Archive for March 2015
रोज करे मन का मंजन.....तो होता रहेगा मनोरंजन.......
बाबा "जुत्तिया" वी खा लेंदा के नई ?
@ हिन्दी की कक्षा में मास्टरजी की
पैंट की चैन खुली थी, जिसे देखकर लड़कियाँ हंसने लगीं...
मास्टरजी को यह बात पता नहीं थी, लेकिन उन्होंने डांटते हुए कहा - "ज्यादा ही-ही मत करो, वरना बाहर निकालकर खड़ा कर
दूँगा..." लड़कियाँ और ज्यादा हँसने लगीं... ...........
@बाप- बेटा मैंने तेरे लिए एक लड़की देखी है, वो रूपवती, गुणवती और सरस्वती है। बेटा-
लेकिन पापा मैं किसी ओर से प्यार करता हूं और वो गर्भवती है
@ जिंदगी"
में "कभी" "कोई" "गलती"
हो "जाये"
"तो" "घबराओ" "मत"
"बस" 2 "मिनट" अपनी "आंखें" "बंद" "करो"
"और"
"सोचो" "कि"
:
:
"इसका" "इलजाम" "किस" पर "लगाया"
"जाय
"तो" "घबराओ" "मत"
"बस" 2 "मिनट" अपनी "आंखें" "बंद" "करो"
"और"
"सोचो" "कि"
:
:
"इसका" "इलजाम" "किस" पर "लगाया"
"जाय
@ एक फ़क़ीर घर के बाहर आवाज़ लगा रहा था
:-"कोई बाबा णु रोटी खवा दो ""बाबा चावल वी खा लेन्दा
""बाबा आइसक्रीम वी खा लेंदा ""बाबा बर्गर वी खा लेंदा
""बाबा सैंडविच वी खा लेंदा
"घर के अंदर से आवाज़ आई :-बाबा "जुत्तिया" वी खा लेंदा के नई ?
बाबा :-ना पुत्रर सख्त चीज दी मनाई है ।
"घर के अंदर से आवाज़ आई :-बाबा "जुत्तिया" वी खा लेंदा के नई ?
बाबा :-ना पुत्रर सख्त चीज दी मनाई है ।
@ स्पेशल फार्मूला -
अगर पांच सौ लोगों के लिए
शिकंजी बनानी हो तो
दो ढक्कन TIDE मिला दें
क्यूंकि नए TIDE मेँ है
हज़ारों निम्बूओं की शक्ति......
किसकी सुनते है आप.....?अपनी या लोगो की........
“हमे तो अपनो ने लूटा गैरो मे कहा दम था,मेरी
कश्ती [नाँव ] वहॉ डूबी जहॉ पानी कम था”........
मित्रो प्रणाम
.....आज के जीवन मे इतने उतार चड़ाव आते है जिससे व्यक्ति कभी –कभी हिम्मत हारने
लगता है,साथ ही ऐसी स्थितिया - परिस्थितिया
उत्पन्न हो जाती है की चारो तरफ अंधकार ही अंधकार दिखाई देने लगता है। गैर तो गैर
अपने भी हमारी हिम्मत को तोड़ने मे कोई कसर नही छोड़ते। एक कहावत है,”जब जहाज पानी मे डूबने लगता है तो सबसे पहले चूहे कूदकर भागने लगते है”।“ हमे
तो अपनो ने लूटा गैरो मे कहा दम था,मेरी कश्ती [नाँव ] वहॉ डूबी
जहॉ पानी कम था ”।
ऐसा ही वक्त कभी ना कभी हर इंसान के जीवन मे भी आता है जब उसे
मुसीबते घेर लेती है,वे किसी भी रूप मे हो सकती है बीमारी,बेरोजगारी,पैसो की तंगी [आर्थिक
संकट] नौकरी का अचानक छूट जाना। किसी प्रकार की दुर्घटना का शिकार होना जिससे जीवन
मे विकलांगता आना। ऐसी अनेकों बांते हो सकती है, जिससे आपकी हिम्मत
जवाब देती है लेकिन अगर आप इन पारिस्थतियों को संयम और सकारात्म नजरिए से देखने का
प्रयास करेंगे तो बिना किसी की मदद के आप इससे पार जा सकते है।
हम समझ सकते है की उन
पारिस्थतियों मे ऐसा करना मुश्किल होता है लेकिन मित्रो नामुमकिन नही होता। क्योकि
“लहरों से डरकर नौका पार नही होती कोशिश करने वालो की हार नही होती”। आपको एक कहानी
