- Back to Home »
- Religion / Social »
- सिंध मुक्त होकर बनेगा.......अखंड भारत....
Posted by : achhiduniya
24 March 2015
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई सभी बड़े प्यार और भाईचारे.........
भारत देश मे सिंधी समाज
को सिंधी भाषा और सिंधी भाईयो के रूप कौन नही जानता जिन्होने जीवन मे त्याग और बलिदान
की मिसाले कायम की है। भारत विभाजन के समय सिंधी समाज को अपने वतन सिंध प्रांत तक को
छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। भारत देश को आध्यात्मिक और भाईचारे का देश माना जाता
है,जिसमे हर समाज के हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाइ सभी बड़े प्यार और भाईचारे से रहते है।
उसी देश का एक शहर
जिसे भारत की ह्रदय स्थली जीरो माईल और संतरा नगरी भी कहते है वो है नागपुर शहर विविधताओ
मे एकता। शहर मे हर त्योहार को बड़े उमंग उत्साह के साथ मनाया जाता है। गत 42 वर्षों से निरंतर
मनाये जाने वाला कार्यक्रम इस वर्ष भी राजकुमार केवलरामानी कन्या महाविद्यालय,
जरीपटका, नागपुर के प्रांगण में “चेट्रीचंड्र महोत्सव” (सिंध मुक्ति दिवस ) के रूप मे मनाया गया।
कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्जवलित कर व इष्टदेव
झूलेलाल को माला अर्पण कर किया गया। सिंध मुक्ति संगठन के संस्थापक व अखिल भारतीय
अध्यक्ष प्रा. विजय केवलरामानी ने कहा कि सिंध बिना हिंद अधूरा है। उन्होनें सभी
को चेट्रीचंड्र व नववर्ष की बधाई देते हुए कहा कि जिस तरह वेदों के बिना भारत की
कल्पना ही नहीं की जा सकती है ठीक उसी तरह सिंध बिना हिंद भी अधूरा है।
हम महर्षी अरविंद घोष के अनुयायी
हैं सिंध मुक्त होकर अखंड भारत का निर्माण हमारा ध्येय है जो शीघ्र ही यथार्थ में
रूपांतरित होगा। आज नव वर्ष के अवसर पर हमें शपथ लेनी चाहिए कि भारत फिर से अखंड
बनेगा। चेटीचंड्र के पावन पर्व पर सभी को नव वर्ष की बधाई देते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मा. श्री बनवारीलाल पुरोहित ने कहा कि
चेट्रीचंड्र महोत्सव यह एक महान पर्व है।
नव वर्ष की शुरूवात में भारतीय संस्कृति
में इस दिन का ज्यादा महत्व है। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय संस्क़ृति हजारों
वर्ष पुरानी संस्कृति है। अनेक संस्कृतियां आयीं और लुप्त हो गई, हमारी भारतीय
संस्कृति अभी तक लुप्त नहीं हुई है और न ही होगी। आगे भी अपनी सुंदर संस्क़ृति को
कायम रखना है। सिंधी कौम की गिनती बहादुर कौम में की जाती है।
विभाजन के समय सबसे
ज्यादा नुकसान सिंधी समाज को हुआ है। जंगल में मंगल करने का पुरुषार्थ सिंधी समाज
में है। सिंधी समाज ने खून और पसीने की कमाई से आज तरक्की की है। मुझे विश्वास है
कि सिंध मुक्त होकर भारत अखंड बनेगा।आमदार श्री डॉ.
मिलिंद माने ने कहा कि हिंदू समाज में नव वर्ष का प्रारंभ चेट्रीचंड्र व गुढ़ीपाडवा
से होता है।
इस नववर्ष के उपलक्ष्य में लोग नये नये कपडे पहनते हैं तथा अपने घर
में खाने के लिए मिठा जरुर बनाते है। प्रात: काल से गुढी का निर्माण करना प्रांरभ
करते है तथा साय: काल को उतारा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के आने के पहले नववर्ष
की शुरुवात गुढ़ीपाडवा से ही होती थी। आज का दिन सिंध मुक्ति दिवस के रुप में भी
जाना जाता है। सिंध प्रांत जो सुजलाम सुफलाम के नाम से जाना जाता है। हमारा सिंध
मुक्त होकर अखंड भारत का सपना अवश्य पूर्ण होगा ऐसी अभिलाषा में व्यक्त करता हूँ। श्री घनश्याम
कुकरेजा ने कहा कि चेट्रीचंड्र महोत्सव को दीपावली जैसा मनायें। तथा सिंध मुक्ति
अर्थात अखंड भारत का सपना अवश्य पूर्ण होगा।
श्री सुरेश जग्यासी ने कहा कि हमारे देश का जो चित्र हमें दिखाई दे रहा है
तथा उसकी जो स्थिति है वह बहुत ही निराशा जनक है परंतु मैं इस निराशावादी स्थिति
में भी बहुत आशावादी हूं। मुझे विश्वास है कि सिंध मुक्त होगा। डॉ. विंकी रुघवानी ने कहा कि सिंध मुक्ति यह हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। श्री
