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Posted by : achhiduniya
21 February 2015
मस्तिष्क पर अधिक दबाव ना रहे और वह
अपनी......
मानव मस्तिष्क पूरे शरीर का वो भाग होता है
जो सोते – जागते पूरे शरीर पर नियंत्रण रखता है। शरीर के प्रत्येक अंग को निर्देश
देने से लेकर प्रत्येक अंग की रक्षा करने तक की ज़िम्मेदारी मस्तिष्क की होती है। डरावनी घटनाओं और डरावने अनुभव से भले हम जल्द
ही उबर आएं या भूल जाएं, लेकिन हमारे मस्तिष्क में
ऐसी घटनाओं के ब्यौरे लंबे समय तक दर्ज रहते हैं।
एक ताजा अध्ययन के अनुसार,
हमारा मस्तिष्क डरावनी घटनाओं से जु़डे ब्यौरों जैसे घटना के स्थान,
देखी हुई चीजों और भावनात्मक उतार-चढ़ाव को बिल्कुल अलग तरीके से
संजोकर रखता है। शोध के सहायक एवं स्पेन के वेलविट्ज जैवचिकित्सकीय अनुसंधान
संस्थान के लुआस फ्यूएंटेमिला के अनुसार, यह अध्ययन डरावने
अनुभवों के बाद तनाव एवं विकार की समस्या पनपने की प्रक्रिया समझने में मददगार है।
अध्ययन के तहत अनुसंधानकर्ताओं ने मनुष्यों में अंतर्निहित और बातें स्मृतियों के चिन्हों
का क्रमवार अध्ययन किया।
अनुसंधानकर्ताओं ने प्रयोगशाला में डरावनी परिस्थिति पैदा
कर और सामान्य परिस्थितियों में 86 लोगों की त्वचा के इलेक्ट्रिकल लक्षणों का
अध्ययन किया। इसके तहत लोगों को कुछ शब्द पढ़ने के लिए दिए गए थे। दोनों ही
परिस्थितियों में भूलने की प्रक्रिया सामान्य रही। समय के साथ वे सारे शब्द भूल
गए। लेकिन डरावने अनुभव के संदर्भ में भावनात्मक अंतर्निहित प्रतिक्रिया देते हुए
त्वचा के इलेट्रिकल लक्षण बिल्कुल वैसे ही रहे, बल्कि
सामान्य परिस्थितियों के मुकाबले कहीं अधिक सघन रहे।
समय के साथ हम स्मृति के कुछ
हिस्से पूरी तरह भूल जाएं और हमें उसके विस्तृत ब्यौरे याद न रहें, लेकिन भावनात्मक स्मृतियां फिर भी बची रहती हैं। इसलिए कभी भी परिस्थितियो
को नजर अंदाज नही करना चाहिए बल्कि उनसे निपटने के लिए सकारात्मक नजरिए का उपयोग
करना चाहिए ताकी मस्तिष्क पर अधिक दबाव ना रहे और वह अपनी सर्जनात्मक्ता को बड़ाता
रहे ।