सुनाते है। एक बार की बात है। बहुत से मेंढक जंगल से जा रहे थे। वे सभी आपसी
बातचीत में कुछ ज्यादा ही व्यस्त थे।
तभी उनमें से दो मेंढक एक जगह एक पानी के गड्ढे
में गिर पड़े। बाकी मेंढकों ने देखा कि उनके दो साथी बहुत गहरे पानी के गड्ढे में
गिर गए हैं। पानी का गड्ढा गहरा था इसलिए बाकी साथियों को लगा कि अब उन दोनों का
गड्ढे से बाहर निकल पाना मुश्किल है। साथियों ने गड्ढे में गिरे उन दो मेंढकों को आवाज
लगाकर कहा कि अब तुम खुद को मरा हुआ मानो। इतने गहरे गड्ढे से बाहर निकल पाना
असंभव है। दोनों मेंढकों ने बात को अनसुना कर दिया और बाहर निकलने के लिए कूदने
लगे। बाहर झुंड में खड़े मेंढक उनसे चीख कर कहने लगे कि बाहर निकलने की कोशिश करना
बेकार है।
अब तुम बाहर नहीं आ पाओगे। थोड़ी देर तक
कूदा-फांदी करने के बाद भी जब पानी के गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाए तो एक मेंढक ने
आस छोड़ दी और पानी के गड्ढे में और नीचे की तरफ लुढ़क गया। नीचे लुढ़कते ही वह पानी मे
डूब कर मर गया। दूसरे मेंढक ने कोशिश जारी रखी और काफी प्रयास के बाद अंततः
पूरा जोर लगाकर एक छलांग लगाने के बाद वह पानी के गड्ढे से बाहर आ गया।
जैसे ही
दूसरा मेंढक गड्ढे से बाहर आया तो बाकी मेंढक साथियों ने उससे पूछा- जब हम तुम्हें
कह रहे थे कि गड्ढे से बाहर आना संभव नहीं है तो भी तुम छलांग मारते रहे, क्यों.....? इस पर उस मेंढक ने जवाब दिया- दरअसल
मैं थोड़ा-सा ऊंचा सुनता हूं और जब मैं छलांग लगा रहा था तो मुझे लगा कि आप मेरा
हौसला बढ़ा रहे हैं इसलिए मैंने कोशिश जारी रखी और देखिए मैं बाहर आ गया। यह कहानी
हमें कई बातें कहती है।
पहली यह कि हमें हमेशा दूसरों का हौसला बढ़ाने वाली बात ही
कहनी चाहिए। दूसरी यह कि जब हमें अपने आप पर भरोसा हो तो दूसरे क्या कह रहे हैं
इसकी कोई परवाह नहीं करनी चाहिए। यह तो महज एक कहानी है लेकिन दोस्तो हौसलों से उड़ान
होती है पंखो से नही।
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आपकी कोई मदद कर सकता है तो वो आप खुद
है.......
|
लाल रंग खतरे की निशानी या कुछ और भी .......?
पानी कि कमी है और कितना स्वस्थ या बीमार...
मित्रो प्रणाम......जैसा की आप जानते है लाल रंग
जहॉ एक तरफ हर मनुष्य की रगो मे खून के रूप मे दौड़ता है,वही लाल रंग प्रेम-मधुर संबंधो के साथ शादी के वक्त
सुहागन के साड़ी और चूड़ियो,माँग मे सिंधुर के रूप मे सुहाग के
साथ नए जीवन मे खुशियो के प्रवेश का प्रतीक माना जाता है। उसी प्रकार लाल रंग के दूसरे
पहलू यानी खतरे की निशानी के रूप मे भी देखा जाता है।
ट्राफिक सिग्नल पर लाल रंग रुकने,एंबुलेंस के ऊपर ऐमरजनसी के लिए सायरन के रूप मे,रेल्वे
मे रेलगाड़ी को रोकने के लिए इत्यादी जगहो पर इस लाल रंग का महत्व अलग अलग हो सकता है।
लेकिन क्या.....? आप जानते है कि इसका मानव मस्तिक्ष पर एक विशेष
प्रभाव पडता है। रंगों के मनोविज्ञान से पता चला है कि लाल रंग का हमारे मूड,