कैलाश केवलरामानी ने कहा कि अब समय बातों का नहीं हर भारतीय ने कमर कस कर सिंध मुक्ति
अर्थात अखंड भारत के कार्य में जुट जाना चाहिये। प्राचार्या श्रीमती नीलम दीपक आहूजा ने कहा कि झूलेलाल दो बातों का प्रतीक है जल और ज्योति। जल और ज्योति की
आराधना की जाती है।डॉ उर्मिला डबीर ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से बुद्धि व सांस्कृतिक कार्यक्रमों से
विद्यार्थियों में संस्कारों का निर्माण होता है।
प्रधानाध्यापिका
श्रीमती रश्मी वाधवानी ने सभी को नववर्ष व चेट्रीचंड्र की बधाई
दी व विद्यार्थियों से कहा कि बडे होने के बाद हमें अपने माता-पिता को नहीं भूलना
चाहिये। यही हमारी संस्कृति है।मा. आमदार श्री कृष्णा खोपड़े , मा. आमदार श्री नागो गाणार ,भास्कर
समूह के संपादक मा. श्री प्रकाश दुबे व मा. श्री विकास मिश्रा (संपादक, लोकमत समाचार), श्री अरुण जोशी ( प्रबंध संपादक
युगधर्म) ने चेट्रीचंड्र महोत्सव (सिंध मुक्ति दिवस) व नववर्ष की हार्दिक
शुभकामनायें भेजी। पंडित मुरलीधर शर्मा ने सामुहिक रूप से पल्लव व अरदास में
इष्टदेव झूलेलाल से प्रार्थना की कि आने वाला नववर्ष सिंधु के पावन तट पर मनाएंगे।
कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन प्राचार्या श्रीमती नीलम आहूजा, प्रा. श्रीमती
मिताली मेहता आभार प्रदर्शन प्रा अनुराधा खेडकर ने किया। आगुंतकों का स्वागत श्री
कैलाश केवलरामानी, अनिल बटवानी ने किया। कार्यक्रम में सर्वश्री गुरुनानक संगति,
शभुलाल झांबिया, जगदीश खेमानी, मुकेश आहुजा, राजन कोटवानी, अनंत खेमानी, अजीत
सिंग, दिनेश खुशालानी, ठाकुरदास केवलरामानी, सुरेश चेलानी, प्रितम चावला, राजीव
ज्ञानचंदानी, मोहन झाडगे, सुरेश किशनानी, अशोक वरकर, अनमोल सहारे, सुरेश पुरोहित,
सुंदरदास केसवानी, आनदं खेमानी, महेंद्र खेमानी, महेंद्र जेसवानी, मनोहर पमनानी,
भोजूमल पुलसवानी सुंदर मोटवानी, सुरेश खिलवानी, राजकुमार कुकरेजा, विक्रम डेम्बला,
राजु सचदेव, पुरुषोत्तम पुसनानी, विनोद चंदवानी, रवि मनवानी, संदीप मनवानी, आतिश
गजभिये, अशिष सहारे, शंकर मोटवानी, प्रविण बुरडे, मधुकर दाडेकर, योगेश येवले, अमित
कडू प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
मा. श्री बनवारीलाल
पुरोहित (पूर्व सांसद व दि. हितवाद के प्रधान संपादक) के मुख्य आतिथ्य, मा. आमदार
श्री डॉ. मिलिंद माने के विशेष आतिथ्य, प्रा. विजय केवलरामानी (अखिल भारतीय अध्यक्ष - सिंध मुक्ति संगठन) की
अध्यक्षता, श्री घनश्याम कुकरेजा (राष्ट्रीय महामंत्री भारतीय सिंधु सभा), श्री
सुरेश जग्यासी (पूर्व मिनी महापौर), डॉ. विंकी रुघवानी (अध्यक्ष विदर्भ सिंधी
विकास परिषद), श्री गोपाल खेमानी (महासचिव भारतीय सिंधु सभा), श्री कैलाश
केवलरामानी (महासचिव, सिंध मुक्ति संगठन, नागपुर), श्री विक्की कुकरेजा (अध्यक्ष
उत्तर नागपुर भाजपा), मा. श्री मुन्नाजी महाजन, प्राचार्या श्रीमती नीलम आहूजा,
प्राचार्या डॉ उर्मिला डबीर व प्रधानाध्यापिका श्रीमती रशमी वाधवानी, श्री अर्जुनदास आहुजा (सहसचिव नाग
विदर्भ चेम्बर ऑफ कार्मस), श्री जसविंदरसिंह सैनी (अध्यक्ष, भारत-तिब्बत सह्योग
मंच, नागपुर), श्री प्रीतमदास मथरानी (उपाध्यक्ष, सिंध मुक्ति संगठन, नागपुर),
श्री राजु सावलानी (सचिव सिंध मुक्ति संगठन, नागपुर), श्री दिलीप बदलानी श्री विजय वीधानी श्री प्रकाश
टहलरामानी (सहसचिव सिंध मुक्ति संगठन, नागपुर), श्री गोपीराम झांबिया श्री राजू झांबिया (प्रमुख,
गुरुनानक संगति, नागपुर), भारत तिब्बत सह्योग मंच के महामंत्री द्वय श्री गुणवंत
सोमकुंवर, सुरेश पुरोहित, सिंधुड़ी सहेली मंच की ओर से सुधा जेस्वानी, श्रीमती कंचन
जग्यासी व श्रीमती डेंबला की प्रमुख
उपस्थिति में सोत्साह संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवक-युवतियां, महिलायें-पुरुष, बाल व वृद्ध
उपस्थित थे। इस अवसर बच्चों भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
सधन्यवाद, विनीत :- कैलाश केवलरामानी [महासचिव
] सिंध मुक्ति संगठन, नागपुर