योंकि
कई बार जर्जर हालत में जंग लगे सिलेंडर पर भी एक्सपायरी डेट डेढ़-दो साल आगे की होती
है। एजेंसी वाले तर्क देते हैं कि यहां से वहां लाते ले जाते वक्त उठा-पटक से कुछ सिलेंडर
पुराने दिखते हैं।
गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक का दुर्घटना
बीमा हो जाता है। इसके तहत गैस सिलेंडर से हादसा होने पर पीड़ित बीमे का क्लेम कर सकता
है, साथ ही सामूहिक दुर्घटना होने पर 50 लाख रुपए तक देने का
प्रावधान है। एक्सपायरी डेट को कैसे देखा जा सकता है @ सिलेंडर
की पट्टी पर ए, बी, सी, डी में से एक लेटर के साथ नंबर होते हैं
@गैस कंपनियां
12 महीनों को चार हिस्सों में बांटकर सिलेंडरों का ग्रुप बनाती हैं।
@'ए' ग्रुप में जनवरी, फरवरी,
मार्च और @'बी' ग्रुप में अप्रैल मई जून होते हैं। ऐसे ही @ 'सी' ग्रुप में जुलाई,
अगस्त, सितंबर और @ 'डी' ग्रुप में अक्टूबर, नवंबर और
दिसंबर होते हैं। सिलेंडरों पर इन ग्रुप लेटर
के साथ लिखे नंबर एक्सपायरी या टेस्टिंग ईयर दर्शाते हैं। जैसे- @ बी-12' का मतलब सिलेंडर की एक्सपायरी डेट जून,
2012 है।
@ ऐसे ही, 'सी-12'
का मतलब सितंबर, 2012 के बाद सिलेंडर का इस्तेमाल
खतरनाक है। एक्सपायर्ड या टेस्टिंग ड्यू डेट
क्रॉस कर चुके सिलेंडरों के वॉल्व से लीकेज का खतरा ज्यादा होता है, जो विस्फोट का कारण बन सकता है। सिलेंडर
डिलिवरी व्हीकल्स पर भी ऐसे सिलेंडरों से हादसे की आशंका रहती है और गोदाम में ये ब्लास्ट
करें, तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है। एक्सपायर्ड सिलेंडर मिलने
पर उपभोक्ता एजेंसी को सूचना देकर सिलेंडर रिप्लेस करा सकते हैं। गैस एजेंसी के रिप्लेसमेंट से मना करने पर खाद्य
या प्रशासनिक अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं।
इसे सेवा में कमी मानते हुए उपभोक्ता
फोरम में मामला दायर कर सकते हैं। गैस कनेक्शन के साथ लाखों का बीमा :- हाल ही में
आरटीआई से खुलासा हुआ है कि गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक
का दुर्घटना बीमा हो जाता है। इसके तहत गैस सिलेंडर से हादसा होने पर पीड़ित बीमे का
क्लेम कर सकता है, साथ ही सामूहिक दुर्घटना होने पर 50 लाख रुपए
तक देने का प्रावधान है। इसके लिए दुर्घटना होने के 24 घंटे के भीतर संबंधित एजेंसी
व लोकल थाने को सूचना देनी होगी और दुर्घटना में मृत्यु होने पर जरूरी प्रमाण पत्र
उपलब्ध कराना होगा।
एजेंसी अपने क्षेत्रीय
कार्यालय और फिर क्षेत्रीय कार्यालय बीमा कंपनी को मामला सौंप देता है, लेकिन इस क्लेम के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना जरूरी है। जो इस प्रकार हैं:-
@गैस कनेक्शन वैध होना चाहिए। @ एजेंसी
से मिली पाइप-रेग्युलेटर ही इस्तेमाल हो। @आईएसआई मार्का गैस
चूल्हे का उपयोग हो।
@लापरवाही से गैस के इस्तेमाल पर क्षतिपूर्ति
नहीं। @ गैस इस्तेमाल की जगह पर बिजली का खुला तार न हो। @ चूल्हे का स्थान, सिलेंडर रखने के स्थान से ऊंचा हो।
इस प्रकार नियमित जाँच कराने से भी हादसे को टाला जा सकता है। जरा सी सावधानी......
जीवन मे दे खुशहाली ....।