विचारों और काम पर गहरा असर होता है। इससे आपकी फिजियोलॉजी और
हार्मोन संतुलन पर और खेल के मैदान में प्रदर्शन भी प्रभावित हो सकता है।
आक्रामकता बहुत से स्तनधारी प्राणी कुत्तों की तरह लाल और हरे रंग में फर्क नहीं
कर पाते। जब हमारे पूर्वज जंगल के जीवन में ढल रहे थे तब उनकी आंखों के रेटिना में
एक खास सेल विकसित हो रहा था, ये पत्तों के बीच से लाल
चमकीले फलों को चुनने में मदद करता था। धीरे-धीरे गुस्से में नाक लाल होना ताकत की
निशानी बन गया। ये दफ्तर में आपके काम से लेकर निजी संबंधों तक को प्रभावित करता
है।
मेंड्रिल बंदर इसका अच्छा उदाहरण हैं, जितना सेहतमंद
बंदर, उतना गाढ़ा उसकी नाक का लाल रंग। मनोवैज्ञानिकों रसेल
हिल और रोबर्ट बार्टन ने शोध शुरू किया कि क्या मनुष्यों में ऐसा होता है।
मनुष्य
भी गुस्से में लाल हो जाते हैं। मनुष्य के नाखूनो के बीच[चमड़ी] के हिस्से मे कितना
लाल रंग का खून है इससे यह पता लगाया जा सकता है कि उसमे पानी कि कमी है और कितना स्वस्थ
या बीमार है।
प्रोफेसर एलियट कहते हैं लाल पके हुए फल का रंग है, गुस्सा, चेहरे का रंग है, उत्तेजना
का रंग है, इसलिए इसे हमेशा हमारे अस्तित्व से जोड़कर देखा
जाता रहेगा। लाल रंग की पोशाक आपको जबरदस्त खिलाड़ी नहीं बना देती है लेकिन जब आपका
मुकाबला बराबरी के प्रतिद्वंदी से हो तो यह जीत और हार के संतुलन को जरूर प्रभावित
करती है।
शोध में पाया गया कि लाल रंग की पोशाक पहनने वाले खिलाड़ियों के जीतने की
संभावना पांच प्रतिशत अधिक थी।किसी के लिए लाल रंग भाग्यशाली भी हो सकता है,और किसी के दुर्भाग्य भी हो सकता है।
गलत चीज देखकर आंख फेर लेना या चुप्पी साध लेना एक........सनी लियोन
लड़कियों
को समान आजादी दिलाने के लिए कुछ
बोलना..
बॉलिबुड
की सनी ने एक बयान में कहा कि मैं भारत से नहीं हूं। मैं कभी भी ऐसी संस्कृति में
नहीं रही हूं। जिसमें आजाद ख्याल का होना सामान्य बात नहीं है। मैं बस सभी पुरुषों
से यह कहना चाहती हूं कि आप अगर एक मर्द हैं। जो एक महिला की आजादी पर पहरे लगा
रहे हैं।
तो यह ठीक नहीं है फिर चाहे आप एक कस्बे से हों या एक बड़े शहर से। इससे
कुछ फर्क नहीं पडता। हॉट अभिनेत्री सनी लियोनी कहती हैं कि महिलाओं से दुव्र्यवहार
करके और उन्हें अपमानित करके एक मर्द कूल नहीं बल्कि राक्षस बन जाता है। 33 साल की सनी का मानना है कि गलत
चीज देखकर आंख फेर लेना या चुप्पी साध लेना एक अपराध है।
उन्होंने कहा कि मैं
पुरुषों से कहना चाहती हूं कि गलत होता देख आप विरोध करें। चुप्पी साध लेना एक
अपराध जैसा है।उन्होंने कहा कि इस तरह के व्यवहार से आप कूल नहीं बल्कि राक्षस बन जाते हैं।
आपको लड़कियों को समान आजादी दिलाने के लिए कुछ बोलना और उनकी मदद
करनी चाहिए। अगर आपके दिल में उनके लिए इज्जत है। तो आप उनके लिए आवाज जरूर बुलंद
करें।
बेमौसम का कहर....निगरानी के लिए पत्निया मजबूर......
विक्राल रूप धारण करे उससे पहले ही सचेत होना जरूरी.......
