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- कुंडली परामर्श द्वारा समस्या निदान.....
Posted by : achhiduniya
26 March 2015
अग्नि का गुण है जलाना,पानी का गुण है आग बुझाना.......
विवाह के
पूर्व कुंडली मिलान को एक वैधिक परंपरा मानी जाती है जिसे लोग आज नजर अंदाज करते
है जिससे भविष्य मे नव विवाहित जीवन मे समस्या आती है। जिस प्रकार अग्नि का गुण है
जलाना,पानी का गुण है आग बुझाना,उसी प्रकार कुछ ग्रह अपनी यथा स्थती के अनुसार चाल
बदलकर दूसरे ग्रह के घर अर्थात अपनी मूल स्थती छोड़ विपरीत स्थती मे पहुचते है तब
ग्रहो की पीड़ा यानी अग्नि और पानी की स्थती का निर्माण होने लगता है जिससे जातक के
जीवन मे समस्याओ का दौर शुरू होता है।
इनसे निपटने के लिए कुछ उपाए लेकिन जानकार ज्योतिष
की सलाह जरूर ले। हिन्दू शास्त्र मतानुसार
पितृऋण
का कारक ग्रह सूर्य; भ्रातृ
ऋण का कारक ग्रह मंगल; मातुल ऋण
का कारक ग्रह बुध; ब्रह्माऋण
का कारक ग्रह बृहस्पति; प्रेतऋण
(श्राप) का कारक ग्रह शनि; यक्षिणी
साध्वी स्त्रीऋण का कारक केतु; मातृ ऋण का कारक चंद्रमा; स्त्री (पत्नी ऋण) का कारक ग्रह
शुक्र; देवऋण का
कारक ग्रह बुध; पीपल ऋण
का कारक ग्रह शनि; सर्पऋण
का कारक ग्रह राहु है।
जन्म कुंडली में स्वऋण की पहचान : कुंडली के 5वें भाव में शुक्र या पाप ग्रह
स्थित हो तो स्वऋण समझना चाहिए। प्रत्यक्ष लक्षण : जातक के मकान में छत से उतरने
के एक से अधिक मार्ग हों अथवा छत के किसी छेद से नीचे रोशनी आती हो। स्वऋण के अशुभ
फल : किसी मुकद्दमे, कानूनी मामले में उलझना, रोग से शरीर दुर्बल होना।
मुक्ति के उपाय : परिवार के सभी सदस्यों से बराबर-बराबर चंदा लेकर सूर्य ग्रह
की शांति के लिए यज्ञ करें। स्वऋण : पूर्व जन्मों में जातक की स्वयं
की भूलों का परिणाम स्वऋण होता है, जैसे नास्तिकता के मद में अधर्म
के कार्य, धार्मिक
कार्य एवं ईश्वरवाद की खिल्ली उड़ाना। मातृऋण : कुंडली के 4 भाव में केतु के बैठने से
चंद्रमा पीड़ित हो जाता है तथा मातृऋण दोष प्रकट होता है।
कारण : माता, दादी, चाची, सास, गुरुमाता या अन्य स्त्री का
अकारण अपमान करना, उन्हें
सताना, मारपीट
कर उनका सब कुछ हड़प लेना, उनकी
हत्या कर देना मातृऋण
के कारण बनते हैं। प्रत्यक्ष लक्षण : जातक के घर के पास, कुआं, नदी, नाला, तालाब या कोई, पूजा-स्थल हो और लोग उसके जल
में गंदगी बहा-फैंक कर उसे प्रदूषित करते हों। मातृऋण के अशुभ फल : जमा पूंजी समाप्त हो जाना, जातक की सहायता करने वाले का
अहित हो जाना, बीमारी
की चिकित्सा का खर्च न पूरा होना, सरकारी कर या जुर्माना भरना, कुसंगति से गंदी आदतें पडऩा, पास-पड़ोस में झगड़ा, अशांति।
मुक्ति के उपाय : परिवार के सभी सदस्य
बराबर-बराबर चांदी लेकर एक ही दिन, एक समय, एक साथ नदी में बहा दें। कुंडली
में पितृऋण की पहचान : कुंडली के 2, 5, 9, 12 भाव में शुक्र-बुध-राहु स्थित
हों तथा सूर्य 1, 11 भाव में न हो तो पितृऋण समझना चाहिए।
प्रत्यक्ष लक्षण : जातक की यौवनावस्था एक घर में
सम्पन्नता रहे, वृद्धावस्था
में निर्धनता, सभी
कामों में रुकावट, दुख, निराशा, अपमान सहना पड़े, आर्थिक दशा खराब होना, राजयोग कारक शुभफलदायक ग्रह भी
अपना शुभ फल नहीं दे पाते। मुक्ति के उपाय : परिवार के सभी सदस्यों से चंदे
का समान पैसा इकट्ठा कर पड़ोस के मंदिर में दान दें। यदि यह उपाय सफल न हो तो कुछ
समय बाद पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं।
नोट : पितृदोष ऋण आदि के कारण उत्पन्न
अशुभफल संबंधित उपाय करने से ही शांत हो सकता है अत: संबंधित ग्रहदोष के लिए
निर्धारित पूजा-पाठ आदि अवश्य करें। इसमें श्राद्ध
का उपाय भी बहुत प्रभावशाली है। शिवजी का पूजन अर्चन, रुद्राभिषेक, दान आदि उपाय सभी प्रभावशाली
हैं। [पं॰ ज्योतिष आभार ]