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- मंजिल नही........मार्ग बदले.......निराशा छोड़े....
Posted by : achhiduniya
11 March 2015
मित्र उन खिड़कियों की तरह होते हैं जिनसे जीवन में ताजी हवा आती
है......
आप अपने आसपास मौजूद सभी लोगों को प्रसन्न करने का प्रयास करते
हैं तो इस तरह के लक्ष्य को कभी प्राप्त नहीं कर पाते हैं। ऐसे में निराशा आपको घेरे
यह बहुत संभव है। इस तरह की स्थिति से उपजने वाली निराशा से खुद को बचाना हो तो आपको
अपनी प्रसन्नाता के लिए काम करना चाहिए। अपनी प्राथमिकताएं तय करना बहुत जरूरी है।
याद रहे जरूरत से ज्यादा वादे भी हमें हताशा की स्थिति में डाल सकते हैं। क्रिकेट के
मैच में एक टीम हारती है लेकिन अगले मैच में वह इस हार को भुलाकर जीतने की कोशिश करती
है।
ऐसे भी पर्वतारोही हैं जिन्हें पर्वत ने कई बार हराया लेकिन उन्होंने जीत के लिए
साहस नहीं हारा और अंतत: पर्वत उनकी इच्छाशक्ति के आगे झुका। तो अपनी हार में उन कारणों
को ढूंढने का प्रयास होना चाहिए जिनसे आप सफलता से दूर रहे और उन्हें सुधारने का प्रयास
आपको विजेता बनाता है। जब आप एक एक करके अपनी कमजोरियों पर काम करते हैं तो आप खुद
को विपरीत परिस्थितियों के योग्य बना लेते हैं। आप खिन्न या हताश महसूस कर रहे हैं
तो अपने आसपास किसी की मदद करने का कोई अवसर तलाशिए। दूसरों के साथ जुड़िए।
दूसरों
की प्रसन्नता के लिए छोटा काम हाथ में लीजिए, आपको अपना जीवन अर्थवान नजर आने लगेगा।
जीवन मूल्यवान लगने लगेगा। हम अक्सर ढर्रे पर चलते हुए भी जीवन का मूल्यांकन करने में
असमर्थ हो जाते हैं। हमें लगता है कि जीवन उतनी ही दूर तक है जितना हम देख पा रहे हैं
लेकिन जीवन उससे भी आगे है, वहां भी जहां
हम नहीं देख पा रहे। मित्र उन खिड़कियों की तरह होते हैं जिनसे जीवन में ताजी हवा आती
है। चाहे कितनी भी विकट परिस्थिति क्यों न हो एक अच्छा मित्र आपको गहन निराशा के क्षणों
से उबारने का काम करता है।
कोई अच्छी पुस्तक, कविता, संगीत, फिल्म या मनबहलाव का कोई भी अन्य माध्यम
जो हमारा ध्यान निराशा के उन क्षणों से कहीं ओर ले जाता हो वह ऐसे समय में हमारा आश्रय
बन सकता है और हमें राहत दे सकता है। जब भी हम बीती चीजों के बारे में ज्यादा सोचते
हैं तो मन में एक अजीब सी उदासी घर कर ही जाती है, इसी तरह भविष्य के बारे में सोचते
हुए भी हम आशंकित और डरे हुए रहते हैं। इनका असर हमारे वर्तमान को खराब करता है। अगर
हम आज में ही जिएं और आज हम क्या अच्छा कर सकते हैं उस विचार के साथ आगे बढ़ें तो शायद
जीवन में निराशा के लिए कोई जगह नहीं होगी।
हम जो नहीं कर पाए उसके लिए उदास क्यों
होना, हम आज जो कर
सकते हैं उस पर बीते दिनों का असर आखिर क्यों आने देना चाहिए। बीती बातों को भुलाकर
अगर आज में ही अपनी उर्जा लगाई जाए तो बेहतर नतीजे हमें आगे बढ़ने को ही प्रेरित करेंगे।
कल में अटके रहकर हम अपने आज को भी प्रभावित करते हैं और आने वाले कल को भी। जब आप अपने आनंद के क्षेत्र में डूबेंगे तो निराशा से उबर
जाएंगे। निराशा हम इसलिए महसूस करते हैं कि हमें जीवन का कोई अर्थ नजर नहीं आता है
लेकिन जब हम अपनी रूचि की चीजों को देखते हैं तो जीवन के प्रति आशा बंधती है।