मित्रो प्रणाम.......आज के बदलते मौसम का दोषी कौन...? है। वातावरण मे हो रहे बदलाव के जिम्मेदार जाने-अंजाने मे
हम ही होते है,क्योकि हमारा अधिकतर वक्त दुसरे को दोष देने, दुसरे की गलतियॉ निकालने मे जाता है अगर उस वक्त मे से थोड़ा सा भी वक्त
हम पर्यावरण के संरक्षण के लिए,पेड़ लगाने के लिए निकले तो
जहा एक तरफ शुद्ध हवा मिलेगी वही भविष्य मे होने वाले [ग्लोबर वार्मिंग] पर्यावरण
के बदलाव मे हो रहे नकारात्मक परिणामो को रोका जा सकता है। साथ ही किसानो की आत्म
हत्या को भी रोका जा सकता है, क्योकि वे ही हमारे अन्न दाता
होते है। शहरो मे बड़ते कांक्रीटों [सीमेंट,लोहे रेती यानी
बिल्डिंगो ] के जालो के कारण पेड़ो की
हो रही कटाई,हरयाली की कमी से बड़ती बिमारियॉ कोई विक्राल रूप धारण करे उससे पहले ही
सचेत होना जरूरी है। होली के पहले बारिश और ओलों से काफी फसलें
बर्बाद हो गई थीं। बेमौसम हो रही बारिश और ओलों ने फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान
उठाना पड़ रहा है। बुंदेलखंड में भी किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा है।महाराष्ट्र मे भी किसानों की स्थिती कुछ ऐसी ही है। ऐसे में कई किसान आत्महत्या भी कर रहे हैं।
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इसी के मद्देनजर किसानों की पत्नियां चौकन्नी हो गईं हैं। वे अपने पतियों की
सावधानी से निगरानी कर रही हैं। बुंदेलखंड में 70-80 फीसदी के लगभग फसलें खराब हो गई हैं। इस वजह
से बुंदेलखंड के गावों में दुख और परेशानी का माहौल है।
ऐसे हालात में किसानों की
पत्नियां परेशान और चिंतित हैं। उन्हें डर है कि उनके पति आत्महत्या न कर लें। कई
किसानों ने कर्ज लेकर खेती की थी इसकी वजह से वे और ज्यादा परेशान हैं। इसके
बाद कई किसानो के खुदकुशी की
खबरें आईं।
इससे पहले कि सारे किसान आत्म हत्या करने पर मजबूर
हो जाए और हम बुखे मरे समय रहते सचेत हो जाए पेड़ लगाए हरयाली बड़ाए और वातावर्ण,पर्यावरण को बचाने मे यथा संभव योगदान देने का प्रयास
करे।
आपका मित्र अनिल भवानी ।
स्ट्रेट रहना अथवा समलैंगिक ‘माई च्वायस’…….दीपिका पादुकोण
शादी से पहले सैक्स करना चाहती है या
नहीं........
फिल्मी सितारे हो,कलाकार हो या खेल जगत से जुडी हस्तिया उन को देख कर लोग
उन्हे अपने जीवन का आदर्श मानते है।लेकिन वे आदर्श कहा तक ठीक है,आदर्श होने
चाहिए संत महापुरुषों की जीवनी,बड़ी कठिनाइयो से मंजिल पाने वाले,सच्चाई का साथ देने,दूसरों की मदद के लिए हाथ बड़ाने वाले
लोग क्योकि हाल ही मे
सिने अदाकारा दीपिका पादुकोण 98 महिलाओं के
साथ एक वीडियो में जिंदगी के सभी पहलुओं में महिलाओं के लिए बराबरी की आवाज बुलंद
करती नजर आ रही है।
‘माई च्वायस’ नामक इस 34 मिनट के वीडियो का निर्देशक होमी अदजानिया ने
किया है। होमी के साथ दीपिका ने ‘कॉकटेल’ और ‘फाइंडिंग फनी’ फिल्मों में काम कर चुकी है। इस वीडियो के निर्माता
दिनेश विजान हैं। ब्लैक-एंड-व्हाइट
वीडियो में 29 साल की दीपिका ने महिलाओं के बारे में
पुरूषों की ‘कुंठित’ सोच को बदलने
का आह्वान किया है।
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वीडियो में दीपिका ने कहा, ‘‘मैं अपनी पसंद के हिसाब से जैसे चाहती हूं वैसे जिंदगी गुजार सकती हूं। जैसा चाहती हूं वैसा कपड़ा पहन सकती हूं, यह फैसला कर सकती हूं कि मेरी काया कैसी होगी, कब शादी करना चाहती हूं। यह फैसला मुझे करना है कि मैं स्ट्रेट रहना चाहती हूं अथवा समलैंगिक।इस वीडियो में दीपिका कहती है कि वह शादी से पहले सैक्स करना चाहती है या नहीं उनपर निर्भर करता है।’’
इस वीडियो में फरहान अख्तर की पत्नी अधुना, बहन जोया अख्तर और होमी की डिजाइनर पत्नी अनीता नजर आ रही हैं। वीडियो में शामिल सभी 99 महिलाएं काले रंग के परिधान में हैं।
प्लास्टिक की बजाय स्टील के कंटेनर क्यू....? करे इस्तेमाल..
