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- मिर्गी के मरीज को जूता सूंघाना या मौजे सुंघाने गलत है क्योकि....
Posted by : achhiduniya
12 March 2015
पेट के बल
सोने वाले मिर्गी से ग्रस्त मरीजों में…….
इलिनोइस में
शिकागो विश्वद्यिालय के जेम्स ताओ के अनुसार अनियंत्रित मिर्गी में मौत का मुख्य
कारण आकस्मिक मृत्यु है जो आमतौर पर सोने के दौरान ही होती है। पेट के बल सोने
वाले मिर्गी से ग्रस्त मरीजों में आकस्मिक मौत का खतरा अधिक है। यह शिशुओं की
आकस्मिक मृत्यु के लक्षणों के समान है। यह बात एक शोध में सामने आई है। मिर्गी
मस्तिष्क संबंधी बीमारी है, जिसमें मरीज को बार-बार दौरे पड़ते हैं।
विश्व भर
में लगभग पांच करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं। इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने 25 अध्ययनों की समीक्षा की, जिसमें शामिल 758 आकस्मिक मृत्यु के मामलों में लोगों की शारीरिक स्थिति को दर्ज किया गया।
इस अध्ययन में पाया गया कि पेट के बल सोने की स्थिति के मामलों में 73 प्रतिशत लोगों की मौत हो गई, जबकि 27 प्रतिशत लोगों के सोने की स्थिति अलग थी।
शिशुओं के मामलों की तरह ही
वयस्कों में अक्सर दौरे के बाद जागने की क्षमता नहीं होती। विशेष रूप से सामान्य
दौरे में। ताओ के मुताबिक, हमारे अध्ययन में मिर्गी से आकस्मिक
मौत से बचाव के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति को बताया गया है। 'कमर
के बल सोना' ही यह महत्वपूर्ण रणनीति है। कलाई घड़ी और बेड
अलार्म के इस्तेमाल से सोने के दौरान इस तरह की मृत्यु से बचाव में मदद मिल सकती
है।
मिर्गी के मरीज को जूता सूंघाना गलत है क्योकि उस वक्त मरीज को खुली और ताजी हवा
की जरूरत होती है जो गंदे जूते या मौजे सुंघाने से नही मिलती ऐसा करने से मरीज की जान
भी जा सकती है।मरीज के पास भीड़ बिल्कुल नही करनी चाहिए।
उस पर पानी के छींटे डाल कर
जगाए रखना चाहिए। बिना देर किए जितनी जल्दी संभव हो तुरंत उसे अच्छे चिकित्सक के पास
ले जाना चाहिए।