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- बजट बनाने संबंधित रोचक जानकारी जिससे अंजान आम आदमी........
Posted by : achhiduniya
11 March 2015
खाने में जहर तो नहीं मिलाया
गया......
सरकारी बजट की सुरक्षा और गोपनीयता का
हर कदम पर ध्यान दिया जाता है, चाहे वह बजट का ड्राफ्ट बनाने की प्रक्रिया हो, या फिर उसके बाद की। बजट
प्रिंटिंग का कागज वित्त मंत्रालय के प्रिंटिंग प्रेस तक पहुंचने तक का सफर हो।
उसके बाद प्रिंटिंग, पैकेजिंग
और इसके संसद पहुंचने तक सुरक्षा व्यवस्था उसी मुस्तैदी के साथ कायम रखी जाती है। भारत
सरकार के वित्त मंत्रालय के तहत आने वाला इकोनॉमिक अफेयर्स डिपार्टमेंट इसकी पूरी
कवायद करता है।
वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में बजट डॉक्युमेंट की प्रिंटिंग की
जाती है। लगभग 100 लोगों को बजट से एक सप्ताह पहले पूरी जांच-पड़ताल करके भेजा जाता
है और बजट प्रिंट होने तक इन लोगों को उसी बेसमेंट में 'कैद' रहना होता है। जनवरी की शुरुआत से मीडिया को
वित्त मंत्रालय से दूर कर दिया जाता है, ताकि कोई भी बजट संबंधी खबर
मीडिया के हाथ न लगे। इंटेलिजेंस
ब्यूरो के लोग वित्त मंत्रालय की पूरी तरह से सिक्युरिटी सुनिश्चित करते हैं। बजट
से संबंधित प्रमुख लोगों का फोन भी टेप किया जाता है,
ताकि घर
का ही कोई व्यक्ति भेदिया न बन सके।
इंटरनेट कनेक्शन भी हटा दिया जाता है। वित्त मंत्रालय में आने-जाने
वाले लोगों पर सीसीटीवी के जरिए कड़ी नजर रखी जाती है। सीसीटीवी के रेंज के बाहर
किसी को भी बैठने की मनाही होती है। वित्त
मंत्रालय के बेसमेंट में बजट डॉक्युमेंट की प्रिंटिंग की जाती है। इस प्रिंटिंग
प्रेस में लगभग 100 लोगों को बजट से एक सप्ताह पहले पूरी जांच-पड़ताल करके भेजा
जाता है और बजट प्रिंट होने तक इन लोगों को वहीं रुकना होता है। प्रिंटिंग रूम में
सिर्फ एक फोन होता है, जिस पर सिर्फ इनकमिंग कॉल आ सकती है। हालांकि,
बात करते
वक्त इंटेलिजेंस का एक आदमी हमेशा वहां मौजूद रहता है। डॉक्टरों की एक टीम हमेशा मौजूद
रहती है, ताकि प्रेस में काम करने वाले किसी भी कर्मचारी की तबीयत
खराब होने पर उसका तुरंत उपचार किया जा सके।
यहां के प्रिंटिंग प्रेस में मुख्य
तौर पर प्रूफ रीडिंग, ट्रांसलेशन और प्रिंटिंग का काम होता है। अगर किसी इमरजेंसी में कोई
प्रिंटिंग कर्मचारी प्रेस से बाहर निकलता है तो उसके साथ इंटेलिजेंस का एक आदमी और
दिल्ली पुलिस का एक आदमी हमेशा साथ रहता है। वित्त
मंत्रालय के प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वालों को जो खाना दिया जाता है,
उसे भी
टेस्टिंग से गुजरना पड़ता है, ताकि पता लगाया जा सके कि खाने
में जहर तो नहीं मिलाया गया है। जनवरी में बैंक एसोसिएशन,
विभिन्न
उद्योग समूह के प्रतिनिधियों और जाने-माने अर्थशास्त्रियों से वित्तमंत्री की
मीटिंग होती है।
वित्तमंत्री सबकी सलाह सुनते हैं, पर उसे बजट में शामिल करने या न
करने का अंतिम फैसला उनके पास ही होता है। वित्त मंत्री संसद में बजट पेश करने से
पहले भारत के राष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष बजट का संक्षेप पेश करते
हैं। इसके बाद बजट को संसद में रखा जाता है।
सामान्यतः बजट दिन के 11 बजे संसद में रखा जाता है और वित्त मंत्री संसद को बजट के मुख्य बिंदुओं से अवगत कराते हैं।इस प्रकार बजट की पोटली सार्वजनिक तौरपे जनता के आगे [फरवरी मे] खोली जाती है।
सामान्यतः बजट दिन के 11 बजे संसद में रखा जाता है और वित्त मंत्री संसद को बजट के मुख्य बिंदुओं से अवगत कराते हैं।इस प्रकार बजट की पोटली सार्वजनिक तौरपे जनता के आगे [फरवरी मे] खोली जाती है।