एल्युमीनियम फॉइल से 2-6 मिलीग्राम तक एल्युमीनियम का
अंश खाने में पहुंच......
प्लास्टिक का चलन इतना बड़ता जा
रहा है,जहॉ लोग सब्जी या किराना सामान लाने के लिए मार्केट
जाने से पहले कपड़े की थैली लेकर चलते थे। वही शहर मे आज थैली न लेकर जाना एक प्रतिष्ठा
[स्टेट्स सिंबाल] माना जाता है अगर कोई लेकर चला भी जाए तो उसे गाँव खेड़े से आया व्यक्ति
समझा जाता है।
इसके चलते प्लास्टिक की कैरी बैग ,प्लास्टिक के
डब्बे इत्यादी का तेजी से निर्माण और बीक्री हो रही है जिसका भविष्य मे क्या....? नुकसान हो सकता है आइए उस पर एक नजर डालते है। खाने-पीने के सामान के डिब्बों, कंटेनर्स, सीडी, डीवीडी और बोतलों आदि के
निर्माण के लिए पॉलीकार्बोनिक प्लास्टिक का प्रयोग किया जाता है। इसमें बाइफेनोल-ए
(बीपीए) कैमिकल होता है जो महिलाओं में बांझपन का एक प्रमुख कारण है।
शिकागो की
बायोसाइंटिस्ट डॉ. जॉडी फ्लॉज ने जब बीपीए के महिलाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को
लेकर अध्ययन शुरू किया तो पता चला कि इससे उनके अंडाशय पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
शोध के अनुसार खाना बनाने वाले प्लास्टिक के बर्तनों के इस्तेमाल से कई तरह की
बीमारियां हो सकती हैं। इन बर्तनों में खाना बनाने से गर्भवती महिलाओं और उनके भूर्ण
पर असर
पड़ता है।
बच्चे के थायरॉयड हॉर्मोन का स्तर गिरता है और उसके दिमाग का विकास भी
रूक सकता है। इसी तरह एल्युमीनियम फॉइल भी हमारे स्वास्थ्य को काफी नुकसान
पहुंचाते हैं। इस बात को प्रमाणित करने के लिए डॉ. फ्लॉज ने चुहिया को बीपीए
सोल्यूशन की खुराक दी और उन्होंने पाया कि अन्य चुहियाओं की तुलना में बीपीए खुराक
लेने वाली चुहिया का अंडाशय छोटा था। सामान्य प्रजननीय विकास के लिए जिम्मेदार
हार्मोन्स भी सामान्य से कम स्त्रावित हो रहे थे। एल्युमीनियम फॉइल ऑक्सीजन और
प्रकाश को पूरी तरह अवरूद्ध कर देता है, जिससे हमारे खाने में
बैक्टीरिया नहीं पनपता।
एल्युमीनियम फॉइल से 2-6 मिलीग्राम तक एल्युमीनियम का
अंश खाने में पहुंच जाता है। जिससे कैंसर, पाचन तंत्र की गड़बड़ी, याददाश्त कमजोर होना और बांझपन
जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए कभी भी गर्म-गर्म चपाती को
फॉइल में ना लपेटें रखना भी हो तो पहले टिश्यू पेपर और फिर फॉइल का प्रयोग करें
वर्ना कैमिकल कम्पाउंड पाचनतंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। चपाती को प्लास्टिक
की बजाय स्टील के कंटेनर में रखें। जहां तक हो सके ताजा बना खाना ही खाएं।
इनके
निर्माण में एक खास कैमिकल का प्रयोग होता है, जिसे पीएफओए कहते है। ऎसे बर्तनों के लगातार
इस्तेमाल से पैंक्रियाज, लिवर और
टेस्टिस (पौरूष ग्रंथि) संबंधी कैंसर, कोलाइटिस, प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन
जैसी समस्याएं हो सकती हैं। नॉनस्टिक कुकवेयर की कोटिंग निकलने या उसमें कोई स्क्रेच
आने पर
जब इनमें खाना बनाया जाता है तो हीट से निकलने वाले विषैले पदार्थ खाने को दूषित
करते हैं। इसलिए किसी साधारण पैन में थोड़ा-सा नमक डालकर दो मिनट गर्म करें। अब यह
बर्तन भी नॉन स्टिक की तरह ही काम करेगा।