- Back to Home »
- Knowledge / Science »
- चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक और उपलब्घि.....
Posted by : achhiduniya
02 February 2015
बिना चीर-फाड़ ऑपरेशन..इण्डो वेस्कुलर तकनीक
पेशंट[मरीज]
को बेहोशी की हालत में निजी अस्पताल लाया गया था। नस फटने के ऎसे मामले में ऑपरेशन
के लिए सिर की चीर-फाड़ करनी पड़ती थी। इसके बाद फटी नस को ढूंढ़ा जाता था। इस
जटिल प्रक्रिया में दूसरी नसों को हानि पहुंचने का खतरा बना रहता था। हर वर्ष ऎसी
बीमारी के 10-12 मरीज आते हैं। सिर की नसों में तेजी से रक्त
प्रवाह होता है। एक ही जगह तेजी से रक्त प्रवाह से स्थान विशेष की नस डैमेज होने
लगती है। इससे नस में अतिरिक्त उभार आ जाता है।
इस फूले हुए गुब्बारे को
एन्युरिज्म कहा जाता है। यह रक्त प्रवाह से फट जाता है तो भयंकर सिर दर्द होता है।
ऎसे मामले 45 से 60 वर्ष तक की आयु
वर्ग में अधिक आते हैं। न्यूरो इंटरवेंशन इंडो वेस्कुलर कोइल एम्बुलाइजेशन का पहला
सफल ऑपरेशन है।कोटा ने चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक और उपलब्घि हासिल की
है। न्यूरो सर्जन डॉ. कृष्णहरि शर्मा, न्यूरो रेडियोलॉजिस्ट
डॉ. लोकेश रावत, न्यूरो फिजीशियन डॉ. अमित देव व निश्चेतना
विशेषज्ञ डॉ. सुनीता शर्मा की टीम ने सांगोद के कोटड़ी गांव निवासी 45 वर्षीय अर्जुन का ऑपरेशन किया।साधारण आपरेशन मे चार घंटे तक समय और सात दिन
या अधिक का समय रिकवर होने में चाहिए होता है।
नस डैमेज का खतरा अधिक होता है। इण्डो
वेस्कुलर तकनीक से तीन घंटे का समय तथा छह घंटे में रिकवरी हो जाती है। इसमे किसी भी
प्रकार की चीर-फाड़ नहीं होती और मरीज को किसी प्रकार की रिस्क कम होती है।[साभार ]