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- नदी को बहने से रुकते या लहरो को थमते देखा.....?
Posted by : achhiduniya
05 February 2015
हार भी कुछ देकर जाती है.......?
मित्रो प्रणाम
.....जीवन मे निरंतर आगे बड़ते रहना किसे अच्छा नही लगता शायद ही कोई ऐसा व्यक्ती
हो जिसे पहली ही कोशिश मे पूरी कामयाबी मिली हो लेकिन असफलता या हार का मुहं देखना
पड़ भी जाए तो निराश,हताश,मायूस होने की कोई जरूरत
नही क्योकि जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबह शाम.... लहरो को,नदी
को बहते,आप सभी ने जरूर देखा है तो क्या....?आपने कभी नदी को बहने से रुकते या
लहरो को थमते देखा है। तो फिर आगे बढ़ने की राह में जो सबसे बड़ी बाधा हैं।
हार, असफलता और तकलीफों से उपजी निराशा
को पीछे छोड़कर ही जीवन को अच्छे से जिया जा सकता है। अपनी निराशाओं से उबरने के
लिए कुछ छोटे प्रयास कारगर सिद्ध हो सकते हैं।निराशा के क्षणों को कभी भी जीवन पर
हावी न होने दें। बल्कि जीवन के हताशा भरे क्षणों से कुछ सीखने का प्रयास करें। इन
लम्हों से उबरकर आगे बढ़ना और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश ही हमारा लक्ष्य होना
चाहिए। चाहे कामकाजी जीवन हो, व्यक्तिगत संबंध या फिर स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां, इन सभी कारणों से हमारे जीवन में
निराशा के क्षण आते हैं।
कुछ ऐसे क्षण जब हम अपनी शक्ति और सामर्थ्य को कम महसूस
करने लगते हैं। खुद को असमर्थ और असहाय पाते हैं। लगने लगता है कि हम जीवन को आगे
ले जाने में खुद को सामर्थ्यवान नहीं पा रहे हैं। निराशा के ऐसे क्षण हमें अवसाद
और दुख भी देते हैं। लेकिन निराशा को जीवन पर हावी होने दिया जाए तो जीवन की
स्वाभाविक गति प्रभावित होने लगती है इसलिए उन पलों से बाहर आ जाने का अर्थ ही
जीवन है। कई बार पूर्व में दुर्घटनाएं हमारे मन को अपने कब्जे में कर रखती हैं। हम
खुद को उनसे मुक्त कर पाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। इस बात का स्मरण रहे कि
हमेशा ही जीवन में जीत नहीं मिलती है। हर उम्मीदवार को नौकरी नहीं मिल जाती है, हर काम पक्ष में ही नहीं हो पाता
है। जीवन तो उतार चढ़ाव का नाम है। यहां हर तरह की स्थिति बनती है और आनंद भी इसी
में है। इसलिए हर स्थिति में सहज रहना जरूरी है।
लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि आप
अपने लिए ऊंचे लक्ष्य तय ही न करें। अपने लक्ष्य ऊंचे रखें लेकिन उन लक्ष्यों के
पूरा न होने पर भी जीवन को रुकने न दें। असफलता और हार भी हमें बहुत कुछ सीखने का
मौका देती है। जब भी हम हारते हैं या निराश होते हैं तब हम धैर्य रखना सीखते हैं।
हम सफलता के लिए अधिक उद्यत होते हैं।
जब भी हार होती है तो उसे इस तरह ही देखें
कि आपके प्रयास सफलता के लिए पर्याप्त नहीं थे। आपको सफलता के लिए और तैयारी की
जरूरत है। निराशा में ही आशा छिपी होती है।